अष्टम नवरात्र : देवी महागौरी का महत्व और इनके पूजन की विधि

-

माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप माँ महागौरी के नाम से जाना जाता हैं। इनकी पूजा नवरात्र के आंठवे दिन की जाती हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई हैं। प्रकाश के समान तेज माँ के इस दिव्य स्वरूप की अराधना सच्चे मन से करने से माँ भक्तों के सभी दुखों को हर लेती हैं इसलिए इस दिन जो श्रृद्धालु माँ भगवती का पूजन पूरे भक्ति भाव के साथ करते हैं उन्हें माँ का चमत्कार निश्चय ही देखने को मिलता हैं। इनके मुख्य मंडल से निकला तेज पूरे ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता हैं।

वृषभ वाहन पर सवार माँ अम्बे की मुद्रा अत्यंत शांत स्वभाव वाली हैं। चार भुजा वाली महागौरी की दायीं भुजा आशीर्वाद की मुद्रा में हैं तो नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभित हैं। इनकी ऊपर वाली बायीं भुजा में डमरू हैं तो नीचे वाली भुजा से देवी गौरी सभी भक्तों का अभयदान देती दिखती हैं। आज के दिन माँ जगदम्बा महागौरी को सभी सुहागन महिलाएँ सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूरा शृंगार चढ़ाकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं तो वहीं कुवारी लड़कियों को माँ भवानी की पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती हैं। जो पुरूष इनकी पूजा करता हैं माँ उनके अंदर के पाप को जलाकर उनकी आत्मा को शुद्ध कर देती हैं।

how to worship goddess mahagauri on the eighth day of navratri 1image source:

यह भी पढ़ें – सप्तम नवरात्र : देवी कालरात्रि का महत्त्व और इनकी पूजा विधि

नवरात्र के इस आंठवे दिन कुंवारी कन्या को भोज कराने का प्रावधान हैं :

इस दिन यदि घरों में भजन कीर्तन किया जाए तो माँ अम्बे काफी प्रसन्न होती हैं क्योंकि माँ के इस रूप को संगीत और गायन काफी पसंद हैं इसलिए नवरात्र के आंठवे दिन भजन कीर्तन अवश्य करना चाहिए। साथ ही छोटी – छोटी कन्याओं को एकत्रित करके उन्हें नौ देवियां मानकर उनकी पूजा की जानी चाहिए। कई लोग इस दिन भी माँ को प्रसाद अर्पित करने के रूप में नौ कन्याओं को भोजन करवाते हैं। स्त्रियाँ को शुद्ध मन से माँ महागौरी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें भोग लगाना चाहिए। देवी महागौरी बड़ी ही शांत और मृदुल स्वभाव वाली हैं जिनके चेहरे पर करूणा, स्नेह और प्यार का भाव दिखाई देता हैं।

how to worship goddess mahagauri on the eighth day of navratri 2image source:

यह भी पढ़ें – नवरात्र स्पेशल : स्वादिष्ट सिंघाड़े की पूरी घर पर कुछ इस तरह बनाएं

देवी को प्रसन्न करने के लिए ऋषिमुनी और देवगण इस प्रकार के मंत्रों का उच्चारण करते है।

“सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।”

महागौरी को खुश करने वाला मंत्र :

“या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।“

यह भी पढ़ें – छठा नवरात्र : देवी कात्यायनी का महत्त्व और इनका पूजा विधान

Share this article

Recent posts

Popular categories

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments