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योगा से पाएं सही वजन और सुंदर काया-Yoga for Fit and Beautiful Body

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योग प्रचीनकाल से लेकर आज तक युगों-युगों से चला आ रहा है। योगा की शुरूआत 5000 ई.पू में शुरू हुई थी। उस समय गुरू-शिष्य परम्परा के द्वारा अपने योग का ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दिया करते थे।योग एक ऐसी व्यायाम पद्धति है। जिसमें न तो हमारा धन व्यय होता है और न ही साधन-सामग्री… सिर्फ लगता है, हमारा समय…. योग में यौगिक क्रियाओं द्वारा शरीर, मन और आत्मा के बीच संयोग स्थापित होता है जिससे आत्मिक संतोष तो मिलता ही है।हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

कहा जाता है कि योग का जन्म कई वर्षों पहले हमारे भारत में ही हुआ था लेकिन दुख की बात यह है कि आज के इस आधुनिक समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग के इस महत्व को अपनी दिनचर्या से हटा दिया| और इस भागदौड़ वाली लाईफ और अनियमित खान पान ने इसका स्वरुप बिगाड़ दिया। जिसका असर लोगों के स्वाथ्य पर हुआ| मगर आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं को जाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया|

योग प्रचीनकाल से
योग हमारे लिये शारीरिक और मानसिक विकास के लिये काफी फायदेमंद है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखने के साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है जो रोजमर्रा की जि़न्दगी के लिए आवश्यक है. योग से शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है और हमारा शरीर चुस्त दुरूस्त बना रहता हैं।  हमारे शरीर की शारीरिक मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिये कुछ ऐसी योग मुद्राएं हैं जिन योग आसन, और व्यायाम का नियमित अभ्यास करने से कई गंभीर रोगों और बुनियादी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में सक्षम हो सकते है।

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ज्ञान मुद्रा :
यह योग मुद्रा मानसिक समस्याओं के उपचार के लिये काफी उपयोगी है। क्योकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी से हमारा मनमस्तिष्क एंव स्मरण शक्ति कीफी कमजोर होती जा रही है।आज के समय में हमारे मस्तिष्क का 3 से 7%  भाग ही सक्रीय हो पाता है। बाकि शेष भाग सुष्क रहता है।जिसमें अनंत ज्ञान छिपा रहता है।और इसी विलक्षण शक्ति को जाग्रत करने के लिए ज्ञान मुद्रा की जाती है। जिससे हमारे दिमाग को सही चेतना मिले और वह सही ढंग से कार्य कर सके।

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ज्ञान मुद्रा :
आप पहले किसी भी शांत और शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर जाकर आसन आदि बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। और अपने दोनो हाथों को घुटनों पर रख लें। अंगूठे के पास वाली तर्जनी उंगली के ऊपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से मिलाकर हल्का सा दबाव दें। और हाथ की बाकी की तीनों उंगलियां बिल्कुल एक साथ लगी हुई सीधी कर लें।अंगूठे और तर्जनी उंगली के मिलने से जो मुद्रा बनती है उसे ही ज्ञान मुद्रा कहतें है।

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ज्ञान मुद्रा के लाभ:
जैसा की नाम से ही पता चलता है कि ये हमारी स्मृति शक्ति को मजबूत बनाने वाला आसन है।इस अभ्यास को लगातार करने से हमारे मस्तिष्क की सभी विकृतियां और रोग दूर होते हैं। जैसे पागलपन, उन्माद, विक्षिप्तता, चिड़चिड़ापन, अस्थिरता, अनिश्चितता क्रोध, आलस्य घबराहट, अनमनापन, व्याकुलता, भय आदि। हमारे मन को शांति प्रदान करता है। और चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है। ज्ञानमुद्रा विद्यार्थियों के लिए सबसे बड़ा वरदान है। इसके अभ्यास से स्मरण शक्ति और बुद्धि  तेज होती है।

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सूर्य नमस्कार  व्यायाम :
सूर्य नमस्कार से दिन की शुरूआत तो अच्छी होती ही है।इसके साथ ही यह सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।यह अकेला ही एक ऐसा अभ्यास है जो साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचानें में समर्थ होता है।इसके अभ्यास से मनुष्य का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य-नमस्कार की प्रथम स्थिति प्रार्थनासन वाली होती है जिसमें आप पहले सावधान की मुद्रा में खडे हो जायें । अब दोनों हथेलियों को परस्पर जोडकर प्रणाम वाली मुद्रा के अनुसार बनायें और अपने हृदय पर रख लें।दोनों हाथों की अँगुलियाँ परस्पर सटी हों और अँगूठा छाती से चिपका हुआ हो। इस स्थिति में आपकी कोहनियाँ सामने की ओर बाहर निकल आएँगी।अब आँखें बन्द कर दोनों हथेलियों का पारस्परिक दबाव बढाएँ । श्वास-प्रक्रिया निर्बाध चलने दें।

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सूर्य नमस्कार के फायदे :
सूर्यनमस्कार तनाव को कम करने के लिए एक अच्छा योग व्यायाम है। यह एक बहुत प्राचीन उपासना है। जो अब भारत के सभी प्रांतों में प्रचलित हो रही है सूर्य नमस्कार तन, मन और वाणी से की गई एक सूर्योपासना होती है सूर्य नमस्कार का रोज अभ्यास करने से इनकी किरणों से मिलने वाले विटामिन डी की प्राप्ति शरीर के सभी जोड़ों व मांसपेशियों को ढीला करने का तथा आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक सरल एवं प्रभावशाली अभ्यास होता है।

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सुखासन मुद्रा :
अपने दैनिक जीवन से तनाव को कम करने के लिए यह एक अच्छा और आसान योग है। इसके लिये आप ज़मीन पर पैर मोड़ कर आराम से बैठ जाइए। दोनों हाथों की हथेलियों को खोल कर एक-के ऊपर एक रख अपनी आखों को बंद कर लीजीये। इस आसन को आप रोज खुली हवा में करें। जो आपके  शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा होता है।

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लाभ :
इसका अभ्यास करने से हमारे पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है।यह रीढ़ की हड्डी मजबूत तो करता ही है। इसके साथ ही यह शारीरिक तनाव को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

वायु मुद्रा :
इस प्रकार का अभ्यास करते समय अपने हाथ की तर्जनी उंगली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगाने से वायु मुद्रा बन जाती है। हाथ की बाकी सारी उंगलियां बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।जो वायु मुद्रा कहलाती है। वायु-मुद्रा में आप अपने दोनों पैरों के घुटनों को मोड़कर इस तरह से बैठे कि आपकी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए और दोनों पैर अंगूठे के आगे से मिले रहने चाहिए। एड़िया सटी रहें। नितम्ब का भाग एड़ियों पर टिकाना लाभकारी होता है।

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वायु मुद्रा के लाभ :
इसका अभ्यास लगातार करने से आपका वायु विकार तो दूर होगा ही इस मुद्रा को करने से आपके घुटनों और जोड़ों में होने वाला दर्द समाप्त हो जाता है। कमर, रीढ़ और शरीर के दूसरे भागों में होने वाला दर्द भी धीरे-धीरे दूर हो जाता है।

ताड़ासन कैसे करें :
शारीरिक की लंबाई बढ़ाने के लिये ताड़ासन योगा काफी लाभदायक होता है इसके लिये अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाकर अपने पंजों के बल आप जमीन पर सीधे खड़े हो जाइए। फिर अपने दोनों हाथों की हथेलियों को खोलिए और अपने दोनों कानों के पास ऊपर की ओर उठाइए कमर से पैर तथा कन्धों तक के भाग को पहले की तरह रख कर अपने दोनों हाथों को ताड़ के पत्तों के समान आगे-पीछे, लेफ्ट-राईट तथा चारों ओर बारी-बारी से कीजिए। वैसे ज्यादातर हम अपनी छाती और पीठ की मांसपेशियों में कम-से कम खिंचाव ला पाते हैं. लेकिन ताड़ासन करने से छाती, कंधे और पीठ की मांसपेशियों में भी खिंचाव आता है.

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लाभ:
इस प्रकार के आसन से आपका शरीर सुडौल तो बनता ही है। शरीर की लम्बाई बढ़ती है। गर्भवती स्त्रियों को थकान नहीं होती और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है

बालासन मुद्रा :
बालासन को करने से आपके शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट की चर्बी घटती है। इस आसन को करने के लिए घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भाग आप अपने पैर की  एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक इस अवस्था में रहें और वापस सामान्य अवस्था में आ जायें।

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लाभ:
इस मुद्रा को नियमित रूप से करने से ह्रदय  रक्त संचार में वृद्धि होती हैं आपका ह्रदय मजबूत होता है, यह योग आपको तनाव से बचाता और आपकी यादाश्त में मजबूती प्रदान करने के साथ आपके दिमाग में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है।

पद्मासन :
यह आसन मन को प्रसन्न और चिंता को दूर कर एकाग्रता लाने के लिये सबसे प्रभावशाली होता है। यह आसन पेट को दुरुस्त और दिमाग की एकाग्रता को बढाने के लिये लाभकारी माना गया है। पद्मासन इसलिये कहते हैं इसके अलावा पद्मासन को अंग्रेजी में लोटस पोज भी कहते हैं। क्योंकि इस आसन में बैठने के बाद हमारी मुद्रा बिल्कुल कमल की भांति बन जाती है। इसलिए इसे कमलासन भी कहते हैं। इस आसन को करना बड़ा ही आसान है, इसलिये आप इसे बिस्तर पर बैठे – बैठे भी कर सकते हैं। कमलासन करने के लिये आप जमीन पर बैठकर बाएँ पैर की एड़ी को दाईं जंघा पर इस प्रकार रखें कि एड़ी नाभि के पास आ जाएँ। इसके बाद दाएँ पाँव को उठाकर बाईं जंघा पर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियाँ नाभि के पास आपस में मिल जाएँ। और अपनी पीठ एंव कमर से ऊपरी भाग को बिल्कुल सीधा रखें। ध्यान रहे कि दोनों घुटने जमीन से उठने न पाएँ। तत्पश्चात दोनों हाथों की हथेलियों को गोद में रखते हुए स्थिर रहें।
पद्मासन करने से हमारी रीढ़ की हड्डी बिल्‍कुल सीधी रहती है यानी पॉश्चर सुधरता है। इसके साथ ही इस प्रकार से बैठने पर हमारे जोड़ों का रक्त प्रवाह तेज़ हो जाता है।और शरीर में जमा विषैले पदार्थ और संक्रमण खून के तेज़ प्रवाह के साथ बह जाते हैं जिससे बीमारियों का ख़तरा कम हो जाता है। इसके अलावा इसे करने से शरीर में एकाग्रता बढ़ती है।

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शवासन :
यह आसन अपने शरीर को शिथिल करने वाला आसन होता है।जो शरीर,मन और आत्मा को नवस्फूर्ति प्रदान करता है।इस आसन को करने के लिये आपको बस पीठ के बल लेट जाना है।और अपने पैरों को ढीला छोड़कर हाथों को शरीर से सटाकर बगल में रख लें। शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें। अब शरीर के हर एक अंग पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्हें बिल्कुल शांत एवं स्वस्थ महसूस करें ।क्योकि शवासन में आपका मन जितना अधिक शांत एवं एकाग्र होगा उतना ही अधिक लाभ होगा।

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लाभ:  
इस आसन के करने से अनेक रोग तो दूर होते ही है इससे शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है। और तनाव ग्रस्त रहने वालों के लिये ये आसन बहुत ही लाभदायक है। शवासन से मानसिक बीमारियां जैसे डिप्रेशन, हिस्टीरिया, चिंता, घबराहट, अनिद्रा आदि में लाभ होता है। शवासन से मन की बैचेनी, घबराहट, तुरंत दूर होती है।

बितिलासन काऊ पोज :
बितिलासन हमारे बैकपेन को दूर कर,लचीलेपन में सुधार करने और पीठ को मजबूत बनाने के लिए बहुत अच्छा आसन है। यह आपके यौन जीवन को और अधिक प्रभावी और सक्रिय बनाने में मदद करता हैं। इसे  करने के लिए पैर और हाथ को जमीन के सहारे टिका दीजिए, आपका पूरा शरीर सीधा होना चाहिए। दोनों हाथों और घुटनों पर टिका कर मुंह सामने की ओर रखें।जिससे की आपका पोज एक गाय की तरह बन जाएगा। इस आसान को काऊ पोज के नाम से भी जाना जाता है।

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वीरभद्रासन :
इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच में थोड़ा गैप रखें।
अब सांस खींचते हुए दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर आकाश की ओर ले जाएं। अब बाएं पैर को आगे आगे बढ़ाएं और दाएं पैर को 45 से 60 डिग्री का कोण बनाते हुए पीछे ले जाएं। शरीर को अच्छी तरह स्ट्रेच और कोशिश करें कि छाती छत की ओर उठे।(वैकल्पिक) चाहें तो धीरे-धीरे दाएं दाएं पैर को उठाएं और सिर व हाथ को नीचे सामने की ओर लाएं जिससे हाथ और दाएं पैर में 180 डिग्री का कोण बन सके।
अब सामान्य अवस्था में आ जाएं।आसन को दाएं पैर को बढ़ाकर दोहराएं।

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लाभ:
वीरभद्र आसन की प्रथम मुद्रा के अभ्यास से पैरों में दृढ़ता आती है.जिनके पैरों में कम्पन महसूस होता है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है.वीरभद्र आसन से बाहों एवं कंधों में खींचाव होता है साथ ही छाती भी फैलती है जिससे फेफड़ों के लिए भी यह आसन लाभप्रद होता है.इस योग से अंगों में संतुलन और सहनशीलता भी बढ़ती है.
वृक्षासन-

वृक्षासन का मतलब होता है।अपने शरीर की मुद्रा को वृक्ष के समान दृढ़ रखे। सबसे पहले आप अपने दाएं पैर को जमीन पर दृढ़ता को साथ जमा ले इसके बाद बायें पैर को धीरे धीरे उठाते हुये दायें पैर के घुटने के ऊपर ले जाकर रखें।और शरीर को सतुंलन बनाये रखने के लिये दोनों हाथों को सिर के उपर ले जायें और इस प्रकार 2 मिनिट तक रखे रहे।

वृक्षासन से लाभ :
यह आसन हमारे पैरों के घुटनों व पैरों को मजबूत बनाता है।और शरीर को सुडौल बनाने में मदद करता है

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भुजंगासन :
इस आसन के करने से हमारे शरीर की आकृति सापं के समान दिखाई देती है।जिस कारण इसे भुजंगासन या सर्पासन भी कहा जाता है। और अंग्रेजी में इसे कोबरा कहते हैं इस आसन के करने के लिये आप पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब दोनों हाथ के सहारे शरीर के कमर से ऊपरी हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन कोहनी मुड़ी होनी चाहिए। हथेली खुली और जमीन पर फैली हो। अब शरीर के बाकी हिस्सों को बिना हिलाए-डुलाए चेहरे को बिल्कुल ऊपर की ओर कीजिए, कुछ समय के लिए इस स्थिति में रहें।

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लाभ:
इस आसन को करने से हमारे शरीर की रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है पीठ में लचीलापन आता है। इसके अलावा फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा आसन है इसके साथ ही यह पेट की चर्बी घटाने में मदद भी मिलती है।

अर्द्ध कपोतासन(कबूतर पोज) :
हमारे शरीर की खूबसूरती को बनाये रखने के लिये यह व्यायाम काफी अच्छा माना गया है।यह हमारे शरीर की बढ़ती चर्बी को कम कर उसे सुडौल और आकर्षक बनाता है।हमारे शरीर का बढ़ता फैट्स चाहे वो पेट का हो या फिर जाघों का इस प्रकार के आसन करने से शरीर का फैट्स कम होने के साथ सुडौल और आकर्षक बनता है।इस आसान को करने के लिए आप घुटने के बल बैठ जाएं और दाएं पैर के घुटने का आगे लाते हुए ऊपर उठाएं. इसके बाद बाएं पैर को पीछे की ओर फैलाएं और दोनों पंजों को जमीन पर रखकर, पूरे शरीर का भार उन पर ही छोड़ दें. अब गहरी साँस लेते हुए दोनों हाथों को जोड़कर ऊपर की ओर उठाएं जिससे शरीर का अग्र भाग स्ट्रेच हो. इस पोजीशन में 30 सेकंड से एक मिनट तक रहे और फिर दूसरे पैर से अभ्यास करे।

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कुंभकासन (मुद्दा पोज) :
यह आसन शरीर को मजबूत बनाने के साथ एब्स बनाने के लिये भी काफी अच्छा माना गया है।इसलिये ये आसन भले ही आसान हो पर इसे योग के सबसे असरदार आसनों में से एक माना जाता है।इसे करने के लिये चटाई पर पेट के बल लेट जाएं। और अपनी हथेलियों को अपने चेहरे के आगे रखें और पैरों को इस तरह मोड़ें कि पंजे जमीन को धकेल रहे हों। अब हाथ को आगे की तरफ पुश करें और अपनी पुष्टिका को हवा में उठाएं। आपके पैर ज़मीन से यथासंभव सटे होने चाहिए और गर्दन ढीली होनी चाहिए। इसके बाद सांस अन्दर की ओर लें और अपने धड़ को इस तरह नीचे ले जाएं कि आपकी बांहों का बल ज़मीन पर लग रहा हो ताकि आपकी छाती और कंधे सीधा उन पर टिके हों। इस मुद्रा में तब तक करते रहें जब तक सहज हो। आसन से बाहर आने के लिए आप अपनी सांस छोड़ें और आराम से शरीर को फर्श पर लेटने दें। ये शरीर को मजबूत बनाने के साथ एब्स बनाने के लिये भी काफी अच्छा है।

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अष्टांगासन :
इस आसन का अभ्यास खड़ा रह कर किया जाता है। इस आसन से सिर, कमर पैर एवं रीढ़ की हड्डी का व्यायाम होता है। खड़े रहकर योग का अभ्यास करने के बाद इस मुद्रा का अभ्यास करना विशेष लाभप्रद होता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं, सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं। शरीर को ऊपर खींचे, कूल्‍हों से शरीर को आगे की ओर झुकाएं। अब सिर और गर्दन को आराम की मुद्रा में जमीन की ओर रखें और कूल्‍हों को ऊपर की तरफ उठायें। इस स्थिति में एक मिनट तक रहें।

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अधोमुखश्वानासन :
इस आसन के करते समय अपनी श्वास को धीरे-धीरे बाहर की ओर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। और अपने शरीर को पीछे की ओर खीचाव दें एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। अपने नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। इस आसन को करने से य़ह पोचन प्रणाली को स्वस्थ करने के साथ यह मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और सिर दर्द तथा तनाव से राहत दिलाता है।और इसके अलना यह शरीर का मोटापा को भी कम करता है।क्योकि कमर पर चढ़ी चर्बी की परत को दूर कर उसे पतली और आकर्षक बनाता है।य़ह इन्सुलिन की मात्रा को भी व्यवस्थित करने में सहायक होता है।

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बैठा मोड़ना :
यह योगा हमारे दैनिक तनाव को कम करने में मदद करता है। यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिये काफी लाभप्रद साबित हुआ है। इस आसन से आपके शरीर के पेट, पीठ और रीढ़ की हड्डी और समग्र रक्त परिसंचरण के लिए फायदेमंद है।  इसे करने के लिए आप अपने पैरों को सामने फैलाकर बैठें। और अब अपली हथेलियों को घुटनों पर रखकर सांस भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं व कमर को सीधा कर ऊपर की तरफ खीचें।इसके बाद सांस निकालते हुए आगे की तरफ झुकें व हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़कर माथे को घुटनों पर लगायें। यहां घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। कोहनियों को जमीन पर लगाने का प्रयास करें। आंखें बंद कर सांस को सामान्य रखते हुए थोड़ी देर के लिए रोकें, फिर सांस भरते हुए वापस आ जाएं।

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क्या योग व्यायाम फायदेमंद है
हमारा जीवन भौतिक एवं आत्मिक शक्तियों का एक अद्भुत संयोग है। जो हमारे जीवन के जीवन के बेहतर संचालन के लिए दोनों शक्तियों का संतुलन होना अति आवश्यक है।आज के माहौल में हमने इस आत्मिक उन्नति को नजरअंदाज-सा कर दिया है। और इसके अभाव में आत्मविश्वास एवं इच्छाशक्ति में कमी आ जाती है। परिणामस्वरूप जीवन नारकीय, दुखपूर्ण, वेदना तथा निराशा से भर जाता है। योग के अभ्यास से खोई हुई आत्मशक्ति को पुन: जागृत किया जा सकता है। य़ोग हमारे जीवन में खुशहाली लाने के एक माध्यम है।जिससे हमारा शरीर निरोग और स्वस्थ होकर अपना खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते है।

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योगासन से कम करे शरीर का भार
मनुष्य को प्रकृति की ओर से संतुलित और खुबसुरत शरीर मिलता है, । गलत रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण इस शरीर को बेडौल बना लेता है। वैज्ञानिक में  मोटापा हम उसे कहते हैं जिसमें शरीर का वजन आपकी ऊँचाई के हिसाब से ज्यादा हो ।आज के दौर में ये एक बीमारी के रूप में तेजी से फैल रहा है।

• कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट के लटकने से मांसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं, हाथों व जाँघों का थुलथुला हो जाना- ये सभी लक्षण मोटापे के रूप में दिखते हैं। मोटे व्यक्ति अधिकांशतः कब्ज के कारण पीड़ित रहते हैं और उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द, गठिया, घुटनों में दर्द की संभावना भी अधिक होती है।

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