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पूरब की बेटी और मिसाइल मदर के रूप में पहचानी जाने वाली बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा

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भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने तेज से भारत में अपनी जो छवि बनाई थी उससे सिर्फ देश में नहीं, विदेशों के लोग भी थर्राया करते थे। ऐसी मिसाल बनीं इस महिला को लोग आयरन लेडी के नाम से जानते थे। कुछ इसी प्रकार से पकिस्तान की पहली प्रधानमंत्री बनने वाली बेनजीर भुट्टो ने भी अपनी एक खास छवि बनाई थी।

आइए जानते हैं मिसाइल मदर के रूप में जानी जाने वाली स महिला के जीवन से जुड़ी कुछ बातों को-

Benazir Bhutto 3Image Source:https://ce85d19d27bcd4580648-f08455577a10cebd8677ed53887ae045.r1.cf2.rackcdn.com/

जन्म-

बेनज़ीर भुट्टो का जन्म 21 जून 1953 को पाकिस्तान के धनी ज़मींदार परिवार में हुआ था। बेनजीर का लालन पालन काफी अच्छे तरीके से हुआ था। बचपन से आधुनिक विचारों वाली इस सुंदर सुशील लड़की को कई नामों से पुकारा जाता था। कोई उन्हें शहज़ादी कहता था, तो कोई मोहतरमाए बीबी या मिस साहिबा। माता-पिता लाडली होने के कारण उन्हें पिंकी कहकर पुकारते थे। ये अलग-अलग नाम और उनसे जुड़ी छवि लोगों के दिल में भ्रम पैदा करती थी।

शिक्षा-

धनी ज़मींदार परिवार से होने के कारण बेनजीर की पढ़ाई विदेशों में हुई। इनकी प्रारंभिक शिक्षा कराची में हुई। इसके बाद 1969 से 1973 तक उन्होंने रैडक्लिफ़ कॉलेज में पढ़ाई की। उसके बाद हॉवर्ड विश्वविद्यालय से कला स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में उन्होंने इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी अंतर्राष्ट्रीय कानून, दर्शन और राजनीति विषय का अध्ययन किया। ऑक्सफ़ोर्ड में अध्ययन के दौरान वे ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन की अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली एशियाई महिला थीं।

बेनजीर का अफेयर-

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान इमरान और बेनजीर एक दूसरे से मोहब्बत करने लगे थे। इतना ही नहीं दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता भी था। इमरान अपने इस रिश्ते को लेकर काफी सीरियस थे। उन्होंने बेनजीर को अपनी अम्मीजान से मिलवाया भी था। बाद में बेनजीर राजनीतिक और पारिवारिक दबाव के चलते इमरान से दूर हो गईं।

सैंडफोर्ड ने अपनी पुस्तक के लिए इमरान और उनकी पूर्व पत्नी जेमिमा दोनों का इंटरव्यू लिया था, जिसके बाद यह बात सामने आई थी। हालांकि इमरान खान ने इसका खंडन किया था।

पिता की फांसी के बाद राजनीति में प्रवेश-

1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो को अपने साथी की हत्या करने के आरोप में बंदी बना लिया गया था। तख्तापलट के बाद सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने उनको बंदी बना लिया और शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली। अपने सहयोगियों की हत्या करवाने के आरोप में 1979 में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दे दी गई। इसके बाद बेनजीर को हिरासत में ले लिया गया। 1977 से 1984 के बीच वह कई बार जेल गईं। बाद में वह लंदन जाकर रहने लगीं।


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पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में-

अपने वतन लौटने की इच्छा के बाद बेनजीर पाकिस्तान वापस लौटीं तो उनकी उर्दू टूटी फूटी और चाल ढाल में अंग्रेजियत थी। बेनजीर ने जल्द ही सभी के बीच अपनी अच्छी खासी जगह बना ली। लोगों को उनके प्रति उम्मीद नजर आने लगी। बहुत थोड़े समय में लोगों की पसंदीदा नेता बन कर बेनजीर भुट्टो 1988 में भारी मतों से चुनाव जीतकर पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। करीब 2 साल के बाद ही 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें बर्खास्त कर दिया।

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अपनी हर चुनौती का सामना करते रहने के बाद 1993 में वह फिर चुनाव जीतीं और दोबारा प्रधानमंत्री का पद संभाला, लेकिन 1996 में एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोप का शिकार बन गईं। लगातार होने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहीं बेनजीर ने आखिर 1999 में पाकिस्तान छोड़ ही दिया और दुबई, लंदन में रहने के लिए मजबूर हो गईं।

पाकिस्तान की ‘मिसाइल मदर’-

बेनज़ीर ने अपने ख़ुफ़िया प्रमुख और वैज्ञानिकों से बात कर परमाणु संवर्धन तकनीक की सीडी बनवाई। उत्तर कोरिया की राजकीय यात्रा के दौरान उसे अपनी जेब में रखकर प्यॉन्गयॉन्ग ले गईं। जब वो प्यॉन्गयॉन्ग से वापस आईं तो उसी जहाज़ में पूरी की पूरी नोडॉन्ग मिसाइल अपने साथ ले आईं।

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अंतिम रैली यात्रा- बार-बार अपने वतन की याद सताने के कारण 2007 में वह चुनावों की तैयारियों के लिए फिर पाकिस्तान लौंटी। दो बार सत्ता संभाल चुकीं बेनजीर जब तकरीबन आठ साल के निर्वासन के बाद वतन लौटीं तो लगा कि पाकिस्तान की जनता उनकी राहों में फूल बरसाने के लिए तैयार बैठी थी। निर्वासन के लंबे दौर ने भी न तो उनके करिश्मे को कम किया, न उनकी पार्टी की ताकत को। पर किसे इस बात का अंदाजा था कि वतन लौटना उनके लिए काल बनने के समान था। उनकी विरोधी ताकतें पहले ही अपना जाल फैला चुकी थीं। जिसकी भनक शायद भुट्टो को भी लग चुकी थी। आखिरकार 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के बाद एक आत्मघाती हमले ने उन्हें हमेशा का लिए मौत की नींद सुला दिया।

भारत के साथ संबंध-

बेनजीर ने पहली बार जब पाकिस्तान की बागडोर संभाली उस वक्त राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे। दोनों युवा नेता थे और उनकी अच्छी बनती थी। राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो की वजह से दुनिया में दक्षिण एशिया की भी अच्छी पहचान बनी।

राजीव गांधी की हत्या से अराफात और बेनजीर भुट्टो को लगा सदमा-

राजीव गांधी की हत्या पूरे देश के लिए एक सदमा थी। वो दिन भारत के लिए एक मनहूस दिन था। राजीव गांधी को अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद लोगों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, फीलस्तीनी नेता यासिर अराफात, बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया भी वहां मौजूद थीं। गमगीन चेहरे तो सबके दिख रहे थे, लेकिन जैसे ही राहुल ने राजीव को मुखाग्नि दी अराफात और बेनजीर भुट्टो फूट-फूट कर रोने लगे और अपना सिर नीचे झुका लिया। शक्ति स्थल पर फ्यूनरल का कार्यक्रम करीब दो घंटे चला। इस दौरान कई बार इन नेताओं की आंखें भर आती थीं। यासिर अपने सिर पर बंधे कपड़े और बेनजीर अपने दुपट्टे से आंसू पोछती रहीं। राजीव और बेनजीर में बड़ी अच्छी केमेस्ट्री थी और दोनों के राष्ट्राध्यक्ष रहते भारत-पाकिस्तान के संबंध भी अच्छे हुए।

Image Source:https://i1.tribune.com.pk/

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