Home स्वास्थ्य सफल मातृत्व के लिए संतुलित आहार – Balanced Diet for successful Motherhood

सफल मातृत्व के लिए संतुलित आहार – Balanced Diet for successful Motherhood

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गर्भावस्था का समय हर महिला के जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है। हर महिला अपना बच्चा सुंदर और स्वस्थ चाहती है। ये तभी हो सकता है जब वह कुछ बातों पर अमल करें। ये देखा गया है कि गर्भावस्था के शुरू के तीन महीनों में कई महिलाओं को जी मचलाने या मितली आने की शिकायत होती है। इस अवधि में सुबह बिस्तर से निकलने से पहले ही सूखा बिस्किट खाने से यह समस्या दूर होगी। इसके साथ चाय-कॉफी और हल्का खाना, फल, सलाद खाते रहें। बच्चे के समुचित विकास के लिए मां की खुराक में ज्यादा कैलोरी, प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम आवश्यक है।

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 विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खायें-

ज्यादातर महिलाओं में देखा गया है कि खाने में लापरवाही बरतने से और शरीर में लौह तत्व की कमी से एनीमिया हो जाता है। इससे बचने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, सलाद खाना आवश्यक है। इसके साथ ही खाने में प्रोटीन की आपूर्ति के लिए दालों और अंकुरित अनाज भी खाना आवश्यक है। यदि चार-पांच प्रकार की दालें मिलाकर बनाएं तो अच्छा है। इनके अलावा मूंगफली, छोले, राजमा, भुने चने और हो सके तो सूखे मेवे का नियमित सेवन करना चाहिए। सोयाबीन भी प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है।

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 कैल्शियम के लिए आहार में रोज प्रचुर मात्रा में दूध, दही या मट्ठा होना चाहिए। कैल्शियम की कमी अधिक हो तो कैल्शियम की गोली भी लेनी चाहिए।

पूरी नींद लें-

हर गर्भवती महिला को पूरी नींद लेनी चाहिए। कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें। इसके साथ दिन में भी एक-दो घंटा आराम करना चाहिए।

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खूब पानी पीयें-

 गर्भावस्था के दौरान शरीर में पानी की कमी बिल्कुल नहीं होनी चाहिये। अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है़। इसलिए दिनभर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं। साथ ही घर में नारियल का पानी या फलों का जूस बना कर भी नियमित अंतराल पर पीती रहें। बाहर का जूस या पानी आदि न पिएं।

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संतुष्टिपूर्ण भोजन करें-

गर्भावस्था के दौरान खाने के लिये किसी भी प्रकार के नखरे ना करते हुये आप अपनी और अपने होने वाले बच्चे की तंदुरुस्ती के लिये भरपूर पोषण युक्त डाइट लें। गर्भवती महिला का भोजन प्रोटीन, विटामिन व मिनरल युक्त होना चाहिए। क्योंकि उस समय आप का खाया हुआ आहार आपके लिये ही नहीं बल्कि आपके बच्चे के लिये भी होता है। इसलिये खाने में किसी भी प्रकार की कमी नहीं करनी चाहिये।

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धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें –

कहते हैं कि बच्चे की पहली पाठशाला उसकी मां होती है। जब बच्चा गर्भ में पल रहा होता है तो हमें अपने आचार-विचार भी सकारात्मक रखने चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर हमारे बच्चे पर पड़ता है। इन दिनों में मां का रहन-सहन, खान-पान, बोल-चाल यहां तक की हमारी सोच का असर भी हमारे बच्चे पर पड़ता है। इसलिये हमें गंदी आदतों जैसे धूम्रपान और शराब आदि के सेवन से बचना चाहिये।

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डॉक्टरी जांच-

अपनी डाक्टरी जांच समयानुसार कराएं। सबसे पहले मासिक धर्म रुकने के तुरंत बाद ही डॉक्टरी जांच करवाकर आप निश्चिंत हो जाये कि आप गर्भवती हैं या नहीं। उसके बाद हर महिनें के अतरांल में चेकअप करवाते रहना चाहिये क्योंकि बच्चे की ग्रोथ दिन-प्रतिदिन बढ़ती है। उसके आकार और वजन की जानकारी लेते रहना चाहिये। इसके बाद नवां महीना लगने पर हर हफ्ते जांच की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर कम से कम दस बार जांच होनी चाहिए।

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सलाह के अनुसार परीक्षण-

अगर आप सोनोग्राफी के जरिये बच्चे के बारे में जानना चाहती है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार परीक्षण और आवश्यकतानुसार ही सोनोग्राफी करायें। सोनोग्राफी की पहली जांच डे़ढ़-दो महीनें की गर्भावस्था में ही की जाती है। इससे भ्रूण की स्थिति के सही निदान के साथ ही प्रसव की सही तारीख का भी पता चल जाता है। इसके बाद चौथे महीनें में यानी कि सोलह से अठारह हफ्ते में सोनोग्राफी करवाकर गर्भस्थ भ्रूण के अंदर कोई जन्मजात गड़बड़ी तो नहीं है जैसे कि हृदय, सिर में, रीढ़ में या पेट में गड़बड़ी हो तो उन्हें देख लिया जाता है।

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सांतवे आठवें महीनों में रहें सावधान –

सबसे सावधानी वाला महीना सातवां-आठवां होता है। विशेष रूप से इस महीनें में सोनोग्राफी से गर्भनाल की स्थिति, शिशु का वजन, बच्चेदानी के अंदर का पानी सभी की जांच करवा लेनी चाहिये। इससे आने वाली परेशानियों से सही समय पर बचा जा सकता है।

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व्यायाम करें-

व्यायाम शरीर के लिये बेहद जरूरी होता है इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके अलावा इससे शरीर की ऊर्जा और कार्यक्षमता के साथ-साथ मानसिक दक्षता भी बढ़ती है। शरीर के प्रत्येक अंग एवं अवयव ऊर्जावान होते हैं। जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। व्यायाम से शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ती है और प्रसव के दर्द से भी काफी अराम मिलता है।

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