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आसपास की हानिकारक हवाओं को करें साफ

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देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि पुरे देश में सांस से जुड़ी बीमारियों से लोग बेहाल हो रहे हैं। अस्पतालों के आंकड़ो पर नजर डालें तो पिछले पांच सालों में सांस से जुड़ी बीमरियों के काफी मरीज देखें गए है। मरीजों की संख्या पहले से 30 प्रतिशत तक और बढ़ गई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि आगामी सालों तक यह संख्या 50 प्रतिशत और भी अधिक बढ़ सकती है । एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से भारत 13वें स्थान पर आता है, वहीं दिल्ली प्रमुख शहरों में शामिल है।

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दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार भी काफी प्रयास कर रही हैं, लेकिन सरकार के प्रयास के साथ साथ अगर हम अपने तरफ से भी कोई बचाव करेंगे तो यह हमारे लिए काफी फायदेमंद रहेगा। इसके लिए बाजार में एयर प्यूरिफायर यानि कि हवा को साफ करने वाली मशीन आ चूकी है और इन मशीनों की ब्रिकी भी बाजार में काफी बढ़ चुकी है। अनेक नामचीन कंपनिया इन एयर प्यूरिफायर का निर्माण कर रही हैं, जो कि हमें साफ हवा को अपने शरीर के अंदर लेने में काफी मदद करता है।

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कैसे काम करती हैं यह मशीन
यह एयर प्यूरिफायर मशीन काफी आसानी से प्रदूषित हवा को साफ हवा में बदलकर काम करता है। इस मशीन में बहुत सारे फिल्टर लगाए जाते हैं, जो हवा को प्यूरिफाय करते हैं। इस मशीन में प्री फिल्टर, इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर, उल्पा या कैटेलिस्ट, एक्टिवेटिड कार्बन, रेज और फोटो कैटेलिटिक ऑक्सीडेशन आयोनाइजर आदि लगे होते हैं, जो प्रदूषित हवा को अंदर प्रवेश नहीं करने देते। ज्यादातर मशीनों में 4 से 7 फिल्टर होते हैं, जो आपको साफ हवा उपलब्ध कराते है और हानिकारक हवाओं का आपके शरीर में आने से रोकती हैं।

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हम जो हवा सांस लेने से अंदर लेते है, उसमें धूल ही नहीं बल्कि हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया की भी काफी अधिक मात्रा होती है। हवा में ऐसे वायरस और बैक्टीरिया के कारण व्यक्ति को हाइपरटेंशन और कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों का शिकार बनाता है। इन हानिकारक हवाओं का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। यह प्रदूषित हवाएं महिलाओं की प्रजनन करने की क्षमता को भी कम कर देता है। छोटे बच्चों के फेफड़ों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है।

कैसे चुने सही एयर प्यूरिफायर
हवा में होने वाले धूल की कणों का आकार आमतौर पर पार्टिकुलेट मैटर 10 या 2.5 या फिर इससे भी छोटे होता है। बड़े धूल के कण को तो आखों से देखा जा सकता है, लेकिन छोटे कणों को आखों से देख पाना इतना आसान नहीं है और प्रदूषित हवा में छोटे कणों की संख्या अधिक होती है। छोटे कणों के अलावा हवा में बैक्टीरिया, वायरस और धुएं की मात्रा भी मौजूद होती है। दिल्ली में खासकर अक्टूबर के महीने में प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है। जबकि यह स्तर 60 एम/सीयूएम से अधिक नहीं होना चाहिए।

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इस एयर प्यूरिफायर मशीन का काम होता है फिल्टरों के माध्यम से तेजी से प्रदूषित हवा को साफ कर देना। मशीन में लगे फिल्टरों की मदद से हवा साफ हो जाती है। मशीन यह काम एक घंटे में कर देती है। इस हवा में प्रदूषण का स्तर 50 एम/सीयूएम से नीचे आ जाता है। इसका अहसास आपको थकान में कमी और ताजगी महसूस करने से होगा। यह मशीन लगभग दस सालों तक आपका साथ दे सकती है, लेकिन इस मशीन के फिल्टर को आपको हर साल बदलना पड़ता है। इन एयर प्यूरिफायर मशीन को आप दस घंटे इस्तेमाल करके दो घंटे का विराम देकर फिर इसका इस्तेमाल कर सकते है। इन मशीनों की कीमत सात से आठ हजार तक होती है, वहीं कार में लगने वाली मशीनों की कीमत तो ढाई हजार से शुरू होती है।

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