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आज के बदलते वक़्त में हमारी रूढ़िवादी सोच : कितना सही कितना गलत?

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शादी एक ऐसा बंधन है जिससे ना केवल पति-पत्नि के बीच के संबंध बनते है बल्कि कई तरह के रिश्ते भी इससे बंध जाते है। जिसकों निभाने के लिेए पुरानें लोगों की नसीहत काफी अहमियत रखती है। पंरतु कभी कभी इनकी नसीहत नये रिश्तो के लिये तब भारी पड़ जाती है। जब इन नसीहतों की पोटली में शादी के बाद से ही जल्दी से नन्हे मेहमान के आने की गुजारिशे की जाने लगती है। पर ये आप जानते है कि पुराने  रूढ़िवादी विचारों से शादी के रिश्ते मजबूत नही होते बल्कि जल्दी ही बिखरकर टूटने लगते है। एक्प्शर्ट्स का मानना है कि आज के समय के बदलते वक़्त के साथ कपल्स को इन पुरानी नसीहतों पर ध्यान देने की बजाय परिस्थितियों के मुताबिक़ निर्णय लेने की जरूरत है। आज हम आपको बता रहे है रूढीवादी की वो नसीहते जिनसे बिखर सकता है आपका परिवार..जिन्हें मानने का दबाव आमतौर पर बनाया जाता है।

 शादी

बच्चे की सिफारिशें –

शादी के बाद बच्चा हर किसी परिवार की एक उम्मीद होती है। कि वह जल्द ही दादा दादी या नाना नानी बन जाये। लेकिन बिशेषज्ञ इस बात को न मानने की सलाह देते हैं। क्योकि उनका मानना है कि अगर पति-पत्नी के काफी कम समय से ही रोज़-रोज़ की कहा-सुनी होने लगे या फिर, ज़रा-ज़रा सी बात पर एक दूसरे के प्रति दूरियां बनने लगे। तो ऐसे समय में घर में नन्हे मेहमान के आने की योजना बनाना पूर्णत: गलत है क्योकि बच्चे के आने के बाद किसी भी व्यक्ति के स्वभाव को नहीं बदला जा सकता। इसके अलावा   बच्चे की परवरिश करना गुड्डे गुड़िया को खेल नही है। इसलिए पहले नये बने रिश्ते को मजबूत होने के लिये थोड़ा समय दें। इसके बाद ही कोई निर्णय ले।

सेक्स ही सबकुछ है –

भले ही पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती को बनाये रखने के लिए शारीरिक संबंध का होना काफी आवश्यक होता है। लेकिन इस रिश्ते की मधुरता ऐसी ही कायम रहे ये जरूरी नही है। विशेषज्ञों का मानना है। कि दोनों के बीच में जब तक एक दूसरे के प्रति  प्रेम, मान-सम्मान, के साथ एक दूसरे का ख़्याल रखना जैसी भावना ना हो, तो इस रिश्ते तो कोई नही पूरी तरह से जोड़ सकता है। इसलिये रिश्ते को चलाने के लिए सेक्स के साथ साथ एक-दूसरे की भावना को भी समझना काफी जरूरी है।

कुछ भी छुपाएं नहीं –

शादी के रिश्तों में बंध जाने के बाद अपने भूतकाल को भूल जाना ही समझदारी है। भूतकाल के समय में कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें एक-दूसरे से शेयर न करने में ही भलाई है। क्योकि जरूरी नही है कि जिन बातों को आप बताना चाह रही है आपका पार्टनर उस बात को किस रूप में ले जाये।  इसलिए ज़रूरी नहीं है कि आप अपने पुराने संबंधों को या फिर अपने परिवार की गोपनीय बातों को पार्टनर को रूबरू कराए । यदि आप जरूरी समझे तो उतना ही बताएं, जितना ज़रूरी हो।

रिश्तों के बीच मतभेद –

शादी के बाद हर परिवार में एक दूसरे के रिशतों को लेकर बाते होती है। ससुराल पक्ष हमेशा मायके पक्ष की बुराई करता है। इसलिये पति पत्नि दोनों को एक दूसरे के परिवारों का अहमियत देनी चाहिये। और उनका सम्मान करना चाहिये।

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