Home विविध शक्ति का दूसरा नाम है नारी…

शक्ति का दूसरा नाम है नारी…

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हमारी भारतीय संस्कृति ने सदैव ही महिला जाति को पूज्यनीय कहा जाता है, क्योंकि जिस तरह से एक पक्षी के पंख के बिना उसका जीवन अधूरा है, उसी तरह से इस धरती को पूर्ण करने के लिए नारी के बिना इस जग का निर्माण अधूरा माना गया है, क्योंकि नारी के बिना पुरुष की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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नारी शक्ति की बात करें, तो भले ही आज का भारत 21वीं सदी की ओर बढ़ते हुए विकास के रास्ते पर काफी तेजी से बढ़ रहा हो, पर आज भी हमारा समाज पुरुष प्रधान बनकर ही रह गया है। भारतीय समाज में महिलाओं को आज तक वह स्थान प्राप्त नहीं हो सका है, जिसकी वह हकदार रहीं है।

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भले ही महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने की बात करें, तो महिलाएं काफी पहले समय से ही पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती आ रही हैं। लेकिन आज के समय की महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा काफी आगे निकल कर काम कर रही है। चाहें फिर वो ओलंपिक हो, या कोई भी अन्य खेल, किसी भी क्षेत्र में उसकी योग्यता पुरूषों से कम नहीं आंकी गई है। आज वो सीमा पर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुश्मनों को पछाड़ने में भी अपना योगदान दे रही है।

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कई क्षेत्रों में तो भारतीय महिलाओं ने ऐसे कारनामे कर दिखाए है, जिनके बेहतर योगदान को देखते हुए देश उनके जज्बे को सलाम करता है। आज सरकार ने उनके लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया हुआ है। इस योजना में घोषित प्रथम महिला बैंक उल्लेखनीय है।

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पर इसके बावजूद भी हमारे देश में महिलाओं के प्रति हो रहें अत्याचार की चीखों ने देश पर और भारतीय नारी की सुरक्षा पर एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। दिल्ली गैंगरेप, पंजाब के तरण-तारण में सरेआम युवती की पुलिस द्वारा की गई पिटाई और पटना में महिला शिक्षकों पर किया गया लाठीचार्ज हमारे देश की दंरिदगी का सबसे बड़ा उदाहरण है।

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यदि देखा जाए तो भारतीय अबला कही जाने वाली नारी भले ही दिल से कोमल हो, पर अपनी शक्ति के सामने वो कमजोर भी नहीं है, तभी तो अपने कौशल जज्बे के दम पर उसने अपने ही देश में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान कायम की है।

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आज ये अबला नारी ही समाज और देश के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रही है। ऐसे में यदि दैत्य रूपी मानव बार-बार इस नारी जाति का संघार करेगा तो किस प्रकार से कहा जा सकता है कि महिलाओं के लिए यह देश सुरक्षित है। तभी तो नारी की बढ़ रही चीखों को सुनकर हर मां अपने आंचल को सहला कर यही कहती है कि इस देश ना आना मेरी लाडो..

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