Home स्वास्थ्य खाने-पीने की चीजों पर लगा लेबल दे रहा है बीमारियों का संकेत!

खाने-पीने की चीजों पर लगा लेबल दे रहा है बीमारियों का संकेत!

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आज के समय में बढ़ती मंहगाई के साथ-साथ मिलावट और धोखेबाजी भी अपना दंश तेजी से फैला चुकी है। जिसके बारें में हम अनजान रहते है और इस कारण बाजार की इन मंहगी चीजों को असानी के साथ आंख बंद कर खरीद लेते है पर क्या आप जानते है कि आपके द्वारा की जाने वाली यह अनदेखी ही आपके लिए कितनी मंहगी पढ़ सकती है। हम जो भी खाने पीने के सामान खरीद रहे हैं क्या आपने कभी उसमें लिखे गये लेबल को पढ़ने की कोशिश की है। इन चीजों पर मिलाया जाने वाले लेबल मे नमक, चीनी या वसा की मात्रा कितनी है खाने-पीने की चीजों पर लगे लेबल को अनदेखा करना आपकी सेहत के लिए हो सकता है खरतरनाक। जाने इसके बारे में…

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कैलोरी की मात्रा-
हमारे शरीर में कैलोरी की मौजूदगी ऊर्जा को बढ़ाने का काम करती है यदि शरीर में ऊर्जा कम होती है तो कैलोरी उसे पूरा करती है। शोध के अनुसार भी पाया गया है कि एक साधारण इंसान में शरीर 2000-2500 किलो कैलोरी का होना आवश्यक होता है और बच्चों के लिए 1000-1400 किलो के बीच कैलोरी का होना जरूरी है।

कैलोरी की मात्रा का ध्यान में रखते हुए हम आपको बता रहे है इसकी औसत गणना के बारें में… “जिन किसी चीजों में कैलोरी की मात्रा करीब 40 कैलोरी तक पाई जाती है उसे लो-कैलोरी के दर्जे में रखा जाता है। उसी प्रकार 100 कैलोरी वाली वस्तुओं को मीडियम व 250 कैलोरी वाली चीजों को हाई कैलोरी के दर्जे में रखा गया हैं।”

यदि हम नूडल्स में मिलने वाली कैलोरी की बात करते है तो इसे रोज खाने वाले लोगों को डबल मात्रा में फैट्स और कैलोरी मिल रही है, क्योंकि नूडल्स के पैकेट में दो सर्विंग नूडल्स होते है जबकि एक सर्विंग नूडल्स को एक बार में खाया जाना चाहिये पर सभी लोग दोनों को ही एक बार में खाते हैं। तो क्या आपको नूडल्स के लेबल में इस प्रकार के बारे बताया गया है। इसी प्रकार से आपको खाद्य सामग्रियों में ये देखना भी जरूरी है कि इनमे मिलने वाले समानों में चीनी, नमक और फैट की मात्रा कितनी है, क्योंकि हर विज्ञापनों स्वस्थ रखने की मिसाल देता है। जिस प्रकार से रोज पी जाने वाली “एनर्जी ड्रिंक्स में भले ही कई पोषक तत्व हों, पर उसमें मिलायी जाने वाली जो सूची में सबसे पहले लिखी जाती है, उसे चेक करना सबसे ज्यादा जरूरी होती है।

नूडल्स –
नूडल्स की सही परख की जांच करने के लिए डॉक्टर की टीम ने नूडल्स के दो सबसे चर्चित ब्रांड्स के लेबलों को परखा। जिसमें एक आटे का था तो दूसरा मैदे का पर दोनों नूडल्स के ये ब्रांड्स अपने लेबल में ‘वीट फ्लॉर’ ही लिखते हैं। जिससे पता लगाना मुश्किल था कि कौन सा मैदे का है और कौन सा आटा का। इसके बाद दोनों ब्रांडों ने सोडियम की मात्रा को किसी तरह से स्पष्ट नहीं किया क्योंकि दोनों पैकेट्स पर नमक की मात्रा तीन अलग-अलग तरह से बताई गई है। पर इसका प्रतिशत या मात्रा कितनी ली गई है दोनों ही पैकेट्स पर नहीं लिखी गई जो सबसे बड़ा धोखा है।

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डाइजेस्टिव बिस्किट्स –
डाइजेस्टिव बिस्किट्स जिसे स्वास्थवर्धक बताकर काफी प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है। लेकिन प्राप्त शोधों के अनुसार ये आपके लिए कितनी स्वास्थवर्धक है जानते है इसके बारें में, यदि आपने साबुत ओट्स का स्वाद चखा होगा तो पाया होगा कि काफी बेस्वाद सी लगती है। जिसमें ना कोई मिठास होती है ना ही कोई स्वाद पर बिस्कुट का रूप देते समय ओट्स में चीनी का सिरप का इतना मिला दिया जाता है कि यह बाजार में उतरने के बाद सबके मन की चाहत बन जाते हैं। आप खुद ही दिमाग पर जोर डाले की बिना किसी स्वाद की ओट्स कैसे इतनी टेस्टी हो जाती है।

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कोल्ड-ड्रिंक्स –
कोल्ड-ड्रिंक्स जो आज हर किसी के मन की एक खास पसंद बन चुकी है। जिस पर की गई जांच के मुताबिक डॉक्टर्स की टीम ने सबसे लोकप्रिय दो ब्रांड्स के कोल्ड-ड्रिंक्स की जांच की। जिसमें उन्होंने सबसे पहले दोनों के लेबल पर लिखी गई शक्कर की मात्रा पर गौर किया, जो अलग-अलग थी , किसी में 100 मिली तो किसी में 10.4 ग्राम और 11 ग्राम शक्कर का उपयोग किया गया था। जो हर किसी के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकती है। इसका बाद दोनों ही बोतलों पर लिखे लेबल्स एसिडिटी रेगुलेटर 338 के मानक के बारे में भी देखा गया। जिसमें पाया गया कि इस कोल्डड्रिंक में प्रीजर्वेटिव फॉस्फोरिक एसिड अधिकता होने के कारण ये शरीर की हड्डियों को खत्म करने का काम करती है। इससे हड्डिया कमजोर होने लगती है। जिससे ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे बढ़ जाते है। इसके साथ ही इसमें कैफ़ीन और एसपारटेम नामक पदार्थ मिलाया जाता है। तो सीधे बच्चों के दिमाग में बुरा असर डालता है।

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कॉर्नफ्लैक्स –
घरों में बच्चों को नाश्ते के रूप में दिया जाने वाला पौषित तत्व कॉर्नफ्लैक्स लोगों की सबसे खास पसंद बनती जा रही है। पर क्या जानते हैं कि यह बच्चों को दिया जाने वाला कितना आपौषित आहार है, क्योंकि कार्न में जितने पौष्टिक गुण पाये जाते है वो कॉर्नफ्लैक्स को तैयार करने के दौरान पूरी तरह से नष्ट हो जाते है। साथ ही इसमें चीनी और नमक की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है। इन कॉर्नफ्लैक्स सामग्रियों में सबसे खास चीज यही होती है कि इसमें आयरन, विटामिन और फोलेट, जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।

फ्रूट जूस –
बाजार में मिलने वाले इस फ्रूट जूस को बनाने के दौरान इसमें फलों के रस के साथ ही मैग्नीशियम, कैल्शियम, और फॉलिक एसिड की भरपूर मात्रा को भी मिलाया जाता है। परन्तु इसके प्रोसेसिंग के दौरान फलों के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए इसे इतना प्रोसेस किया जाता है कि फलों से मिलने वाले पौषक तत्व पूरी तरह से नष्ट हो जाते है। इसके अलावा इसके मीठास को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक चीनी की मात्रा जो सिर्फ़ 2.5 ग्राम होती है इसमें अलग से 12.5 ग्राम चीनी मिलाकर इसका स्वाद बढ़ाया जाता है। जो कि इन चीजों को लेबल में शो नहीं किया जाता और उस जूस का सेवन करने से मधुमेह की समस्या के बढ़ने के खतरे पैदा हो जाते है।

पीनट बटर और चॉकलेट स्प्रेड –
सुबह के नाश्ते में ब्रेड से साथ ली जाने वाली पीनट बटर या चॉकलेट स्प्रेड जिसे लोग बड़े ही चाव के साथ खाना पसंद करते है पर क्या आप जानते है कि ये आपके शरीर के लिए किस तरह से फायदेमंद है। डॉक्टर्स की जांच के मुताबिक जब दोनों के लेबलों की जांच की गई तो इसमें पाया गया कि पीनट बटर में 91% मूंगफली की मौजूदगी होती है जबकि चॉकलेट स्प्रेड में सबसे ज्यादा मात्रा चीनी की होती है। यदि देखा जाये तो ये बाते दोनों के पैकेट में इन सामग्रियों के मिलाए जाने वाले प्रतिशत नदारद है। फायदे की दृष्टि से देखा जाये तो चॉकलेट स्प्रेड की अपेक्षा में पीनट बटर काफी फायदेमंद है, क्योंकि यह प्रोटीन व अनसैचुरेटेड वसा का बेहतरीन स्रोत है।

इसके बाद दूसरी जांच में बताया गया है कि पीनट बटर में हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल ऑयल मिला होता है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाकर दिल की बीमारी पैदा करता है। वहीं दूसरी ओर चॉकलेट स्प्रेड की जांच में इसके अंदर चीनी की भारी मात्रा के साथ वेजिटेबल ऑयल की अधिकता पाई जाती है। जो स्वास्थ के लिए काफी नुकसानदेह साबित होती है। दोनों के लेबल में किसी की भी मात्रा को नहीं लिखा जा रहा है और ना ही इसमें नमक/सोडियम के प्रतिशत के बारें में लिखा गया है।

चिप्स –
बच्चों के पसंदीदा चिप्स के बारे में जानने के लिए डॉक्टर ने दो ब्रांड के चिप्स को जांच के लिए चुना। जिसमें उनके लेबलों के बारे में देखा गया। इसमें पाया गया कि “दोनों के पैकेट्स ही कार्बोहायड्रेट और सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर हैं। प्रोटीन का उपयोग इसमें नाममात्र के लिए (6 ग्राम एंव 7.8 ग्राम) के लिए किया गया है।” आलू और कॉर्न का उपयोग होने के कारण इसमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता पाई गई है। इसके अलावा इसमे चीनी की मात्रा के साथ फ्रुक्टोज़ भी सबसे अधिक होता है जो कार्बोहायड्रेट के स्तर को बढ़ाकर और अधिक नुकसानदायक बना देता है।

सबसे बड़ी बात पर गौर किया जाये तो इन दोनों चिप्स के पैकेट के लेबलों से सोडियम की मात्रा का होना नदारद है जबकि नमकीन से बनी इन चीजों में सोडियम की मात्रा की मौजूदगी को लेबल पर ना देना लोगों को हैरान करने वाला है।

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