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माता-पिता बच्चों के साथ कभी भी ना करें ये गल्तियां

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माता-पिता बनना अपने आप में एक बेहद खूबसूरत पल होता है, हालांकि, पैरेंट्स बनना इतना आसान काम भी नहीं है। क्योकि हर माता पिता को बनने के साथ बच्चों को अच्छे आचरण में ढालने के लिये मुश्किल ज़िम्मेदारियों के साथ पालन-पोषण करना होता है! क्योकि आपके द्वारा कहे शब्द बच्चों को अच्छा या बुरा बना सकते है। बच्चों के मानसिक विकास में परिवार का सबसे बड़ा योगदान होता है इसलिये उन्हें अच्छे आचरण में ढालने के लिये काफी कुछ सोच विचारकर कदम उठाने पड़ते है चलिये आज हम आपको माता पिता की कुछ उन गल्तियों के बारें में बता रहे है जिसका असर सीधे बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ता है।

1. रोना बंद करो

रोना बंद करो

हर बच्चे की आदत होती है कि थोड़ी से तकलीफ में होते ही वो रोककर अपने फीलिंग्स को जाहिर करते है इस दौरान यदि माता पिता उसकी भावनाओं की कद्र ना करते हुए जब बच्चे को रोते हुए देखते हैं तो “रोना बंद करें” कहते हैं। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह आपके बच्चे को सांत्वना देने के लिए यह कहना एक अच्छा वाक्यांश है? यह शब्द का इस्तेमाल करके आप बच्चे को चुप नही करा रहे है बल्कि उसकी भावनाओं को भी दबाने की कोशिश कर रहे है। जिससे वह बाद में अक्रामक भी हो सकता है। इसलिये आप इन शब्दों को कहने के बजाय, बच्चे को रोने का कारण पूछें। उससे बातचीत करें। ऐसा करने से, आप उसकी भावनाओं को पहचानेगें।

2. बच्चों को ये शब्दों को कहना बंद करें जैसे “अपने दोस्तों को देखें”

आम तौर पर हर पेरेट्स की आदत होती है कि बच्चों की किसी भी बात को दबाने के लिये वो अक्सर दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करने लग जाते है। ये बात लगभग सभी ने अपने बचपन में अपने माता-पिता से सुनी भी होगी! अपने बच्चे की तुलना दूसरों के साथ करना वास्तव में उसे उसकी बातों को समझने का एक गलत तरीका है। इन शब्दो को कहकर, आप अपने बच्चे को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर रहे हैं। उनके आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को ठेस पहुचाने का काम रहे है। इसलिए, जब भी आप अपने बच्चे को कुछ भी बताना चाहते हैं, तो उन्हें ये बताये कि आप बेहतर कर सकते हैं और उसकी क्षमताओं के साथ उसके मनोबल को बढ़ाने की कोशिश करें। हमेशा इस बात को याद रखें, आपका बच्चा हर किसी से अलग है और उसकी अपनी प्रतिभा है! उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें।

3. बड़ी उम्र के बच्चों को ट्रीट करने का गलत तरीका

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते है उसकी आदते भी उसी के अनुरूप होने लगती है । बच्चों को उनकी उम्र के अनुरूप ही समझाना चाहिये। ये जरूरी नही है तो बड़े कहें वो ही सही होता है उनकी भावनाओं को भी समझने की कोशिश करना चाहिये। यदि आप अपने टीनेज बच्चे को टॉडलर की तरह ट्रीट कर रही हैं तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ हर बच्चे को आजादी चाहिए होती है इसलिए, ऐसे वाक्यांशों से बचना माता-पिता का कर्तव्य है। इसके बजाय, उन्हें कहना चाहिए, “अपने माता-पिता की बात सुनो”। ऐसा करके, आप उन्हें एक महत्वपूर्ण सोच विकसित करेंगे।

4. हम घर पर बात करेंगे!

 

जो बच्चे शरारत ना करें, तो वह बच्चा कैसा। बच्चे तो शरारती होते ही है। पर उनकी शरारतो से परेशान होकर उन्हें धमकाना या शारीरिक दंड देना ठीक नही है इससे बच्चे के मानसिक स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आपके धमकाने वाले शब्द की “घर चलो फिर बात करते है’ ये शब्द उनके अदंर डर पैदा कर देते है। उनके मन में बात बैठ जाती है कि घर पर माता पिता कैसा वर्ताव करने वाले है। क्योकि घर वह जगह है जहां आप उन्हें दंडित करने जा रहे हैं। इस तरह के एक धमकी भरे शब्द का उपयोग ना करें। बल्कि करने के बजाय समझाने कि आप कहां पर गल्ती कर रहे है। उनको उनकी गल्ती के बारें में प्यार से समझाये। जिससे आपको परेसानी हुई है। आपके शब्दों को सुनकर, बच्चे को अपनी गलती का एहसास होगा और फिर से वही गलती करने से पहले दो बार सोचेंगे!

5. लालची मत बनो!

अक्सर आप जब अपने बच्चे को कोई खाने की चीज देते है बच्चा किसी के साथ शेयर ना करके अकेले ही खाने लगता है तो आप उसे लालची कहकर डांटते है जो कि गलत है। ऐसे शब्दों का उपयोग ना करें। खासकर बच्चे के लिये। क्योकि जब शेयर करने की बात पर आप जोर देती है तो वह सोचने लगता है कि इस समान के साथ उसे सब कुछ साझा करना होगा। उसे शेयर करने के लिये जोर ना डाले। बल्कि बातों से उसे समझाने की कोशिश करें।

6. अभी तुम बहुत छोटे हो

अक्सर बच्चे अपने माता पिता से अजीबों गरीब से सवालों पूछ बैठते है जिसका जबाब हमारे पास ना होने से हम बचने की कोशिश करते है या फिर ये कहकर टालते है कि ” इस बारे में जानने के लिए आप बहुत छोटे हैं”। लेकिन क्या आपको लगता है कि इस तरह से बचना एक सही तरीका है? जबति आप इन शब्दों को ये कहकर उन्हे इस बात तको जानने के लिये और उकसा रहे है इससे उनकी जिज्ञासा और अधिक पैदा होगी, जिससे वे गलत रास्ते पर जा सकते। ऐसे मामले में, बच्चे के प्रश्नों को नजरअंदाज ना करके ये समझाये “हम आपको इसके बारे में बारे में बतायेगें। पर थोड़ा समय दो। इस तरह, वो आप पर भरोसा करेंगे और दोबारा बोलेगें भी नही।

7. यह आपको किसने सिखाया?

अकसर जब बच्चे गल्ती करते है तो मां बाप उसके दोष को छुपाने लिये दूसरों पर गल्ती मड़ने की कोशिश करते है और उनसे पूछते है कि यह आपको किसने सिखाया? जोकि ऐसा करना गलत है। इस तरह के शब्द कहकर आप अपने बच्चों के दोषो को छुपाने की कोशिश कर रहे है जिससे बच्चो को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। इसलिये बच्चों को इस तरह से होने वाली गल्ती के बारें में उन्हे समझाये। ऐसा करने से, आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि बच्चे ने खुद गल्ती की है या किसी और ने प्रोत्साहित किया है।

इसलिए, अगली बार जब आपका बच्चा गलती करता है, तो डांटने या गलत शब्दों का उपयोग करने से पहले उनसे बात करें और उनकी गलती के पीछे के छिपे वास्तविक कारण का पता लगाएं! मुझे यकीन है, इससे आपके बच्चा निश्चित रूप से सीखेंगा।

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