Home विविध रिलेशनशिप टिप्स महिलाओं के लिए सिरदर्दी है पीसीओएस की समस्या

महिलाओं के लिए सिरदर्दी है पीसीओएस की समस्या

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आज हम महिलाओं से जुड़ी एक ऐसी समस्या के बारे में बताने जा रहे हैं। जो आजकल छोटी उम्र की लड़कियों में बेहद देखने को मिल रही है। पहले यह समस्या सिर्फ 30 साल के आसपास की महिलाओं में पाई जाती थी। लेकिन अब डॉक्टरों के मुताबिक यह समस्या पिछले 10 से 15 सालों के बीच दोगुनी बढ़ गई है। इस समस्या का नाम है पीसीओएस। क्या आपने कभी इसका नाम सुना है। अगर सुना है तो ठीक है। लेकिन अगर नहीं सुना तो आज हम आपको बताएंगे | इसका पूरा नाम है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम। वैसे तो यह महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। लेकिन इसका लगातार छोटी उम्र की लड़कियों में दिखना सही नहीं है।

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महिलाओं और लड़कियों में होने वाली पीसीओएस एक ऐसी समस्या है। जिसमें महिलाओं के अंडाश्य में सिस्ट यानि की गांठ आ जाती है। वैसे इसे मल्टीयसिस्टिक ओवरियन डिजीज भी कहते हैं। इस बीमारी का मूल कारण अंडडिबों और हार्मोन्स में गड़बड़ी होती है और यह बीमारी आनुवांशिक भी होती है।

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लड़कियों में इस बीमारी की समस्‍या
आजकल ज्यादातर लड़कियों में अनियमित पीरियड्स की समस्या आम होती जा रही है। आपको बता दें कि यही समस्या आगे जाकर पीसीओएस की बीमारी का रूप धारण कर लेती है। पीसीओएस एंडोक्राइन से जुड़ी एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें महिलाओं के बॉडी में एंड्रोजेन्स या मेल हार्मोन ज्यादा होने लगते हैं। ऐसे में शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है जिसका असर महिलाओं के अंडाश्य यानि अंडों के विकास पर पड़ता है। इससे ओव्यूलेशन और मासिक चक्र भी रुक सकता है। इस तरीके से सेक्स हार्मोन में असंतुलन पैदा होना या हार्मोन में जरा सा भी बदलाव होना मासिक धर्म के चक्र पर तुरंत असर डालता है। इस अवस्‍था के कारण अंडाशय में सिस्‍ट बन जाती है। वैसे बता दें कि इस समस्या के बने रहने से ओवरी के साथ-साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। साथ ही आगे चलकर यह बीमारी कैंसर का रुप भी धारण कर सकती है।

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यह स्थिति सचमुच महिलाओं के लिए काफी घातक साबित हो सकती है। यही वह समस्या होती है जिसकी वजह से महिलाएं आगे जाकर गर्भ धारण करने में असमर्थ होती है। बताया जाता है कि यह सिस्ट की छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होती हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। अंडाशय में जाकर यह सिस्ट इकट्ठे होते रहते हैं और इनका आकार भी बढ़ता चला जाता है। यही स्थिति पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम कहलाती है।

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पीसीओएस के लक्षण
ज्यादातर महिलाओं और लड़कियों को इसके लक्षणों के बारे में पता नहीं होता है जिसको लेकर वह कभी इन चीजों पर ध्यान नहीं देती है। आपको हम इन लक्षणों के बारे में बता दें कि इसके लक्षण है, चेहरे पर बाल उगना, अनियमित रूप में माहवारी, यौन इच्छा में अचानक कमी, गर्भधारण में मुश्किल होना आदि। इसके अलावा स्किन संबंधी रोग जैसे अचानक से चेहरे पर भूरे रंग के धब्बों का आना या बहुत ज्यादा मुंहासे होना भी इसके लक्षण होते हैं।

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कम उम्र में इसके कारण
आजकल मोटापे की समस्‍या बहुत ही ज्यादा आम हो गई है। आपने भी अपने आसपास देखा होगा कि हर दूसरा व्‍यक्ति इस मोटापे की समस्या से ग्रस्त है। ज्यादा वसा युक्त भोजन, व्यायाम में कमी और जंक फूड का ज्यादा सेवन करना मोटापे का पहला कारण हैं। आपको बता दें कि छोटी उम्र की लड़कियों में मोटापे के कारण भी पीसीओएस की समस्या होने लगी है। ज्यादा चर्बी होने की वजह से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है। जिससे ओवरी में सिस्ट बनता है। मोटापे को कम करके भी इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है । क्योंकि वजन घटने से ओवरीज में अंडे वापस बनने शुरु हो जाते हैं।

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खराब डाइट
इसमे कोई दो राय नहीं कि जंक फूड हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही कई बीमारियों को दावत भी देते हैं। ऐसे में हमें जंक फूड, अत्यधिक तैलीय, मीठा और फैट युक्त भोजन खाने से बचना चाहिए। साथ ही डायबिटीज होना भी इस बीमारी का एक कारण हैं। इसलिए मीठी चीजों को खाने से भी परहेज करना चाहिए। अपने आहार में हरी सब्जियां और फलों को शामिल करना चाहिए।

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लाइफस्‍टाइल
बच्चों की लाइफस्टाइल इतनी व्यस्त हो गई है की, आजकल छोटे-छोटे बच्चों को भी चिंता और तनाव जैसे परेशानियां सताने लगी है। खासतौर पर लड़कियां अपने खान-पान पर ठीक से ध्यान नहीं देती है। आपको अच्छे से पता होगा की आजकल के बच्चे लेट नाइट पार्टी में ड्रिक और स्मोक करते है जो उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं होता। इसलिए अगर लड़कियों को पीसीओएस की समस्या से बचना है तो उन्हें अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना बहुत जरूरी होगा।

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आज हमने आपको बताया पीसीओएस समस्या के बारे में, लेकिन इससे डरें नहीं हम बता दें कि हार्मोंन को संतुलित करके भी पीसीओएस की समस्‍या को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए बस लड़कियों को अपने सही आहार और नियमित व्यायाम को अपनाना होगा।

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