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तेजाब हमले के बाद बच निकली रेशमा कुरैशी बनी महिला सशक्तिकरण का नया चेहरा

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आजकल समाज में महिलाओं से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो हर तरह से उनके खिलाफ है। इन घटनाओं का नाम लेते ही रूह कांप उठती है जैसे बलात्कार, घरेलू हिंसा या फिर एसिड एटैक आदि, लेकिन वह महिला जो आसानी से इन सभी परेशानियों का डटकर बहादुरी से सामना करे और दूसरी औरतों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करे तो ऐसी किसी महिला का नाम सोचते ही रेशमा कुरैशी का नाम सामने आता है। यह वह महिला है जो कि हालातों की मार से टूट तो गई थी लेकिन हिम्मत न हारी और खड़े होने का साहस बटोर कर रखा। उसके पंखों को कतरने की कोशिश की गई, लेकिन इसके बावजूद इस जाबांज ने समाज में खुद को गर्व के साथ और नज़र मिलाकर चलने के काबिल बनाया। आप में से कई लोग जानते होंगे कि रेशमा को क्यों महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदहारण कहा जाता है। लेकिन जो भी हुआ उसके बावजूद उन्होंने अपना सफर कायम रखा और कभी हार नहीं मानी।
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आप सोच रहे होंगे कि भारत में एसिड हमले के शिकार लोगों की भीड़ में सिर्फ रेशमा कुरैशी का नाम सामने क्यों इतना आता है? ऐसा इसलिए क्योंकि रेशमा एक ऐसी शख्स है जो इस हमले से बच निकली है, ना कि शिकार होकर टूट गई । उन्होंने ऐसा होने के बावजूद भी कभी हार नहीं मानी और हमेशा से ही अपने सपनों को पूरा करने की शक्ति के साथ चलती रहीं। उनके इरादों और सपनों को चकनाचूर करने के लिए ऐसा किया जा सकता था। किसे पता था कि उन पर तेज़ाब से हमला उन्हें अन्य महिलाओं के आदर्श बना देगा।

अगर आपको उनके साथ हुई घटना के बारे में ज्यादा नहीं पता है तो ऐसे में आप आपका परिचय रेशमा कुरैशी से करवा देते हैं। दरअसल दो साल पहले वह एक एसिड हमले की शिकार हुईं थीं। खुद के साथ हुए इस एसिड हमले से लड़ती हुई रेशमा ने ऑनलाइन पोस्ट कर एसिड की बिक्री के बारे में जागरूकता फैलाई। हाल में वह न्यूयॉर्क फैशन वीक के लिए रैंप पर चली थीं। रैंप में चलती हुई रेशमा पूरे आत्मविश्वास के साथ रैंप पर चली थीं। इस फैशन शो के दौरान उन्होंने डिजाइनर अर्चना कोचर के द्वारा डिजाइन किया हुआ गाउन पहना हुआ था।

उनके जबरदस्त विश्वास के कारण इलाहाबाद जैसे एक छोटे से शहर की इस लड़की ने न्यूयाॅर्क जाकर इस फैशन वीक में भाग लेकर एक नया मुकाम कायम कर दिया। महज 19 साल की उम्र में रेशमा को यह सब कुछ झेलना पड़ा।

एक और जहां मॉडल अपने सौंदर्य और एसेस्ट्स के कारण रैंप पर चलती हैं, वहीं दूसरी तरफ रेश्मा ने देश ही नहीं बल्कि विदेश की सभी लड़कियों के लिए एक मुकाम कायम कर दिया है। रेशमा को महिला सशक्तिकरण बनने के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद, अगर रेशमा की तरह हर लड़की आवाज उठाएं तो ऐसे में देश में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं आसानी से कम हो सकती हैं।

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