Home विविध तृतीय नवरात्र : देवी चंद्रघंटा का महत्व और इनका पूजा विधान

तृतीय नवरात्र : देवी चंद्रघंटा का महत्व और इनका पूजा विधान

0

आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। तीसरे दिन की पूजा का एक विशेष महत्व होता है। इस दिन शक्ति मां चंद्रघंटा की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। आज के दिन मां शक्ति के तीसरे रूप की पूजा करने से साधक का देह, मन, तन सब कुछ मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होने लगता है। इस देवी की कृपा से हर भक्त को कई तरह की अलौकिक शक्तियों के दर्शन होते हैं। दिव्य सुंगधियों का अनुभव भी प्राप्त होता है। इसमें हमें कई तरह के घंटों की ध्वनियां भी सुनाई देती है।

worship-maa-chandraghantathird-day-navratrihow-to-worship-maa-chandraghantanavratri-3rd-day-mantrachandra-matamaanavratrifestivaldurganine-nightsnav-durganavratri-puja-2Image Source:

इसलिए कहा भी जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए और पूरी तरह शुद्ध मन से विधि-विधान के अनुसार आज के दिन की पूजा करनी चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्ति पाकर हमारी सारी मुश्किलें आसान होने लगती है और हमारे हर कार्य आसानी के साथ हो जाते हैं। हर तरह के कष्टों को हरने वाली मां भगवती के दरबार में आकर कोई भी साधक अपूर्ण होकर नहीं जाता। उसके घर में हमेशा भंडार भरा ही रहता है।

यह भी पढ़े : प्रथम नवरात्र : देवी शैलपुत्री का महत्व और इनका पूजा विधान

Image Source:

सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है। इनकी अराधना करने से साधक में निर्भयता और वीरता के साथ विनम्रता और सौम्यता का भी विकास होता है। चंद्र के समान सुंदर मां का रूप मोहक और अलौकिक है। इनका स्वरूप परम कल्याणकारी और शांतिदायक है। इनके मस्तक पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र होने के कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान सुनहरा और चमकीला है। यह वीरता और शक्ति का प्रतीक है।
इस दिन आपको इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version