Home स्वास्थ्य मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में जाने की अनुमति क्यों नहीं है?

मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में जाने की अनुमति क्यों नहीं है?

0
Hanna Barczyk for NPR

मासिक धर्म महिलाओं के लिए एक श्राप बन चुका है। क्योंकि यही शक्ति एक औरत के जीवन शक्ति को परिभाषित करती है। पर दुर्भाग्य से लोग इसे हीन दृष्टि से देख औरत की भावनाओं को दबा रहे हैं। समाज की नजर से महिलाओं के शरीर से खून का बहना जहां एक ओर अशुद्ध माना जाता है तो दूसरी ओर माहवारी के समय निकलने वाले खून वाली देवी को लोग पूजने के लिए उसके दरबार पर जाते है। जिसे रक्तस्राव देवी या कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है। आखिर यह किस प्रकार का न्याय है कि एक ओर रक्तस्राव देवी की लोग पूजा करते है तो दूसरी ओर रक्तस्त्राव वाली महिला को मंदिर में जाने से रोका जाता है। अंधविश्वासों से घिरे इस देश में जहां एक ओर महिलाओं के रक्तस्राव के समय पवित्र स्थान पर महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, तो वहीं दूसरी ओर उस समय महिलाओं को हेय दृष्टि से भी देखा जाता है, आखिर क्यों?

Hanna Barczyk for NPRImage Source:

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के प्रति होने वाला छुआछुत को लेकर न जाने कितने प्रश्न उठाए जा चुके है। एक ओर जहां उन्हें देवी समझ कर पूजा जाता है। तो आखिर क्यों उसी देवी रूपी स्त्रियों को पीरियड्स के दौरान उन्हीं के दरबार में प्रवेश करने से रोका जाता है। पुरानी मान्याताओं ने मानव जीवन की जड़ो को पूरी तरह से खोखला कर दिया है जिसे लोग आज भी अपना रहे है।

 हमारी प्राचीन मान्यताओं पर कुछ प्रकाश डालें —

सबसे पहले हम इस बात को स्पष्ट कर दें कि इस पुरानी मान्यताओं की इन बातों को हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी मानते है। जहां पर महिलाओं को माहवारी के समय पवित्र परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। वहीं ईसाई, इस्लाम, यहूदी और बौद्ध धर्म के लोग भी हिन्दू धर्म के समान ही महिलाओं को माहवारी के समय हीन दृष्टि से देखते हुए उन्हें हर किसी चीजों से दूर रखते है। उनके विचारानुसार माहवारी के समय महिलाएं अशुद्ध और खतरनाक होती है।

Image Source:

1. ईसाई धर्म- पुरानी कुप्रथाओं से जुड़ी मान्यताएं हमेशा से ही महिलाओं के लिए कष्टप्रद थी फिर चाहे वो हिन्दू धर्म हो या अन्य धर्म के लोग। सभी धर्मों में महिलाओं को ही हर तरह की अग्निपरीक्षा देने के लिए झोंका जाता रहा है। प्राचीन समय में, जब महिलाएं मासिक धर्म वाले दिन से होकर गुजरती थी तो उस दौरान उसे ‘मासिक धर्म झोपड़ियां’ में रहना होता था यह झोपड़ी खासकर उन्हीं दिनों के लिए बनाई जाती थी। हर एक महिलाओं को इस अवस्था के समय ‘मासिक धर्म नामक एक अलग घर में रहने के लिए मजबूर किया जाता थाऔर उन्हें इन 4-5 दिनों तक झोपड़ी से बाहर आने की अनुमति नहीं थी। उनके अनुसार जिस महिला को रक्तस्त्राव हो रहा है वो सुअर के मांस के बराबर अशुद्ध है जिसे हर चीजों से दूर रखा जाना चाहिये। ना ही वो खाना पका सकती थी ना ही घर पर प्रवेश कर सकती थी और ना ही किसी मंदिर में प्रवेश कर सकती थी।

Image Source:

2. इस्लाम- इस्लाम धर्म में जब महिलाएं माहवारी के पहर से गुजरती है तो उनके समीप मर्दो को जाने से रोका जाता है। साथ ही महिलाओ को नापाक और अपवित्र माना जाता है उन्हें रमजान के शुभ महीनों के दौरान धार्मिक स्थलों में प्रवेश और नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है।

Image Source:

3. सिख धर्म- हर तरह के अलग-अलग तर्कों की बात को सुनते हुए भी एक सिख धर्म ही ऐसा है जिसने औरतों को अशुद्ध नहीं माना है। उनके अनुसार इंसान का जीवन महिलाओं के खून से और मर्दों के वीर्य से ही मिलकर बनता है इसलिए ये अशुद्ध हो ही नहीं सकता है। महिलाये बिना किसी प्रतिबंध के अपने सभी कार्यों को कर सकती है।

Image Source:

4 हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म में महिलाओं को इस अवस्था के समय हर तरह से दूर रखा जाता है। उन्हें रसोई में जाने की अनुमति नहीं रहती खाने एवं सोने के लिए अलग जगह पर रखा जाता है । मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता है। 4 से 5 दिन तक वो हर किसी शुभ कार्य से दूर रहती है।

Image Source:

इस विश्वास के पीछे वैज्ञानिक तथ्य– भले ही लोग मासिक धर्म पर जुड़े अंधविश्वास को खराब नजरों से देखें पर वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार पूरे समय में महिलाये काम करने के दौरान काफी थक जाती थी और इस समय के दौरान उन्हें आराम करने दिया जाता था।

Image Source:

उन दिनों पूर्ण साधन ना होने के कारण हर छोटे बड़े घर के काम जैसे- गेहूं पीसना, पानी भरना, बर्तन धोना, खाना पकाना और घर की साफ-सफाई से जुड़े सभी काम घर की महिला को ही करना पड़ता है। और मासिक धर्म के दौरान पेट में ऐंठन दर्द होने के कारण वो घर के काम करने में असमर्थ रहती थी और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें घर के काम करने से रोका जाता था।

Image Source:

आज की महिलायें – समय में बदलाव के कारण लोगों के काम करने के तरीकों में बदलाव आया है और आज की महिलायें तकनीकी चीजों से पूरी तरह से जुड़ चुकी है। अब आज के समय की महीलायें चार दिवारी से निकल कर स्कूल, कॉलेज दफ्तर आदि के लिए बाहर जाती है। अब उन्हें किसी आराम की जरूरत नहीं पड़ती। समान्य रूप से वो पूरे महिने अपना काम कर सकती है तो फिर आज भी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में जाने की अनुमति क्यों नहीं है?

Image Source:

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version