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थायरॉयड में अश्वगंधा है असरदार इलाज

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बहुत सी बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती। वैसे भी भारत में अधिसंख्य महिलाएं अपनी बीमारियों को छुपाती हैं। इसे भारतीय सोच कहें या कुछ और कि हमारे देश में औरतें शर्म की वजह से अपनी शारीरिक परेशानियों को दबाए रखती हैं। जब तक बीमारी बढ़ने पर मर्ज का पता चलता है बहुत देर हो जाती है।

इसी तरह से थायरॉयड एक ऐसी बीमारी है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है। हर दस थायरॉयड के मरीजों में 8 महिलाएं होती हैं। थायरॉयड से ग्रस्त महिलाओं को मोटापा, तनाव, डिप्रेशन, बांझपन, कोलेस्ट्रॉल जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

क्या है थायरॉयड-

थायरॉयड एक ग्रंथि है जो गर्दन में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायोक्सिन नाम के हार्मोन का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को विनियमित करने में मदद करती है। थायरॉयड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने का मतलब है कि शरीर का मेटाबॉलिज्म यानी भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया का सही तरीके से काम करना, लेकिन थायरॉयड ग्लैंड के घटने या बढ़ने से परेशानी होती है।

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थायरॉयड के प्रकार

थायरॉयड दो प्रकार का होता है हाइपोथायरॉयड और हाइपरथायरॉयड।

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हाइपोथायरॉयड

हाइपोथायरायडिज्म से बच्चों में बौनापन और बड़ों में मोटापा बढ़ता है। इससे शरीर पर चर्बी जमा होने लगती है। त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। सुस्ती महसूस होती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाता है। जोड़ों में पानी भर जाता है जिससे दर्द होता है और चलने में दिक्कत होती है। यह रोग 30 से 60 वर्ष की महिलाओं को होता है।

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हाइपरथायरॉयड

इसमें थायरॉयड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाती है। इस बीमारी की स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। पसीना ज्यादा आता है। रोगी को गर्मी सहन नहीं होती। रोगी को भूख ज्यादा लगती है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और निराशा हावी हो जाती है। हाथ कांपते हैं और आंखें देखने पर नींद में लगती है। रोगी की धड़कन बढ़ जाती है और नींद नहीं आती। इससे प्रजनन प्रभावित होता है। मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हाइपर थायरॉयड 20 से 30 साल की महिलाओं में ज्यादा होता है। थायराइड की समस्या से बचने के लिए अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक और असरदार औषधि है।

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थायरॉयड में अश्वगंधा है असरदार इलाज

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की मांग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बढ़ती जा रही है। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है।

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थायरॉयड के इलाज में अश्वगंधा बहुत गुणकारी है। यह एक शक्तिवर्धक आयुर्वेदिक औषधि है। इसका सेवन करने से थायरॉयड को कंट्रोल किया जा सकता है। 200 से 1200 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण एक कप चाय के साथ मिला कर लें। आप चाहें तो अश्वगंधा की पत्तियों को पीस कर भी उपयोग में ला सकते हैं। इसके अलावा इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए आप तुलसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा के साथ भी इलाज किया जाता है।

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अगर थायराइड का मरीज नियमित रूप से अश्वगंधा का सेवन करे तो शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और काम करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। साथ ही यह शरीर के अंदर का हार्मोन इंबैलेंस भी संतुलित कर देता है। यह टेस्टोस्टेरॉन और एण्ड्रोजन हार्मोन को भी बढ़ाता है।

इस तरह से अश्वगंधा के उपयोग से थायरॉयड को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन अश्वगंधा के उपयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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