भारत एक ऐसा देश हैं, जहां आपको कई सारे ऐसे लोगों की कहानियां सुनने को मिल जाएगी जिन्होनें अपने जीवन में काफी कुछ खो कर दूसरों के लिए अपने जीवन को खत्म कर दिया। ऐसे लोगो को आज हर कोई अपने जीवन का हीरो मानता है। वैसे अगर हम आपसे पूछे कि आप हीरो शब्द से क्या समझते है तो आप भी यही कहेगे कुछ ऐसे लोग जिन्होंने अपने जीवन में कोई माहान काम किया हो उसे ही आप हीरो मानेंगे। लेकिन हीरो शब्द को लेकर ज्यादातर लड़को के बारे में ही सोचते है लेकिन ये जरुरी नही है की हीरो केवल लड़के ही हो सकते हैं। एक महिला अपने जीवन में हजारों तरह के किरदारों को निभाती है वो कभी किसी की बेटी होती है तो कभी किसी की बहन, कभी किसी की पत्नी, कभी की मां…ना जाने कितने किरदार एक महिला आपने एक ही जीवन में निभा लेती हैं।
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प्राचीन काल से ही भारत में महिलाओं को हजारों तरह के अत्याचार का शिकार होना पड़ा हैं और उन अत्याचारों की बात करें तो महिला कई बार हालात के कारण चुपचाप सह जाती है तो कई बार उसको विरोध करने का मौका ही नही दिया जाता हैं। लेकिन अब समय बदल गया हैं महिलाओं ने किसी तरह के अत्याचार को सहना पसंद नही करती हैं तथा अपने स्वाभिमान के लिए आवाज उठाना उन्होंने भी सीख लिया हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन से कभी भी हार नही मानी और ना ही कभी भीड़ का हिस्सा रही लेकिन उसके बाद भी हजारों महिलाओं के लिए आज प्रेरणा बन गई हैं।
1. कविता कृष्णन
कविता कृष्णन अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की राष्ट्रीय सचिव हैं। 2012 में दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार मामले में सबसे तीखा स्वर कविता कृष्णन का ही था। उस समय दिल्ली की सड़कों पर जो युवा क्रांति के स्वर गुंज रहे थे उनका नेतृत्व कविता कृष्णन ने ही किया था। कविता इससे पहले भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए और उनकी आजादी के लिए कई तरह के कैंपेन चला चुकी हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवन में केवल महिलाओं के हकों की ही बात की हैं और हमेशा उनके साथ ही खड़ी रही हैं। महिलाओं के प्रति उनकी अपरिहार्य योगदान के लिए उन्हें ‘मास मोबिलिजेर’ के नाम से भी जाना जाता हैं।
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2. फ्लाविया एग्नेस
फ्लाविया एग्नेसा को महिला अधिकारों की वकील कहा जाए तो गलत नही होगा। लेकिन फ्लाविया एग्नेसा के बारे में इतना ही कह देना काफी नही हैं। वो मजलिस की संस्थापक भी हैं मजलिस एक ऐसी संस्था है जो महिलाओं के विरुध हो रहे वैवाहिक अधिकारों, घरेलू हिंसा, आर्थिक अधिकार और संपत्ति जैसे मुद्दों पर महिलाओं की कानूनी तरह सें मदद करती हैं। वो महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को अच्छे से समझती हैं क्योंकि एक समय था जब वो स्वयं इस तरह के अत्याचारों का शिकार हुई थी अपने पति के साथ 14 साल के रिश्ते में उन्होंने भी अपने पति के द्वार कई तरह के शारीरीक शोषण का सामना किया। लेकिन उन्होंने अपने आपको उन अत्याचारों से बाहर निकाल कर अन्य महिलाओं के बारे में सोचा और उनके हितों के लिए काम करना प्रारम्भ कर दिया।
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3. संपत पाल देवी
लड़कियों को गुलाबी रंग पंसद होता हैं। लेकिन इन औरतो ने इस गुलाबी रंग को एक नया ही रुप दे दिया हैं। उत्तर प्रदेश में स्थित इस संगठन को प्यार से गुलाबी गैंग के रुप में जाना जाता हैं। उनकी बारह साल की उम्र में शादी हो गई और 4 साल तक घरेलू हिंसा की अग्नि परीक्षा का सामना करती रही जिसके बाद उन्होंने अन्य महिलाओं को इस तरह के अत्याचारों से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया। इन महिलाओं ने अपने साहस के बल पर अपने साथ हो रहे शोषण का विरोध किया।
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4. विरंदा ग्रोवर
टाइम पत्रिका 2013 में इन्हें दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक माना गया था। वह एक वकील, शोधकर्ता और महिला अधिकार कार्यकर्ता है जो कि घरेलू हिंसा, हिरासत में कि जाने वाली यातना और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के विरुध महिलाओं का साथ देती हैं। सोनी सोरी बलात्कार मामला और इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अपनी आवाज उठा कर लोगों के लिए वह एक मील का पत्थर बन गई थी। यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून के लिए 2013 में आपराधिक कानून संशोधन में किए गए बदलावो को लिए उनका भी काफी बड़ा योगदान था।
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5. सुज़ैट जॉर्डन
सुज़ैट जॉर्डन एक ऐसे नाम हैं, जिन्होंने भारतीय टीवी टॉक शो ‘सत्यमेव जयते’ में आकर बहादुरी से अपनी आप बीती सुनाई थी। कुछ समय पहले उनके साथ एक गैंग रेप हुआ था जिसके बाद उन्होने बहादुरी से इन परिस्थियों का सामना किया था। वह पहली ऐसी महिला थी जिन्होने अपनी पहचान को गुप्त नही रखा और सभी के साथ अपने दर्द को बांटा। इनके मामले को ‘पार्क स्ट्रीट बलात्कार’ के नाम के तहत मीडिया द्वारा प्रचारित किया गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने वैसे इनके द्वारा कही गई बातों को गलत कहा था जिसके बाद इन्होंने केवल यही कहां कि मैं अपनी पहचान क्योंछुपाऊँ जब मेरी कोई गलती ही नही थी। सुज़ैट जॉर्डन 40 वर्ष की उम्र में ही मेनिंगोएन्सेफलिटिस नामक बीमारी के कारण अपने जीवन से हार गई और उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि वो आज ना जाने कितनी ही बलात्कार पीड़ितों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है समाज में बलात्कार शब्द को सामाजिक कलंक माने जाने के खिलाफ आवाज उठाने में वो सफल रही थी।
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6. लक्ष्मी अग्रवाल-
लक्ष्मी अग्रवाल एक एसिड हमले के शिकार है और एक टीवी होस्ट है जो कि अपनी ही तरह दूसरी एसिड हमले की शिकार महिलाओं के लिए आगे आई और उन्हें जीने की वजह दे गई। सिर्फ 15 साल की उम्र में ही उनके साथ ये हादसा हो गया था जिसके बाद उन्होने स्वतंत्र रूप से एसिड की बिक्री की जांच के लिए एक याचिका दायर कि और उसके लिए 27,000 हस्ताक्षर एकत्र भी किए। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भारत में एसिड बिक्री को विनियमित करने के लिए आदेश दिया। आज वो एक संस्थान के साथ मिल कर एसिड की शिकार हुई महिलाओं की मदद कर रही हैं आज वो भारत में एसिड हमले में जीवित बचे लोगों को छाया प्रदान करती है। इतना ही नही उन्हें अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने अंतर्राष्ट्रीय महिला पुरस्कार से भी सम्मानित किया हैं।
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7. प्रकाश कौर
लोग इन्हें ‘मदर होप’ के रुप में जानते हैं। अक्सर ये कहा जाता है कि आज समाज बदल गया हैं पर ऐसा नही हैं आज भी ऐसे बहुत से लोग है जो लड़की होने पर उसे त्याग देते हैं। लेकिन प्रकाश कौर उन महिलाओं में से है जो इन बच्चीयों को अपने यहां सहारा देती हैं। उन्होने अपनी पूरा जीवन नवजात लड़कियो की परवरिश में समर्पित कर दिया हैं। उन्होने 60 से भी अधिक ऐसी ही लड़कियों के छत प्रदान की हैं। वो इस सभी बच्चीयों के अपना मानती हैं। और उन सभी को मां का प्यार दे रही हैं।