हर दुल्हन के पास होनी चाहिए ये 7 पारंपरिक साड़ी

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हम भारतीय हैं बेशक हमने अपने दिमाग से आधुनिकता को अपना लिया हो। बाहर से हम कितने भी मार्डन क्यों ना बन गये हो। लेकिन कहते हैं ना कि आधुनिकता हमारी सोच पर हावी नहीं हो सकती। क्योंकि दिल तो हमारा हिन्दुस्तानी ही रहेगा। ऐसे ही हमारे कल्चर के साथ भी है। हम कितना भी मार्डनिटी को अपना लें। लेकिन अपने रीति रिवाज कल्चर से हमे आज भी बहुत प्यार है। आपने भी देखा होगा की हमारे यहां शादियां में आज भी पारंपरिक रीति रिवाजों की झलक देखने को मिलती है। जिसमे दुल्हनें आज भी पूरे पारंपरिक तरीकों और वेशभूषा में होती हैं। ऐसे में कभी आप भी एक वक्त पर दुल्हन बनी होगी या बनने वाली होंगे… तो आपने भी इन पारंपरिक वेशभूषा को जरूर अपनाया होगा। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी पारंपरिक साड़ियों के बताने जा रहे हैं जो हमें लगता है कि हर दुल्हन के पास होनी चाहिए। ऐसे में अगर आपके पास ये पारंपरिक साड़ियां नहीं रही है तो आप जरूर इन साड़ियों को मिस कर सकती हैं।

हम भारतीय हैं बेशकImage Source: https://41.media.tumblr.com/

बनारसी साड़ी
बनारसी साड़ियों का शादी में विशेष स्थान होता है। यह स्पेशली वाराणसी में ही बनती हैं। जिसमे अच्छी तरह से चांदी और सोने की जरी का काम किया जाता है। जिसके लिए यह पूरे विश्व में भी प्रसिद्ध है। जैसा की आपको पता ना हो तो बता दें कि इसमे की गई जरी कढ़ाई का काम काफी जटिल होता है। जिसे बनाने में कारीगरों को 6 महीने तक का समय लग जाता है। भारत में यह कला मुगलों द्वारा लाई गई थी। इसमे ज्यादातर आपने देखा होगा की मुगलकालीन चित्रों और डिजाइनों को दिखाया जाता है। इसको तैयार करने के लिए कारीगर प्योर सिल्क साड़ी पर बहुत जटिल डिजाइन बनाते हैं। जिनमे फूल पैटर्न, पत्तियों का काम और मोतियों का डिजाइन बनाया जाता है। ऐसे में हर दुल्हन के पास ऐसी साड़ी होना बहुत बड़ी बात होती है।

Banarasi SareeImage Source:https://upload.wikimedia.org/

पटोला साड़ी
पटोला साड़ी को गुजरात के पाटन में बनाया जाता है। जो काफी महंगी होती है। जिसे गुजरात में रॉयल्टी की परिभाषा समझा जाता है। इस साड़ी पर रेशम की हाथों से बुनाई की जाती है। जिसको बनाने में कारीगर को काफी ज्यादा समय लगता है। इसको तैयार करना बड़ा जटिलता का काम है। इसकी जटिलता के कारण ही इसकी लागत और रेट काफी हाई है। आपको जानकर हैरानी होगी की इस साड़ी को तैयार करने में 2 साल से लेकर 6 माह तक का वक्त लग जाता है। जो कि डिजाइन के ऊपर निर्भर करता है। कहते हैं जो दुल्हन अपने स्टेज पर इस पटोला साड़ी को पहनकर चढ़ती है। वह सचमुच अपने आपको काफी भाग्यशाली समझती है।

Patola SareeImage Source:https://www.balajipatola.com/

धानियाकाली साड़ी
जैसा की आपको भी पता होगा की हमारे यहां देश में कॉटन को सादगी का प्रतिक माना जाता है। ऐसा ही कॉटन की सूती साड़ी के साथ भी है। ये धानियाकाली साड़ी पश्चिम बंगाल के धानियाकाली गांव में बनती है। जिसमे डिजाइन के नाम पर धारियों, चेकों और पूरक सीमाओं को शामिल किया जाता है। जिसको बनाने के लिए महिलाएं दूर गांव से मोटी कपास लेकर आती हैं और 100 धागों की गिनती करके इन साड़ियों को तैयार करती हैं।

Dhaniakhali SareeImage Source:https://3.bp.blogspot.com/

चंदेरी साड़ी
चंदेरी साड़ी मध्य प्रदेश की देन है। इस साड़ी की बुनाई जिसे चंदेरी कहा जाता है यह काफी प्राचीन काल की बुनाई शैली है। 2 और 7 वीं शताब्दी के बीच इसे शुरू किया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है की भगवान कृष्ण के चचेरे भाई शिशुपाल ने जिस चंदेरी को स्थापित किया था। उसी कपड़े को मूल रूप से प्योर सिल्क, चंदेरी कपास और रेशम कपास में मिलाकर चंदेरी की साड़ी तैयार की जाती है। ये साड़ी पहनने में और वजन में एकदम हल्की होती है साथ ही गर्मियों के लिए एकदम सही होती है।

Chanderi SareeImage Source:https://www.artsyindia.com/

फुलकारी साड़ी
फुलकारी साड़ी पंजाब की एक कढ़ाई तकनीक की साड़ी है। जिसके फूलकाम का मतलब होता है की रेशम के धागे के साथ एक मोटे कपड़े पर बुनते हुए कढ़ाई करना। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इस कढ़ाई की विशेषता यह है की यह कढ़ाई कपड़े के उल्टे साइड की जाती है। जिसपर फूलकारी का काम मुख्यत महिलाएं करती हैं। हालांकि फूलकारी के काम को कुछ समय पहले अपने निजी इस्तेमाल में लाने के लिए बंद कर दिया गया था। जिसमे महिलाएं से अपने निजी इस्तेमाल के लिए कर रही थी। बता दें कि इसमे आमतौर पर ज्यामितीय आकार का पैटर्न बनाया जाता है। लेकिन इसके साथ ही तोते और मोर के प्रिंट को भी इसमे जगह दी जाती है। यह खासतौर पर पसंद के अनुसार लाल रंग के कपड़े पर होती है। वैसे अगर चाहें तो इसको दूसरे रंगों जैसे नीले, भूरे और हरे रंग में भी करवाया जा सकता है।

Phulkari SareeImage Source:https://images.indianroots.com/

पैठानी साड़ी
हाथ से बुनकर तैयार की गई इन साड़ियों की यह किस्म औरंगाबाद महाराष्ट्र में पैठण शहर की है। जो कि अपने विशेष गुणवत्ता वाली साड़ियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। ये एक बेहतरीन रेशम से तैयार की जाती है और यह देश की सबसे अमीर साड़ियों में से एक मानी जाती है। ये साड़ियां आपको बता दें कि बहुत से रंगों और बहुत से सुंदर-सुंदर डिजाइन और छापों में उपलब्ध हो जाती है। इसमे कमल, तोते, मोर, आदि ले लेकर विभिन्न प्रकार के छापे कपास और रेशम से बनाए जाते हैं। साथ ही इन साड़ियों पर दिखाए जाने वाले आकर्षक चित्र इन साड़ियों के पल्लू की शोभा को और बढ़ाते हैं। ऐसे में हम बस इतना कह सकते हैं कि वर्तमान में ये पारंपरिक साड़ी देश से लेकर विदेशी तक में समकालीन दुल्हनों के लिए काफी बेस्ट हैं।

Paithani SareeImage Source:https://i00.i.aliimg.com/

संबलपुरी साड़ी
ये साड़ी बुनाई प्रक्रिया से पहले टाई रंगाई द्वारा तैयार की जाती है। उड़िसा इन साड़ियों को केन्द्र हैं। जहां के विभिन्न जिलों में इन साड़ियों को तैयार किया जाता है। इन साड़ियों में मुख्य रूप से डिजाइनों में चक्र, शंख, मोर और फूलों की तरह पारंपरिक रूपांकनों को शामिल किया जाता है।

Sambalpuri SareeImage Source:https://www.picksilk.com/

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