दमा एक ऐसी बीमारी है जिससे ग्रसित व्यक्ति अक्सर परेशान रहता है, यह बहुत ज्यादा घातक बीमारी है बहुत कम लोग जानते हैं की आज भी पूरे संसार में 30 करोड़ से ज्यादा लोग दमा के शिकार हैं। आज भी ऐसे परिवारों की संख्या बहुत ज्यादा है जिनके घर में कम से कम एक सदस्य इस बीमारी से ग्रस्त है। दमा को अस्थमा भी कहा जाता है और इस बीमारी को आज के समय में पूरी तरह से ख़त्म करना शायद मुश्किल है पर इसको कंट्रोल जरूर किया जा सकता है वो भी योग के द्वारा। योग में कुछ खास यौगिक क्रियाएं ऐसी भी हैं जो की इस रोग को काफी हद तक कंट्रोल कर सकती हैं, योग पर की गई रिसर्च से यह पता चलता है की यदि आप नियमित रूप से सिर्फ 15 से 20 मिनट तक योग करते हैं तो अस्थमा का असर धीरे धीरे कम हो सकता और यह ख़त्म होने के कगार पर भी पहुंच सकता है। योग में सांस लेने वाली यौगिक क्रियाएं ऐसी हैं जिनका सहारा ले कर आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार से ये यौगिक क्रियाएं आपके फेफड़ों की कार्यशैली में बहुत अच्छा फर्क लाती हैं और आपको दवाई की जरुरत नहीं पड़ती है। तो आइये जानते हैं इन खास यौगिक क्रियायों के बारे में।
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1- शवासन –
शवासन बहुत ही सरल योगासन है इसको हर आयु वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं। इसको करने से व्यक्ति का चित्त और शरीर बेहद तनाव मुक्त हो जाता हैं आर अगर आप तनावमुक्त रहेंगे तो आपका शरीर पहले से ज्यादा अच्छे से काम करेगा और चुस्त रहेगा।
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2- प्राणायाम –
प्राणायाम, अस्थमा के लिए एक अचूक यौगिक क्रिया हैं, यह अस्थमा में सबसे ज्यादा लाभ पहुंचता है। इसकी सहायता से आपके फेफड़े जल्द ही सही होने लगते हैं । इस योग को यदि आप करते हैं तो आपका ब्लड प्रेशर कम होता है साथ ही आपकी हार्ट रेट भी कम होती है, आपका मन शांत होता है।
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3- बध्धाकोनासन –
इसके करने से आपका मन शांत होता है साथ ही इसमें स्वास-प्रस्वास की क्रिया भी होती है जो की आपके फेफड़ों को लाभ पहुंचाती है। इसको करने से आपके हाथों और पैरों की मांसपेशियों की भी अच्छी तरह से एक्सरसाइज़ हो जाती है तथा आपका हार्ट रेट भी घटता है।
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4- मत्स्यासन –
इसमें आपको एक मछली की तरह से ही अपने शरीर की आकृति बनानी होती है, यह काफी आसान है और अस्थमा में बहुत ज्यादा लाभदायक भी। इस आसन का सबसे बड़ा लाभ यह है की इसको करने पर रोगी के गले पर खिंचाव बनता है जिसके कारण रोगी की थायराइड ग्रंथि और सांस की नली रोग मुक्त होती हैं और सांस लेने में परेशानियों का सामना नहीं करना होता है।
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5- भुजंग आसन –
भुजंग आसन बहुत आसान है, इसको करने से रोगी का सीना फैलता है जिसके कारण फेफड़ों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और रोगी का रक्त परिसंचरण भी सही हो जाता है जिसके कारण रोगी जल्द ही रोग मुक्त होता चला जाता हैं।
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6- ब्रिज पोज़ –
यह योगासन यदि रोगी करता हैं तो इससे रोगी के फेफड़ों और सीने पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता हैं, इससे रोगी के फेफड़े खुलते है और सीना चौड़ा होता हैं, जिसके कारण रोगी को अस्थमा में बहुत लाभ मिलता हैं।
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7-अर्धमत्स्येन्द्रासन –
इसको नियमित रूप से करने पर पीठ, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती की नाड़ियों को अच्छा खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़ों में खुल कर ऑक्सीजन जाती है इसलिये यह दमा के रोगियों को जरुर करना चाहिये।