थाइरॉइड एक ग्रंथि है जो गर्दन में स्थित होती है। यह ग्रंथि थायोक्सिन नाम के हार्मोन का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करती है। थाइरॉइड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने का मतलब है कि शरीर का मेटाबॉलिज्म यानी भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया का सही तरीके से काम करना, लेकिन जब थाइरॉइड ग्लैंड घटती या बढ़नती है, तब परेशानी होती है थाइरॉइड एक ऐसी बीमारी है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है। हर दस थाइरॉइड के मरीजों में 8 महिलाएं होती हैं। थाइरॉइड से ग्रस्त महिलाओं को मोटापा, तनाव, डिप्रेशन, बांझपन, कोलेस्ट्रॉल जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। थाइरॉइड दो प्रकार का होता है हाइपोथाइरॉइड और हाइपरथाइरॉइड।
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थाइरॉइड का मूड पर प्रभाव
इस बिमारी का असर आपके शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही आपका मूड भी इससे प्रभावित होता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को डिप्रेशन व अकारण ही चिंता लगी रहती है। ऐसा माना जाता है कि आपको जितना गंभीर थाइरॉइड होगा उतनी ही गंभीरता से आपके मूड में परिवर्तन आएगा। लेकिन अगर आप हाइपोथाइरॉइड से ग्रस्त हैं तो आपको डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। साथ ही आप काफी थकान भी महसूस करेंगी। लेकिन ऐसा भी जरूरी नहीं कि डिप्रेशन और मूड में परिवर्तन जैसी समस्याएं आपको थाइरॉइड के कारण ही हो। इन परेशानियों की कोई और वजह भी हो सकती है। इसलिए अपने आप से कोई भी निर्णय ना लें। थाइरॉइड में वजन का घटना या बढ़ना, मासिक धर्म में अनियमितता, गर्म या ठंडा तथा मल में परिवर्तन आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा थाइरॉइड में मूड में परिवर्तन जैसी समस्या भी होती है।
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उपचार और निदान
थाइरॉइड की बिमारी का पता लगाने के लिए रक्त के नमूनों को लैब भेजा जाता है। इसके बाद रिपोर्ट आने पर पता चलता है कि आपको कितना गंभीर थाइरॉइड है और आपको कितनी दवा देने की आवश्यकता है। इस दवा से शरीर का मेटाबोलिज्म एक बार फिर ठिक तरह से काम करने लगता है और आपको तबियत में भी सुधार महसूस होता है। इसके बाद जब कई हफ़्तों तक इसकी दवा ली जाए तो मिजाज़, थकान, ध्यान केंद्रित करने में कमी, डिप्रेशन और मूड को प्रभावित करने वाले लक्षण ख़त्म होने लगते हैं। लेकिन अगर थाइरॉइड की दो महीने तक नियमित रूप से दवा लेने के बाद भी आपका मूड प्रभावित रहे तो इसका कोई और कारण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको अपने मन में सोचना चाहिए कि आपकी उदासी का असली कारण क्या है और आप इतनी दुखी क्यों रहने लगी हैं। अगर हो सके तो किसी मनोचिकित्सक से भी परामर्श करके अपनी समस्या का हल निकाल सकती हैं।