अधिकतर लोग इस बात को मानते हैं कि अगर बुखार में रोगी के शरीर में तेज पसीना आए तो बुखार जल्दी ठीक होता है। इस वजह से कई बार रोगी के शरीर पर भारी कंबल और रजाई तक ढक दिए जाते हैं। लेकिन क्या यह बात सही है कि बुखार आने पर रोगी को पसीना दिलाना काफी जरूरी होता, जिससे उसका बुखार उतर जाए। वैसे शरीर के तापमान को कम करने के इससे कई बेहतर और अच्छे तरीके भी हैं। फिर क्यों हमेशा एक ही तरीका अपनाकर, बुखार को ठीक करने की कोशिश की जाती है। आइए यह जानने की कोशिश करते हैं कि इस बारे में डॉक्टर क्या कहते हैं।
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क्या मानते हैं एक्सपर्ट
इस विषय पर डॉक्टर्स की राय कुछ और है। वह मानते हैं कि बुखार होने पर रोगी के बदन को कपड़ों से लाद देना गलत है। बुखार होने पर रोगी को गर्म कपड़ों अथवा कंबल से ढकने की बजाय उसके माथे पर ठन्डे पानी में भीगा कपड़ा या स्पॉन्ज रखना चाहिए, ताकि उसके शरीर का तापमान कम किया जा सके। लेकिन लोग इसके विपरीत काम करते हैं। बुखार आने पर शरीर का तापमान कम करना आवश्यक होता है। इसलिए बुखार उतरने के लिए सबसे पहले डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए और फिर उचित दवा लेनी चाहिए। साथ में ठन्डे पानी की पट्टियां भी रोगी के माथे पर रखते रहें। ऐसा करने से बुखार शीघ्र ही ख़त्म हो जाएगा।
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मिथक है पसीना आने पर बुखार कम होने की बात
अधिकतर लोगों को ऐसा ही लगता है कि ठण्ड लगने के कारण ही शरीर का तापमान बढ़ जाता है और शरीर में कंपकपी महसूस होती है। जबकि यह लोगों का सिर्फ एक मिथक है। असल में जब वायरल होता है तब शरीर बैक्टीरिया व वायरस से लड़ने के लिए अपना तापमान बढ़ा कर ब्लड वेसल्स को सिकोड़ देता है। इस वजह से जब ब्लड वैसल्स सिकुड़ती हैं तब शरीर में कंपकपी महसूस होती है, जिसके बाद मरीज को कंबल और रजाई से ढक दिया जाता है। लेकिन ऐसा करने के बाद शरीर का तापमान घटने की जगह और अधिक बढ़ जाता है। शरीर का तापमान और अधिक बढ़ने की स्थिति रोगी के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए सही ये होगा कि ऐसी स्थिति में मरीज को केवल एक हल्का सा कंबल ही ओढ़ाया जाए।
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इसलिए यह बात मानना गलत है कि बुखार आने पर मरीज को तेज पसीना आए तो वह जल्दी ठीक होता है। इसलिए स्वेटर व ऊनी कपड़ों का इस्तेमाल सर्दियों में ठण्ड से बचने के लिए किया जाए तो सही है लेकिन बुखार में मरीज को यह सब ना ओढाएं। जब मरीज को ठण्ड लगे तो उसे सिर्फ एक पतला कंबल ही ओढ़ाएं और मरीज के माथे पर ठन्डे पानी की पट्टी करते रहें। इसके अलावा रोगी के कमरे का तापमान भी सही रखें।