वैशाख माह में आने वाला महत्वपूर्ण त्योहार बैसाखी को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी का आगमन प्रकृति के बदलाव को दर्शाता है। यह त्योहार अत्यंत उल्लास और उमंग के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। बैसाखी का यह त्योहार बैसाख महीने की संक्रान्ति, यानि कि पहली बैसाख को मनाया जाता है।
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हम आपको बता दें कि ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले देवी गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं। उन्हीं के सम्मान में हिंदू धर्मावलंबी पारंपरिक पवित्र स्नान के लिए गंगा के किनारे एकजुट होते हैं। बैसाखी का पर्व भारत के हर राज्य में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। केरल में इस त्योहार को विशु का नाम दिया गया है, तो वहीं असम में इसे रोंगाली बिहू, बंगाल में नब बर्षा, बिहार में वैषाख और तमिलनाडू में इसे पुथंडू के नाम से जाना जाता है। बैसाखी का पर्व पंजाब के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
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बैशाखी का पर्व खास तौर पर पंजाब राज्य में काफी जोश के साथ मनाया जाता है, इतना ही नहीं इसे पंजाब का प्रमुख त्योहार माना जाता है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों इतने धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।
1 किसानों के लिए खास दिन
बैसाखी का संबंध फसल के पकने से होता है। इस दिन से गेहूं की फसल को काटने की शुरुआत होती है, जिसके कारण किसाना काफी खुश होते हैं, क्योंकि अब उन्हें फसल की ज्यादा रखवाली करने की चिंता नहीं सताती। इस त्योहार के अनुसार पंजाब के लोग पूरे रीति-रिवाज से भांगड़ा और गिद्धा करके इस पर्व को मनाते हैं।
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2 व्यापारियों के लिए भी खास है यह दिन
इस दिन भगवान शंकर और देवी दुर्गा की पूजा अर्चना भी होती है। कई जगह व्यापारी आज के दिन अपने नए वस्त्र धारण करके अपने बहीखातों की शुरुआत करते हैं।
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3 मौसम में हुए परिवर्तन का पर्व
बैसाखी का त्योहार तब होता है जब सर्दियों खत्म हो जाती हैं और गर्मियों की शुरुआत होने लगती है। इसी के आधार पर इस पर्व को भी मनाया जाता है।
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4 खालसा पंथ की स्थापना
1699 में बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिखों में यह त्योहार सामूहिक जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
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