नौकरी पेशा लोगों की सैलरी महीने में एक बार आती हैं, जो पूर्णिमा के चांद के समान होती हैं और दिन-प्रतिदिन घटती जाती हैं। ऐसे में इस महंगाई के दौर में एक छोटे परिवार तक को घर चलाना काफी मुश्किल हो जाता हैं। हर स्तर के नौकरी करने वाले लोगों को अपनी सभी जरूरतें पूरी करने में दिक्कतें आती हैं और इसकी केवल एक ही वजह हैं ज्यादा महंगाई। जब जरूरतें ही ना पूरी हो तो बचत और निवेश की बात कहां से आए? महीना पूरा भी नहीं होता हैं कि हमारी सैलरी पहले ही खत्म हो जाती हैं। फिर अगले महीने की सैलरी का बेसब्री से इंतजार रहता हैं। सैलरी और इसमें से बचत एवं निवेश के कुछ आकंडे हमें प्राप्त हुए हैं और इनको जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
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1. रोज की जरूरत के लिए कम पड़ती सैलरी (Salary Expenses In Daily Need)-
रोज की जरूरत पूरी करते-करते सैलरी बचती ही नहीं। आपको यह जानकर बेहद ही हैरानी होगी कि दस में से नौ फैमिली ऐसी हैं जो अपनी रोज की जरूरत को पूरा करने में अपनी अधिकतर सैलरी खर्च कर देती हैं। इसके अलावा हमारे भारत देश में करीब 94% फैमिली ऐसी जो कि 70 से लगभग100 प्रतिशत सैलरी को खर्च कर देती हैं।