योग हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, यह न सिर्फ हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ करता हैं बल्कि यह हमें मानसिक रूप से भी तंदरूस्त बनाता है। स्वस्थ तन और मन वाला व्यक्ति ही अपने अथक प्रयासों के बाद सफलता पा लेता है। आपको बता दें कि आज योग के विषय पर कई तरह की रिसर्च की जा रही हैं। जहां हम इसको मानव की बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल करने पर जोर दे रहें हैं, वहीं दूसरी ओर समाज के लोगों के बीच योग को लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं, जिनको लोग सच मानते हैं। आज हम योग से संबंध रखने वाले इन्हीं मिथकों पर बात कर रहें हैं, तो चलिए जानते हैं इन मिथकों के बारे में….
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1. संगीत के साथ योग को करना (Perform Yoga With Music)
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योग दिव्यता को पाने का एक साधन है। लेकिन आज कल लोगों ने इसको भी अपने मन मुताबिक करना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि योग को करने के लिए हमें एकाग्रता की बेहद आवश्यकता होती हैं। इसको करते समय हमें अपनी सांसों पर पूरा ध्यान केंद्रित करना होता है, ऐसे में संगीत के साथ योग करने से हमारी एकाग्रता भंग हो जाती है। इसलिए हमें योग को किसी भी फिल्मी संगीत के साथ नहीं करना चाहिए।
2. किताबों से योग सीख लेना (Learn Yoga From Books)
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बेशक हम इस बात को मानते हैं कि किताबों से ही व्यक्ति के ज्ञान का स्तर बढ़ता है, लेकिन योग एक ऐसा ज्ञान है, जिसमें किताबी ज्ञान से ज्यादा किसी एक्सपर्ट या ट्रेनर की आवश्यकता होती है। किताबें योग को सीखने के लिए हमें प्रेरणा दे सकती हैं, लेकिन सही योग हमें योग गुरू ही सिखाते हैं।
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3. योग हमारी दिनचर्या का हिस्सा (Yoga Is Part Of Our Daily Routine)
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हम आपको बता दें कि योग केवल हमारी दिनचर्या का ही हिस्सा नहीं होता, यह हमारे जीवन में खाने और पीने की प्रक्रिया के जितना ही जरूरी होता है। यह मात्र दो या चार घंटे की साधना मात्र नहीं हैं, इसको करने वाले साधु युगों युगों तक इसमें ही लीन रहते हैं। सही ढंग से इसका अभ्यास करने से यह हमारे मानसिक दृष्टिकोण को भी सकारात्मक रूप में परिवर्तित करता है।
4. योग मात्र कुछ आसन (Yoga Merely A Few Postures)
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आजकल लोग मात्र 5 से 7 आसनों को करने भर से कहते है कि वह भी योग करते हैं, लेकिन आपको बता दें कि योग के ज्ञान का संसार अनंत है। इसे हम कुछ आसन मात्र कर लेने से नहीं प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही यह कोई मुश्किल रूप से होने वाले आसन भी नहीं है, इसके लिए हमें अपने शरीर पर स्थिरता लानी होती है, जो एकाग्रता से ही आती है।
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