क्रिसमस डे में अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। जैसे – जैसे प्रभु यीशु के जन्म का यह त्योहार करीब आता जा रहा है वैसे – वैसे इसाई समुदाय के लोगों में इस त्योहार को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है। प्रभु यीशु के जन्म के पर्व की तैयारियाँ शहरों के साथ – साथ ग्रामीण इलाकों में भी जबरदस्त तरीके से देखने को मिल रही हैं। बाजार सज चुके हैं और तैयारियाँ जोरों पर हैं। लोगों में भी एक अलग ही उत्साह है।
कार्ड देने की परंपरा और क्रिसमस ट्री का महत्त्व :
इस अवसर पर सभी एक दूसरे के घर जाकर कार्ड्स देते हैं। इस मौके पर क्रिसमस ट्री का भी विशेष महत्व रहता है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालोसम या फर का पौधा होता है जिस पर सुन्दर सजावट की जाती है। लोग सदाबहार पेड़ों से अपने घरों को सजाते थे। उनका विश्वास है कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। इंग्लैंड में प्रिंस अलबर्ट ने 1841 ई. में विडसर कैसल में पहला क्रिसमस ट्री लगाया था।
यह भी पढ़ें – इस क्रिसमस जरूर ट्राई करें क्लासिक क्रिसमस पुडिंग रेसिपी
बच्चों को उपहार :
इस मौके पर सबसे ज्यादा खुश बच्चे होते हैं क्योंकि उनके प्यारे सांता क्लोस उनके लिए आधी रात में आकर उपहार देते हैं इसलिए हर बच्चे को इस अवसर पर सांता का इंतजार रहता है। क्रिसमस की रात सेंटा क्लॉस द्वारा बच्चों के लिए उपहार लाने की मान्यता है। कहते है कि सेंटा क्लॉस रेंडियर पर चढ़कर किसी बर्फीली जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं। सेंटा क्लॉस की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब – अमीर सभी प्रसन्न रहें।
image source:
क्रिसमस से जुड़ी कुछ खास परम्पराएँ :
साल के आखिर में आने वाला खुशियों का त्योहार क्रिसमस जिसे हम बड़ा दिन भी कहते हैं। इस दिन सभी लोग सामूहिक प्रार्थना करते हैं और प्रभु यीशु को याद करते हुए उनसे प्रार्थना करते हैं कि आप इस धरती को पाप मुक्त रखें और सभी की रक्षा करें। इस दिन ईसाई धर्म के सभी लोग ईश्वर से अपने पापों और गुनाहों की माफी मांगने व सबकी खुशी के लिए चर्च जाते हैं।
image source:
कैसे मनाते हैं त्योहार :
भारत एक ऐसा देश हैं जहां पर ईसाई और गैर ईसाई सभी धर्मों के लोग बेहद ही हर्षोल्लास से इस पर्व को मानते हैं। क्रिसमस डे हम सभी को धर्मनिरपेक्षता का संदेश देता है। इसके अलावा प्रभु यीशु के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला यह दिन हमे प्रेम और आपसी भाईचारे का भी संदेश देता है। इस प्रकार यह त्योहार प्रेम शांति और समृद्धि का प्रतीक है।
लोगों की मान्यता है कि इसी दिन मानव जाति के कल्याण के लिए ईश्वर ने ईसा मसीह को पृथ्वी पर अवतरीत किया था। वैसे तो पूरे भारत में ही इसको बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है परंतु गोवा के पणजी में इस त्योहार की धूम देखते ही बनती है। इस त्योहार की महत्ता का बखान करना हो तो वह ईसा मसीह के इस उपदेश से स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा था कि धन्य हैं वे लोग जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे ही परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। इस प्रकार यह पर्व धार्मिक कट्टरपंथी, पूर्वाग्रह, घृणा व हिंसा को आधार न बनाकर ईश्वर के निकट जाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
image source:
यह भी पढ़ें – क्रिसमस पार्टी के लिए यूं बनाएं डेट्स और कॉफी का मिल्कशेक
लाता है शांति का संदेश :
इस अवसर पर सभी एक दूसरे को अच्छे अच्छे संदेश देते हैं और अपने दिल की बातों को एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं। इस दौरान एक दूसरे को कार्ड देना का रिवाज बंधुत्व की भावना को अलोकित करता है। इस तरह से समूचे विश्व में मनाया जाने वाला यह त्योहार सांस्कृतिक रिवाज व धार्मिक गुणों की महत्ता रखता है।
धर्मनिरपेक्षता का संदेश को देते हुए यह पर्व पाप से पुण्य व अधर्म से धर्म की ओर जाने का मार्ग दिखाता है। यीशु का गुणगान करते हुए लोग अपनी प्रार्थनाओं में क्षमाशीलता का गुण मांगते हैं। इस प्रकार क्रिसमस डे प्रत्येक मान्यताओं को महत्व देते हुए लोगों को सकारात्मक दिशा में बढ़ने का संदेश देता है। अतः इसकी महत्ता समूचे विश्व में विशिष्ट है।
image source:
यह भी पढ़ें – क्रिसमस के मौके पर रेड ड्रेस में अपने जलवे दिखाती दिखीं जैकलीन