आखिर क्यों बनी आसिफा गैंगरेप का शिकार, कहां तक पहुंची अब तक की कार्यवाही

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इन दिनो कठूआ रेप केस भारतीय मीडिया की ट्रेडिंग पर चल रहा है। जिसके चलते लोगों को गुस्सा होने व अपनी भड़ास निकालने का नया मुद्दा मिल गया है। हमारे इन शब्दों से कुछ गलत अंदाजा न लगाइए। उस बच्ची के साथ हुए उस हादसे से हम भी उतना ही दुखी है जितने की उसके माता पिता। मगर सच तो यही है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले इस भारत देश में कोई भी बेटी कभी सुरक्षित नही हो सकती। इसका कारण देश लोगों के दिलो दिमाग में घर करे बैठी उनकी रुढ़ीवादी सोच, जिसके चलते वह आज भी महिला वर्ग को अपने इस्तेमाल की एक चीज मात्र ही मानते है।

इस केस की बात करें तो इस घटना की पीड़िता एक 8 साल की मासूम बच्ची है जिसके साथ वो हरकत हुई जिसके बारे में सुनकर भी लोग शर्मसार हो जाए और इस कृत्य को अंजाम देने वाले वह लोग है जो खुद को धर्म का ठेकेदार बताते है। इस केस से जुड़ी कार्यवाही के बारे में बताएं तो फिलहाल पुलिस ने केस से जुड़े 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिनमे 4 पुलिस कर्मचारी भी शामिल है। मगर आखिर क्या था यह पूरा मामला। आखिर इस बच्ची को इन लोगों ने अपनी हवस का शिकार क्यों बनाया। आइये जानते है इस केस के बारे में।

रेप केसImage source:

गैंगरेप का मामला कठूआ जिले के रसाना गांव का है जो कि जंमू कश्मीर के अंर्तगत आता है। दरअसल बीती 10 जनवरी को गांव की एक 8 वर्षीय बच्ची आसिफा जोकि पशुओं को चराने गई थी लापता हो गई थी। बेटी के घर न लौटने पर घर वालो ने बच्ची की तलाश की, मगर उसका कहीं कोई पता ठीकाना न मिला। हार कर 2 दिन बाद यानि 2 जनवरी आसिफा के पिता ने बच्ची के लापता होने की शिकायत हीरानगर पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई। शिरायत के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच शुरु की और जांच में बच्ची के लापता होने के पीछे पूर्व रेवेन्यू अधिकार सांजी राम के भतीजे को काबू किया गया।

जब उससे पूछताछ की गई तो लापता बच्ची का यह मामला एक गंभीर आरोप का रुप ले गया। हालांकि इस मामले पुलिस कार्यवाही में कोताही को देख लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और सड़को पर प्रर्दशन किया। लोगों में बढ़ते आक्रोश को देख इस मामले की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौप दी गई। जांच में सामने आया कि इस पूरे मामले के पीछे सांजी राम का हाथ था।

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मामले की जांच पुरी होने के बाद पुरी कहानी सामने आई। पता लगा कि यह पूर साजिश का रचिता सांजी राम था जिसने अपने भतीजे से आसिफा का अपहरण करवाया था। 10 जनवरी को जब आसिफा जंगल में घोड़ो को चराने के लिए गई थी तभी नाबालिग युवक अपने एक साथी मन्नू के साथ वहां पहुंच गया और आसिफा को बहाने से जंगल के अंदर ले गए। इस दौरान उन्होंने आसिफा के साथ रेप किया और फिर उसे पकड़ कर सांजी राम के देवस्थल ले गए। आसिफा को देवस्थल के प्रार्थना कक्ष में बांध कर रख दिया गया और उसे शांत रखने के लिए नशीली दवा दे दी गई। इसी बीच नाबालिग ने सांजी राम के बेटे विशाल को फोन कर बताया कि उन्होंने आसिफा का पकड़ लिया और उसके साथ रेप भी किया है। उनकी बाते सुन विशाल जोकि उस समय मेरठ में था वापिस आ गया और उसने भी आसिफा के साथ रेप किया।

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करीब 7 दिन तक बारी बारी रेप के बाद सांजी राम के कहने पर आसिफा को जगंल में ठिकाने लगाने के लिए ले जाया गया। इस दौरान अन्य आरोपियों के साथ पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया भी उनके साथ था। जिसने आसिफा को मारने से पहले उसके साथ रेप किया। रेप के बाद उन्होंने आसिफा के दुपटे से गला घोट कर उसे मार दिया। मौत को पुख्ता करने के लिए उन्होंने पत्थर से आसिफा के सिर पर मार कर उसे खत्म कर दिया और शव को जंगल में ही छोड़ दिया। कुछ दिन बाद जंगल में आसिफा की लाश मिली जिसकी हालत देख लोगों का गुस्सा और बढ़ गया। इस मामले में खजुरिया समेत दो अन्य पुलिस अधिकारियों पर सबूतो से छेड़छाड़ व घूस का आरोप लगाया गया।

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इस मामले को लेकर पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही भी कई सवाल पैदा करती है। इस केस में कई राजनीतिक लोग भी शामिल है जिसके चलते पुलिस रिपोर्ट में कई कमियां पाई गई। मगर जंमु कश्मीर की मुख्यमंत्री महबुबा मुफ्ती द्वारा मामले की निक्षपक्ष जांच के आदेश दिए गए। जिसके बाद केस से जुड़े 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बहरहाल दोषियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट फाइल कर दी गई है। मगर इंसाफ की गुहार लगा रहे आसिफा के माता पिता और समर्थक अभी भी उम्मीद में है कि अदालत से उन्हें इंसाफ मिले। इस मामले में अब तक यही पता लग पाया है कि बच्ची के अपहरण का कारण आपसी मतभेद था।

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