पूरे दिन भर में हम अपने आस पास न जाने कितनी ऐसी चीजें देखते हैं जिसे देखकर हमारे मन में आता है कि यह गलत है और इसमे बदलाव आना चाहिए। करीब 90 प्रतिशत लोग इस सोच को मन में दबाकर अपने रोजाना के काम में लग जाते हैं और और सब भूल जाते है। मगर 10 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो इस बदलाव का बिड़ा उठाते हैं और कोशिश करते हैं। आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही साहसी महिलाओं से परिचित करवाने जा रहें है जिनकी सोच और मेहनत की बदौलत बदलाव का पहियां घूमा। आज यह सब अपने अपने कार्यक्षेत्र में काम करते हुए उस बदलाव के पहिएं को निरंतर चला रही हैं और उसमे और भी तेजी लाने की कोशिश कर रहीं हैं। चलिए मिलते है भारत की इन सुपर वूमन से।
1. प्रीती पाटकर
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प्रीती पाटकर मुख्य रुप से मुंबई की निवासी है। वह मुंबई के रेड लाइट इलाके में काम करने वाले बच्चों की मदद करती है। वह एक एन.जी.ओ चलाती है जहां इन बच्चों के लिए नाइट केयर सेंटर है। प्रीती पाटकर का यह एन.जी.ओ अब तक सैंकड़ो बच्चों के जीवन को सही दिशा दे चुका है।
2. स्नेहा कामथ
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स्नेहा कामथ ने देश के लोगों की महिला ड्राइवरों के प्रति बनी बनाई सोच को बदलने का बिड़ा उठाया है। स्नेहा सोशयोलॉजी में स्नातक की पढ़ाई कर चुकी है और अब वह एक ड्राइविंग स्कूल चलाती है जहां पर सिर्फ महिलाओं का ड्राइविंग सिखाई जाती है। इस स्कूल को चलाने के पीछे उनका एक मात्र उद्देश्य यही है कि महिलाएं को पुरुषों के उपहास का कारण न बने।
3. पूजा टपारिया
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पूजा एक जिस समय एक कलाकार के तौर पर कार्य करती थी तो एक बाल शोषण पर अधारित प्ले ने उनमे ह्दय परिवर्तन कर दिया। जिसके बाद उन्होंने बाल शोषण से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ करने का फैसला कर लिया। आज उनके एन.जी.ओ अर्पण ने अनगिनत बाल शोषण के शिकार हुए बच्चों में जीने की अलग आस जगाई है और उनके जीवन को सवारा है।
4. माला श्रीकांत
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कहते है कि दिल में कुछ करने की सच्ची लगन और चाह हो तो जीवन के उतार चढ़ाव भी आपका रास्ता नही रोक सकते। कुछ ऐसी ही कहानी है माला श्रीकांत की। अपने तालाक के बाद एक गंभीर एक्सीडेंट के बाद ओमान से भारत आई माला ने लोगों की भलाई के लिए एक बुनाई की एक फैक्टरी लगाई। आज इस फैक्टरी में रानीखेत की बहुत सी महिलाएं काम करती है। इस फैक्टरी की बदौलत आज माला और कई अन्य परिवारों का रोजगार चलता है।
5. प्रतिमा देवी
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प्रतिमा देवी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। आज के जमाने में जहां इंसान इंसान की मदद करने को तैयार नही है उस समय में प्रतिमा देवी सड़को गलियों में घूमने वाले अवारा कुत्तों का पेट पालती हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि प्रतिमा देवी खुद भी आर्थिक तौर पर कुछ ज्यादा अच्छी नही है। अपनी जीविका कमाने के लिए वह कूड़ा बीनने का काम करती है। इसके बावजूद वह हर रोज़ 300 से ज्यादा कुत्तों को खाना खिलाती है।
6. रिचा सिंह
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रिचा सिंह भी अपने स्तर पर लोगों की खूब मदद करती है। उनके द्वारा योर दोस्ते के नाम से एक वेबसाइट चलाई जाती है, जहां पर वह डिप्रेशन के शिकार लोगों की मदद करती है। वह उन्हें डिप्रेशन से निकल कर, एक बार फिर से जिंदगी को नए सिरे से जीने के लिए प्रेरित करती है।
7. रिया शर्मा
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महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में एसिड अटैक एक भयानक जुर्म है जिसकी कोई भरपाई नही है। इसका शिकार होने वाली महिला के लिए आगे का जीवन कितना कठिन हो जाता है उसका अहसास भी नही लगाया जा सकता है। महिलाओं के इसी दर्द और उनके जीवन को कुछ सुखद बनाने की एक कोशिश रिया शर्मा द्वारा की जा रही है। वह एक वेबसाइट की मदद से एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं के हुनर को अपलोड कर जो पैसे कमाती उसे इन्हीं की मदद में लगाती हैं।
8. शीला गोष
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आमतौर पर लोग 60 साल की उम्र के बाद खुद को हर तरह के काम काज से रिटायर कर लेते है, मगर अपने एकलौते बेटे की मौत दंश झेल चुकी शीला गोष 60 की उम्र के बाद भी आलू-फ्राई बेचकर अपना और अपने पोतों का पालन पोषण कर रही हैं।
9. प्रेमलता अग्रवाल
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प्रेमलता अग्रवाल महिलाओं के दृढ़ हौंसले की जीती जागती मिसाल है। जिस काम को अच्छे खासे लोग युवा उम्र में नही कर पाते उसे प्रेमलता ने दो बच्चों के जन्म के बाद कर दिखाया। प्रेमलता के नाम माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे ओलडेस्ट वुमेन का रिकार्ड दर्ज है।
10. परशिया नारायण
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अगर आप सोचते हैं कि मेहनत की बदौलत सिर्फ पुरुष कोई मुकाम हासिल कर सकते हैं तो आपकी इस सोच को परशिया नारायन पूरी तरह से बदल देंगी। जब वह मात्र 19 साल की थी तो उन्होंन प्रेम विवाह कर लिया था, मगर पति की शराब की लत्त के कारण उन्होंने उससे अलग होने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने अपनी जीविका के ले केटरिंग का बिजनैस शुरु किया, जो बेहद प्रसिद्ध हो गया है।