किसी भी महिला के लिए मां बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। हर महिला चाहती है कि वह मां बने, मगर आज के भागदौड़ भरे जीवन में उनके पास इस चीज के लिए भी समय नही बचा। इसीलिए बहुत सी वर्किंग वूमेन गर्भधारण करने के लिए एक निर्धारित समय तक कर लेती हैं। मगर कुछ मामलों में यह अंतराल महिलाओं की शारीरिक परेशानी के कारण भी आता है। दरअसल हर महिला का प्रजनन स्तर अलग होता है। कई बार महिलाओं के अंदर होने वाले शारीरिक बदलाव कुछ ऐसे परिणाम दिखाते है जो प्रकृति से पूरी तरह विपरीत होते हैं। जैसे कि गर्भावस्था में ही पुन: गर्भधारण करना। हालांकि सुनने और पढ़ने में यह काफी अजीब लगता है, मगर ऐसा सच में होता है। अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान संभोग करती है तो उसके गर्भ एक और भ्रुण उत्पन्न हो जाता है। लेकिन ऐसा नही है कि सिर्फ इसी एक वजह से यह संभव है, कुछ और तरीके भी है जिससे गर्भावस्था के बावजूद महिलाएं गर्भधारण कर सकती हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में
1- जब शरीर प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाए
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अगर प्राकृतिक तौर पर देखा जाए तो जब महिला का अंडाणु और पुरुष का स्पर्म मिलता है तो एक नई जिंदगी का जन्म होता है। ऐसे में जब महिलाओं के पिरीयड्स बंद हो जाते है तो उससे इसकी पुष्टि भी हो जाती है। मगर कई बार जब अंडा उपलब्ध हो और शुक्राणु उसे निषेचित कर दें तो महिला गर्भावस्था के बावजूद दोबारा से गर्भधारण कर पाती है।
2- सुपरफीटेशन
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यह भी एक प्रकार का तरीका है जिसमे महिलाएं प्रेगनेंसी को दौरान फिर से प्रेग्नेंट हो जाती है। इसमे स्त्रियों के गर्भ में भ्रुण होने के बावजूद फिर से नया भ्रुण पैदा हो जाता है।
3- सुपरफिकन्डेशन
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इस तरीके में जब दो अंडाणु रिलीज होते हैं तो उनमें से एक निषेचित हो जाता है जबकि दूसरा अंडाणु कुछ समय के अंतराल के बाद निषेचित होता है। ऐसे में महिला के पेट में दो भ्रुण उत्पन्न हो जाते है।
4- हेट्रोपटेरनल सुपरफिकन्डेशन
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इस प्रक्रिया में भी दो अंडाणु ही रिलीज होते है बस इसमे एक अंडाणु को पुरुष द्वारा निषेचित होता है जबकि दूसरा किसी दूसरे पुरुष द्वारा। ऐसी अवस्था में महिला के गर्भ में दो अलग अलग पुरुषों के बच्चे पलते है।
5- यह होता जुड़वा बच्चों का सच
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अक्सर लोगों को लगता है कि उनके जुड़वा बच्चे भगवान की कृपा से हुए है लेकिन यह है कि ऐसा तभी होता है जब महिला के शरीर में कुछ इस तरह के परिवर्तन होते हैं। दरअसल कई बार संभोग के बाद जब पुरुष का स्पर्म महिला के अंडाणु के साथ मिलता है तो महिला गर्भवती हो जाती है। ऐसे में स्पर्म के कुछ हिस्से कई दिनों तक महिला के अंदर जीवित रहते है। 10 से 15 दिन के अंतराल के बाद जब महिला फिर से अंडाणु छोड़ती है तो वह स्पर्म द्वारा निषेचित होकर महिला को फिर से गर्भवती बना देते है।