अक्सर देखा जाता है कि जब कोई रोता है तो उनकी आखों से आंसू की धार पहले से ही बहने लगती है। जिसे कभी कभी तो लोग मगरमच्छ के आंसू का नाम भी दे देते है पर कभी आपने गौर किया है कि बड़े रोते है तो आखों से आंसू के निकलते देर नही लगती। पर यदि वही कोई नवजात शिशु रोता है तो उसका चेहरा भले ही लाल हो जाये पर आखों से एक आसूं नही टपकता है। आखिर क्या है इसके पीछे का कारण। आज हम आपको अपने आर्टिकल के द्वारा इसके पीछे छिपे कारणों से अवगत कराने जा रहे है तो जाने नवजान बच्चे के आखों से आसूं के ना बहने का कारण क्या है?
टियर डक्ट से आते है आंसू –
टियर डक्ट एक ऐसी पाइपलाइन होती है जो लैक्रिमल ग्लैंड (Lacrimal Gland) से आंसू लेकर आते हैं. ये लैक्रिमल ग्लैंड बादाम के आकार की दो थैलियां सी होती हैं. जो हमारी आंख के कोने से नाक को छूते हुए जाती है। और इसी में आंसू बनते हैं.। लेकिन नवजात बच्चों की आंखों में लैक्रिमल ग्लैंड्स से आँखों तक लाने वाली थैलिया उनके जन्म के एक महीने के बाद से बनना चालू होते हैं. किसी किसी बच्चे में ये लैक्रिमल ग्लैंड बनने के लिये तीन महीने तक का भी समय लग सकता है ।
आंखों में भी होता है ड्रेनेज सिस्टम –
बैसे तो आंखों से आंसू का निकलना आंखों के लिए काफी अच्छा माना जाता है. दरअसल, हमारी आखों से आंसुओं के निकलने की प्रक्रिया एक ड्रेनेज-सिस्टम की तरह काम करती है। ये ग्रंथियां हमारी आंख के कोने से होते हुए नाक के अंदरूनी सिरों को छूते निकलती है। जिस कारण जैसे ही आंख में धूल कण या कीड़े-मकोड़े गिर जाते है या हल्की सी चोट लगने पर, तत्काल इससे आंसुओं का स्त्राव होना शुरू हो जाता है।
6 महीनें का भी लग जाता है समय –
बैसे तो नवजात बच्चों में लैक्रिमल ग्लैंड बनने का समय 1 से 3 साह के बीच का होता है पर कई बार तो 6 माह के बच्चों के रोते हुए समय भी आंसू नही बहते। में 6 महीने तक का समय भी लग जाता है। इसके पीछे का प्रमुख कारण डीहाइड्रेशन या अश्रु वाहिनी में किसी तरह की समस्या का होना होता है। ऐसे में इन बच्चों को अधिक पानी व अधिक लिक्विड वाली चीजों को डाइट में देना चाहिये। यदि बच्चे की अश्रु वाहिनी(टियर डक्ट्स) में कोई ब्लॉकेज है और उसकी आंखों से किसी तरह का पीला पदार्थ निकल रहा है। तो आपको इस समस्या के लिये तुरंत चाइल्ड स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिये।