मेट्रो शहर में बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हमारी आंखों पर पड़ रहा हैं। सिर्फ प्रदूषण ही नहीं सूरज से निकले वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणें भी लोगों में ड्राइ आंखों की परेशानी बढ़ा रही हैं। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेत्र विभाग ने पांच साल के शोध के बाद चौंकाने वाले आंकडे दिए हैं। इस शोध में दिल्ली, एनसीआर और पहाड़ी इलाके शामिल हैं। डॉक्टर का कहना हैं कि शहरी प्रदूषण आंखों की रोशनी को कम कर रहा हैं| शोध में कहा गया कि जो लोग रोजाना 4 से 5 घंटे प्रदूषण के संपर्क में रहते है ऐसे कामकाजी युवाओं में ड्राई आई की शिकायत बढ़ रही हैं। डॉक्टर का कहना हैं कि मोतियाबिंद पहले ज्यादा उम्र के लोगों को हुआ करता था पर अब कम उम्र के लोग भी इससे प्रभावित हैं। अल्ट्रा वॉयलेट किरणों का सबसे ज्यादा असर दोपहर के 12 बजे से लेकर 2 बजे तक होता हैं।
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क्या हैं खतरें
सिर्फ प्रदूषण ही नहीं, कोयले या लकड़ी के संपर्क में आने की वजह से आंखों में जख्म हो जाते हैं। उम्रभर संक्रमण होने की वजह से पलकों में जख्म हो जाते हैं जिसके चलते पलकें अंदर की ओर मुड़ जाती हैं और कॉर्निया से रगड़ खाने लगती हैं और आखों को हानि पहुंचाती हैं जिसके कारण नजर भी चली जाती हैं। सर्दियों के मौसम में कोहरे से आंखों में जलन, नाक में खुजली, आंसू आना, गले में खराश जैसी परेशानी के साथ सांस के रोगियों को गंभीर समस्या हो सकती हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को ऐसे मौसम और प्रदूषण का गहरा असर पड़ता हैं। इससे बचने के लिए कमरे को गरम रखे और खिड़की-दरवाजें बंद रखे ताकि कोहरे का असर घर के अंदर न हो।
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कैसे बचें
अगर आप अपने आप को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचना चाहते हैं तो आप हैट का प्रयोग करें इससे 30 प्रतिशत तक कम असर पड़ता हैं या फिर आर यूवी प्रोटेक्शन वाला धूप का चश्मा पहन सकतें हैं इससे 100 प्रतिशत तक सुरक्षा हो सकती हैं। प्रदूषण से और यूवी से बचने के लिए आप रुमाल या दुप्पटे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं ताकि धूल-मिट्टी आप के नाक-मुंह में न जाए। डॉंक्टर का कहना हैं कि पूरे समाज के लोगों को आंखों को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक होना चाहिए और भारतीयों मे पहले से ही विटामिन डी की कमी रही हैं, इसलिए सावधानियों पर गौर करना चाहिए।