गर्भावस्था की बात होते ही हमारे दिमाग में मां का चेहरा आ जाता है। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि गर्भावस्था के दैरान केवल महिलाओं के दिमाग में ही अलग अलग तरह के सवाल व डर पैदा होते हैं। हालांकि उनकी यह सोच गलत नही है ऐसा सच में होता है, मगर मां के अलावा कुछ प्रकार के डर पिता के मन में भी होते है। जिस तरह एक मां को 9 माह तक अपने बच्चे की इंतजार रहता है, बिल्कुल वैसी ही उत्सुकता एक पिता के मन में भी होती है। मां के मन में क्या सवाल और डर होते है इसके बारे में तो शायद बहुत से लोग जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको एक पिता के मन की बाते बताएंगे। आईये जानते हैं इनके बारे में।
1- डिलीवरी प्रोसैस से डरते हैं मर्द
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यह बात एकदम सच है कि मर्द काफी हिम्मती होते हैं और वह जल्दी घबराते नही है लेकिन बात जब डिलीवरी के समय की हो तो बहुत से मर्दों की हालत खस्ता हो जाती है। दरअसल प्रसव के दौरान डाक्टर पिता को आप्रेशन थिएटर के बाहर खड़े रहने को बोलते है। उस समय उनके दिमाग केवल पत्नी और होने वाली बच्चे के ठीक होने की कामना चलती होती है। बहुत से मर्द तो इस स्थिति में काफी तनाव में आ जाते हैं।
2- मस्ती पर लग जाएगा बैन
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अपने पहले बच्चे के जन्म से पहले तक मर्दों को लगता है कि पिता बनने के बाद उन्हें कुछ चीजों का ख्याल रखना जरुरी हो जाएगा। वह पहले की तरह मौज मस्ती पार्टी और ड्रिंक इत्यादि नही कर सकेंगे। साथ उन्हें अपने लाईफ स्टाइल को भी बदलना पड़ेगा। आपको बता दें कि यह बदलाव भी आपको कुछ समय बाद अच्छा लगने लगेगा।
3- अच्छे पिता की जिम्मेदारी निभाने का डर
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पहली पहली बार पिता बनने पर बहुत से मर्दों को यह डर सताता है कि क्या वह एक अच्छे पिता बन पाएंगे। आपको यह डर भी सताता है कि कहीं आप एक बुरे पिता न साबित हो। आपकी इन परेशानियों के हल हेतु आप चाइल्ड रियरिंग क्लास भी ले सकते हैं। इससे आपके अंदर पैदा होने वाले ऐसे नकारात्मक विचार खत्म हो जाएंगे।
4- पत्नी और बच्चे की सेहत का डर
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गर्भावस्था के समय और फिर डिलीवरी के बाद पिता को यह डर जरुर सताता है कि क्या उनकी पत्नी और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक तो है। यही वजह है कि डिलीवरी के बाद अक्सर पति पत्नी और बच्चे को लेकर अधिक प्रोटैक्टिव हो जाते हैं और उनके खान पान व उठने बैठने का खास ख्याल रखते हैं।
5- खर्चे बढ़ जाएंगे
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यह डर हर पिता को सतात है कि बच्चा होने पर उनका खर्चा काफी बढ़ जाएगा। जब तक वह छोटा है तब तक उसकी दवाईयों और अन्य छोटी बड़ी चीजो का खर्चा। बड़ा होने पर उसकी पढ़ाई खर्चा। ऐसी सोच कोई गलत नही है, मगर इसे आप एक संयोजित तरीके से हल कर सकते हैं। इसके लिए आप थोड़ी प्लानिंग कर या इंश्योरेंस लेकर हर चीज मैनेज कर सकते हैं।