हमारा प्यारा देश भारत, जिसे मंदिरों का भी देश कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह हजारों साल पुरानी अपनी संस्कृति को संजोए बैठा है। शायद यही वो वजह है कि यहां के मंदिरों की बनावट, विशेषता, महत्व और इतिहास आदि के बारे में जानने के लिए विदेशी पर्यटक बार-बार भारत की ओर रुख करते हैं। इन मंदिरों में कई मंदिर ऐसे भी हैं जो कई हजार साल पुराने हैं और जिनके बारे में जानना पर्यटकों के लिए आजतक एक कौतुहल का विषय बना हुआ है। आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
कोलकाता के टंगरा में 60 साल पुराना एक चाइनीज काली मंदिर है।
इस जगह को लोग चाइना टाउन भी कहते हैं। बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में व्यापार करने के दौरान कुछ चाइनीज यहां बस गए थे जिसके बाद इस जगह को चाइना टाउन कहा जाने लगा। आपको बता दें कि यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां स्थानीय चीनी लोग पूजा करते हैं। यहीं नहीं, दुर्गा पूजा के दौरान प्रवासी चीनी लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यहां आने वालों में ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म से संबंध रखते हैं। वैसे यहां पूजा करने वालों में हिन्दू भी शामिल हैं। यह मंदिर भारतीय और चाइनीज संस्कृति के बीच एक सेतु का काम भी करता है।
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मंदिर की खास बात-
हिंदुओं की तरह चाइनीज लोग भी इस मंदिर में भगावन की प्रार्थना के लिए बाहर चप्पल और जूते खोलकर जाते हैं। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों को प्रसाद में नूडल्स, चावल और सब्जियों से बनी करी परोसी जाती है। यह अपने आप में देश का एक अनोखा मंदिर है।
मंदिर का इतिहास-
बताया जाता है की 60 साल पहले इस जगह पर दो काले पत्थर एक पेड़ के नीचे रखे हुए थे। स्थानीय लोगों ने आमतौर पर उन पत्थरों की पूजा शुरू की। जिसको देखने के बाद चीनी प्रवासियों ने भी इस परंपरा का पालन करना शुरू कर दिया।
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वैसे इसके पीछे एक कहानी भी बताई जाती है कि 10 साल का एक चीनी समुदाय का लड़का बहुत बीमार था। यहां तक कि डॉक्टरों ने इसके इलाज के लिए अपने हाथ खड़े कर दिए थे। उस लड़के के मां-बाप भी उसके सही होने की उम्मीद खो चुके थे। एक बार वो इस पेड़ के पास लेट गया और लगातार प्रार्थना करने लगा। बताते हैं कि फिर एक ऐसा चमत्कार हुआ और लड़का बिल्कुल सही हो गया। वह जगह सभी के लिए विशेष बन गई।