जब समय ने अपनी करवट बदली तो लोगों की मानसिकता भी बदलती गई और मानसिकता बदली तो लोगों के रहन-सहन खानपान, आचार –विचार पूरी तरह से बदल गए। बदलते माहौल का असर लोगों के शरीर पर भी पड़ा। आज बच्चा हो या बड़ा सभी किसी ना किसी शारीरिक समस्या के शिकार हो रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण है हमारे शरीर में मिलने वाले पौष्टिक आहार की कमी और शरीर की उचित देशभाल।
इस समय शारीरिक तथा मानसिक बीमारी के साथ-साथ बालों की समस्या भी सबसे ज्वलंत समस्या बनती जा रही है। शरीर को चुस्त-तंदरुस्त बनाए रखने के लिए संतुलित आहार के साथ-साथ हमारे लिए योग और ध्यान का करना काफी आवश्यक होता है। लगातार योगा करने से बाल स्वस्थ और सुंदर बनते हैं। साथ ही बालों के झड़ने की समस्या भी दूर होती है। इसके साथ-साथ आपके पूरे सिस्टम को शारीरिक और मानसिक तौर पर लाभ प्राप्त होता है। संक्षेप में कहें तो योग से आपके सिर की त्वचा में रक्त परिसंचरण बढ़ता है, पाचन सुधरता है और चिंता, तनाव कम होता है जिसके कारण बालों का झड़ना कम हो जाता है।
बालों की समस्या के कारण-
बालों की समस्या आज के समय की सबसे विकराल समस्या बनती जा रही है, जिसका असर बच्चों से लेकर बड़े लोगों में भी देखने को मिल रहा है। इसका कारण शहर का प्रदूषण, धूल, धुआं और दूषित भोजन, पानी है। इन सबके कारण सिर से लेकर पांव तक की त्वचा रूखी हो जाती है। रूखी त्वचा से डैंड्रफ और बालों से संबंधित अन्य रोग होते हैं जो बाद में चर्म रोग का कारण भी बन सकते हैं।
काम आ सकते हैं ये योगासन
कुछ योगा के बारे में हम आपको बता रहे हैं जो आपके बालों को झड़ने से रोक सकता है। इसके अलावा आपके बाल सुंदर, लंबे और स्वस्थ भी हो जाएंगे।
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नाखूनों को आपस में रगड़ना-
उम्र से पहले बालों का सफेद होना, झड़ना सबसे बड़ी समस्या है। इससे निजात पाने के लिए सबसे आसान और कारगर उपाय है ग्रे हेयर योगा। इस योगा में हाथों के नाखूनों को आपस में रगड़ा जाता है। आप एक हाथ के नेल्स को दूसरे हाथ के नेल्स से रब करें। इसके लिए आपको जब भी समय मिले इस प्रकार का योगा करते रहें। अगर आप इस योग को नियमित रूप से कुछ महीने तक लगातार करते रहेंगे तो बालों के असमय सफेद होने व बालों के लगातार झड़ने वाली बीमारी से निजात पा जा सकते हैं।
व्रजासन-
योगा किसी भी प्रकार का हो हमारे लिए काफी फायदेमंद होता है। आप जिस प्रकार का भी योगा करें यह आपकी हर समस्या को दूर करने के लिए एक बेहतरीन उपचार के रूप में काम करता है। व्रजासन योगा को करने से आपके बाल तो ठीक होंगे ही यह आपके पाचन को भी काफी राहत प्रदान करेगा। इसे करने के लिए आप समतल स्थान पर दरी या कंबल बिछाकर पैर मोड़कर बैठ जाएं। इसके बाद पैरों की एड़ी, पंजे को दूर कर फर्श से टेक दिए जाते हैं, किंतु दोनों घुटने मिले हुए होने चाहिए। इस आसन से आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और बालों की झड़ने की समस्या में पाचन शक्ति का अहम रोल होता है।
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पवन मुक्तासन-
पवन मुक्तासन आपके शरीर के दोषों को दूर करने में सबसे अच्छा आसन माना गया है। इसके करने से पेट की गैस की समस्या कम होती है। शरीर की दूषित वायु बाहर निकल जाती है। यह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इससे आपके पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। पाचन के कारण संतुलन बढ़ता है और बालों को बढ़ने में सहायता मिलती है। इसे करने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से मिला लें। अब हाथों को कमर से मिलाएं। फिर घुटनों को मोड़कर पंजों को जमीन से टिकाएं। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों घुटनों को छाती पर रखें। अपने दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ें।
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उष्ट्रासन-
उष्ट्रासन करने से बालों की त्वचा में रक्त संचरण बढ़ने के साथ शरीर की मानसिक और शारीरिक थकान दूर होती है। पाचन तंत्र ठीक होने के साथ रजोनिवृत्ति समस्याओं में भी लाभ प्राप्त होता है। इसे करने के लिए आप इस जमीन पर दरी बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। इसके बाद दोनों घुटनों को मिलाकर तथा एड़ी व पंजों को मिलाकर रखें। अब सांस अंदर खींचते हुए धीरे- धीरे शरीर को पीछे की ओर झुका कर दोनों हाथों से दोनों एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें। इस स्थिति में ठोड़ी ऊपर की ओर करके रखें व गर्दन को सीधा रखें। दोनों हाथों को भी बिल्कुल सीधा रखें। सामान्य रूप से सांस लेते हुए इस स्थिति में 30 सेकेंड से 1 मिनट तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। बालों की त्वचा में संचरण बढ़ने के अलावा इस आसन से थकान और चिंता दूर होती है। यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों से आराम दिलाता है तथा पाचन में भी सुधार लाता है।
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शीर्षासन-
शीर्षासन करने से आपके शरीर का रक्त का प्रवाह ठीक होता है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ने से दिमाग सक्रिय होता है। ग्रंथियों की कार्य प्रणाली दुरुस्त होती है। पेट में स्थित अंगों जैसे आमाशय, लीवर, किडनी आदि एक्टिव होते हैं और पाचन तंत्र ठीक रहता है। शीर्षासन करने के लिए पहले वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाएं। अब सिर को दोनों हथेलियों के मध्य धीरे-धीरे रखें। सिर को जमीन पर टिकाने के बाद धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन सिर छोड़ते हुए शरीर को ऊपर की ओर उठाना शुरू करें। शरीर का भार सिर पर लें। शरीर को सीधा कर लें। शीर्षासन से शरीर में खून का बहाव नियमित बना रहता है तथा दिमाग में रक्त प्रवाह बढ़ता है साथ ही टेंशन भी दूर होता है।
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सावधानी-
वो लोग जिन्हें ब्लड प्रेशर की शिकायत है वह इस आसन को ना करें। अगर आंखों की कोई बीमारी है तो भी इसे नहीं करना चाहिए। साथ ही वे लोग जिन्हें गर्दन में दर्द या कोई अन्य समस्या है उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
अनुलोम-विलोम
दिमागी थकान, तनाव और नींद न आने जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए यह आसन सबसे अच्छा माना गया है। इसे करने के लिए आप दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। बाएं पैर को मोड़कर दाईं जांघ पर और दाएं पैर को मोड़कर बाई जांघ पर रखें। अब दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से 4 तक की गिनती में सांस को भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और दायीं नासिका से सांस को बाहर निकालें।
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आसन किसी भी प्रकार का हो आपको हमेशा करते रहना चाहिए पर इन्हें करने से पहले आप अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।