प्राकृतिक पद्धतियों का इस्तेमाल प्रचीनकाल से लेकर आज तक किया जाता है। वहीं मसाज की प्रथा आज की नही बल्कि सदियों से चली आ रही है, तब मसाज एक बंद कमरे में नही, शुद्ध हवा और सुगंधित वातावरण के बीच हुआ करती थी। जिससे शरीर की सारी थकान तो दूर होती ही थी साथ ही फूलों के अर्क से एक अलग ही चमक आती थी। आज इस पद्धति को अरोमा थेरेपी के नाम से जाना जाता है। अरोमा थेरेपी का समाज में प्रचलन वर्षों पुराना है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह लेडीज के बीच खूब पॉपुलर हो गया है। अब वह चाहे बॉडी मसाज हो, स्पा या फिर हेड मसाज। महिलाएं इस मसाज पद्धति को लेकर काफी उत्साहित रहती हैं। आखिर हों भी क्यों ना सुगंधित तेलों की भीनी-भीनी खुशबू भला किसे सुकून नहीं देगी। तुलसी, गुलाब, जैसमीन समेत कई नेचुरल प्लांट और खुशबूदार जड़ी-बूटियों से तेल को तैयार किया जाता है। इस थेरेपी के प्रयोग में आने वाले तेल में एंटी बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचा कर लाभ ही पहुंचाते हैं। जिससे त्वचा संबंधी किसी भी समस्या से छुटकारा मिलता है। इन तेलों की मालिश शरीर के विषैले तत्वो को बाहर निकालते हैं। जिससे खून का संचार सही रहता है।
जैसमीन तेल के फायदे
अरोमा थेरेपी में कई सुगंधित जड़ी बूटियों और सुगंधित फूलों के तेल का उपयोग कर विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। सुगंधित फूलों से बने तेल शरीर में अवशोषित होकर रोग का उपचार कर साकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है। चमेली की बेल घर तथा बगीचों में आमतौर पर लगाई जाती है। सुगंधित फूलों की खुशबू बड़ी मादक और मन को प्रसन्न करने वाली होती है। इसकी खुशबू जितनी आकर्षक होती है उससे कहीं ज्यादा स्वास्थ्य के लिये फायेदेमंद भी होती है। यह हर तनाव को दूर कर शरीर को चुस्त-दुरुस्त करती है। इसके अलावा कई रोगों दूर करने के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसकी सुगन्धित तेल की मालिश से दिमाग को सुकुन एंव शांति मिलती है। इसके अलावा चर्म रोग के लिए भी इसका तेल फायदेमंद होता है।
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गुणकारी नीलगिरी तेल
यूकेलिप्टस जिसको हम नीलगीरि के नाम से जानते है, काफी बड़ा और मजबूत पेड़ होता है। जिसका तेल बहुत सुगंधित होता है। इसका तेल शरीर के लिए काफी लाभप्रद होता है। यह तेल रोगाणुओं का नाश करता है और शरीर में समा कर ठंडक पहुंचाता है। नीलगिरि का तेल मसाज की सर्वश्रेष्ठ दवा मानी जाती है।
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कुदरत का तोहफा चंदन तेल
चंदन एक प्राकृतिक लकड़ी है। हमारे यहां भारत में चंदन या चंदन की लकड़ी का उपयोग काफी पुराने समय से ही पूजा पाठ और देवों को खुश करने के लिए किया जाता रहा है। .इसके अलावा इस सुगंधित चंदन का उपयोग इत्र में और सौंदर्य प्रसाधनों द्वारा त्वचा को रोगमुक्त करने के रूप में किया जाता है। चंदन में एंटीबॉयटिक तत्व तो होते ही हैं साथ ही ये अपने प्राकृतिक औषधिय गुणों के कारण कई रोगो से निजात भी दिलाता है। एक तरफ जहां यह आपकी सौंदर्य समस्याओं का निदान करता है, वहीं दूसरी तरफ इसके प्रयोग से सिरदर्द, तनाव और दांत दर्द आदि से भी छुटकारा भी मिलता हैं।
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आप महंगे प्रसाधन खरीदने के लिए कितना भी पैसा लगा लें, जो फायदा आपको इन तेलों से होगा वो किसी अन्य प्रोडेक्ट की चीजों से नही हो सकता। जिन भी तेल से बनी चीजों को हम आपको बता रहे, इनमें प्राकृतिक खजानों का भंड़ार है। जो किसी भी प्रकार से आपके लिए नुकसान देने वाला हो ही नही सकता। आप इसे अजमाए और इसका भरपूर फायदा उठाए।