विश्व एड्स दिवस- जागरूकता ही हैं बचाव

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आज विश्व एड्स दिवस हैं। “एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिंड्रोम” (AIDS) के बारे में आप सभी अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। हर साल 1 दिंसबर का दिन वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता हैं। समाजसेवी संस्थाएं और सरकार समय-समय पर कई तरह के अभियान चलाकर एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करती हैं लेकिन इस जानलेवा रोग की खास बात यह हैं कि इसके विषय में कई अभियान चलाने के बावजूद भी लोग इन बातों से अनजान बने रहते हैं इसीलिए हर साल लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता हैं।

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एड्स एक संक्रामक

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एड्स आधुनिक युग का एक बहुत गंभीर और जानलेवा रोग हैं। इस बीमारी में व्यक्ति की प्रतिकार शक्ति कम हो जाती हैं। एड्स रोग एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो वायरस ) विषाणु के संक्रमण से होता हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब हैं, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति अगर एचआईवी पॉजिटिव के संपर्क में आता हैं, तो वह भी संक्रमित हो जाता हैं।

इस रोग को 27 जुलाई 1982 को एड्स नाम मिला। एक आंकड़े के अनुसार इस बिमारी के कारण दो लाख लोगों को हर साल अपनी जान गवानी पड़ती हैं।

विश्व एड्स दिवस का बचाव मुहिम 

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संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने साल 1995 में विश्व एड्स दिवस की घोषणा थी, जिसे अन्य देशों द्वारा अनुकरण किया गया। पूरी दुनिया में हर साल 1 दिसम्बर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता हैं। इस दिन स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा एड्स से संबंधित भाषण या सार्वजानिक बैठकों में चर्चा का आयोजन होता हैं। अतः समारोह के अंतर्गत विश्व को एड्स के लक्षणों, उपाय एवं बचाव से अवगत कराया जाता हैं।

विश्व एड्स दिवस समारोह की आवश्यकता क्यों 

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विश्व एड्स दिवस की पहली बार कल्पना 1987 में “थॉमस नेट्टर” और “जेम्स डेव्लयू” बन्न द्वारा की गई थी। 1996 ई. में यह पूरी दुनिया के प्रभाव में आया। शुरू के सालों में, विश्व एड्स दिवस का विषय बच्चों के साथ – साथ युवाओं पर केंद्रित था, जो बाद में इसे हर आयु वर्ग के लिए आवश्यक बताया गया।

आगे जानिए इस जानलेवा बीमारी के शुरुआती लक्षणों के बारे में

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एड्स के शुरुआती लक्ष्ण

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  • अधिक समय तक सूखी खांसी आना।
  • ग्रंथियों में सूजन।
  • बार – बार फंगल इंफैक्शन होना।
  • रात को पसीना आना।
  • याददाश्त कम होना।

उपर्युक्त लक्षणों से एड्स का पता चलता हैं। अतः इन लक्षणों को जानने के बाद एड्स से निदान हेतु निम्न सावधानी बरतनी चाहिए

  • अपने साथी से वफादार रहें।
  • अगर बाहर दाढ़ी आदि बनवानी हो तो नाई से कहकर हमेशा नये ब्लेड का प्रयोग ही करवाएं।
  • अस्पताल आदि से सुई आदि लगवाते समय हमेशा नई सिरींज का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • एड्स के प्रति सजग होने के लिए हमें एड्स के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों से स्वंय को अवगत कराना पड़ेगा।
  • यदि एड्स के प्रति हम जागरूक रहेंगे, तो एचआईवी संक्रमण को काफी हद तक कम किया हैं।
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एड्स से पीड़ित लोगों की साहचर्य प्रदान करने के लिए भोजन, आवास, परिवहन सेवा शुरू की जानी चाहिए। जिससे एड्स दिवस का अभियान एड्स पीड़ित लोगों को प्रोत्साहित कर पाएं। इस प्रकार अनेक क्रियाएँ तथा लोगों को बीमारी के प्रति सजक करके विश्व एड्स दिवस का अभियान पूरा किया जा सकता है और इसे सफल बनाया जा सकता है।

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