प्राचीन काल में लोगों का जीवन बड़े ही नियमबद्ध रूप से चलता था। लोग अपने कार्य को करते हुए अपनी प्राकृतिक संपदा से जुड़े रहते थे। उस समय प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर अपने शरीर की सारी समस्याओं का इलाज किया करते थे। उनकी यह थेरेपी सफल भी रहती थी। शारीरिक त्वचा को और ज्यादा निखारने के लिए उस समय कई घरेलू औषधियों का उपयोग कर शरीर की कायाकल्प को निखारा जाता था। फूलों से भी शरीर की सुंदरता खिलती है। इसके लिए उस समय लोग फूलों को सिर में लगाने, फूलों के गजरे पहनने, सिर एवं बालों की सुगंधित तेलों से मालिश करवाने, सुगंधित उबटन लगवाने आदि का उपयोग कर अपनी सुंदरता को निखारते थे लेकिन आज इन्हीं प्राकृतिक चीजों के उपयोग को एरोमाथेरेपी का नाम दिया गया है।
एरोमा का शाब्दिक अर्थ है सुगंध एवं एरोमाथेरेपी का अर्थ होता है सुगंध की मदद से चिकित्सा। आपने अपने घरो या मंदिरों में देखा होगा कि देवताओं को खुश करने के लिए सुगंधित चीजों का उपयोग करते हैं। क्योंकि पौरीणिक गाथाओं में बताया गया है कि घरों में सुगंधित फूल चढ़ाने, सुगंधित लकडि़यां, धूप, पाउडर आदि कक्ष में जलाना विशेषकर उसके सुंगधित धुएं को पूरे घर में फैलाने से नाकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है और साकारात्मक ऊर्जा अंदर प्रवेश करती है।
हमारा शरीर प्रकृति की सबसे सुंदर कल्पना है। लेकिन आजकल की भागदौड़ वाली लाईफ और अनियमित खान पान ने इसका स्वरूप बिगाड़ रखा है। आज के बदलते माहौल में लोगों के पास एक परेशानी हो तो मान भी लें। थकान तनाव रोगों से भरा शरीर यह जीवन के अहम हिस्से बन चुके है। जिससे आज का हर आदमी परेशान होकर उससे मुक्ति पाना चाहता है। ऐसे में थकान से बचने के लिए एरोमा थेरेपी बड़ी कारगार सिद्ध हो रही है।
शारीरिक उपचार एवं त्वचा संबंधी रोग निवारण
आप तो ये जानते हैं कि तकलीफ देने वाली बीमारियों का उपचार भी तकलीफदेह ढंग से ही होता है। ऐरोमा थेरेपी आपको कितने प्रकार की कड़वी दवाइयों और सुईयों के झंझट से निजात दिला सकती है। ऐरोमा थेरेपी उपचार की वह पद्धति है जिसमें खुशबू के द्वारा अनेक बीमारियों का निदान होता है। यह कई प्रकार के पेड़, पौधो की जड़ों, पड़ो के तने, फल-फूल, सब्जियां और कुछ मसालों को मिलाकर डिस्टीलेशन पद्धति के द्वारा इसका अर्क निकाला जाता है। फिर इस अर्क की औषधि से शारीरिक उपचार किया जाता है। जिससे रोग एंव त्वचा संबंधी बीमारी तो दूर होती ही है। इसके अलावा इसकी खुशबू से शारीरिक तनाव भी अपने आप दूर हो जाता है।
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पूर्णतावादी उपचार
इसके तेल की मसाज करने से यह तेल आसानी से त्वचा में समा जाते हैं । शरीर के दूषित पदार्थो के निष्कासन के लिए यह तेल काफी अच्छा होता है। यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
अरोमा थेरेपी में उपयोग किये जाने वाले तत्व
ईथर के तेल
फूलों से निकले सुगन्धित तेलों से भी अद्भुत इलाज किए जा सकते हैं। यह तेल खुश्बूदार पौधों से प्राप्त कार्बनिक यौगिक है। जिसका प्रयोग एरोमा थेरेपी के लिये किया जा रहा है।
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कई प्रकार के फूलों का सार
इस थेरेपी में कई प्रकार के फूलो जैसे गुलाब, चमेली, बेला, चंदन और लैवेडंर आदि फूलों से तैयार किया जाता है। जो हमारे मनमस्तिष्क को विशेष ताजगी प्रदान करता है।
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हर्बल का उपयोग
इसे तैयार करते समय कई प्रकर की जड़ी.बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन जड़ी बूटियों को उबालकर हर्बल तैयार किया जाता है। जिस तेल की मालिश करने से शरीर से आवांछित व विषाक्त पदार्थ असानी से बाहर निकल जाते हैं। इससे शरीर हल्का हो जाता है।
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नींबू तेल
नींबू का तेल तनाव से राहत पहुँचाने के लिए उपयोगी माना जाता है। शारीरिक थकान और तनाव का इलाज करने के लिये वाष्पीकरण की प्रक्रिया के लिए नींबू का उपयोग किया जाता है।
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एरोमा थेरेपी की प्रभावशीलता
एरोमा थेरेपी की प्रभावशीलता ने अब भारत में ही नही दुनियाभर में अपनी एक अलग जगह कायम की है। आज एक आम से लेकर खास आदमी तक इसके चमत्कार से प्रभावित हैं। चाहे वो योग गुरु बाबा राम देव हों या अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी सभी इस पद्धति का विस्तार कर रहें हैं। सरहद की सीमाओं के पार भी स्वस्थ्य शरीर के सर्वश्रेष्ठ नुस्खे के रूप में ये इसे स्थापित कर ही चुके हैं। इसलिए एरोमा थेरेपी की प्रभावशीलता कारगर सिद्ध हुई है।
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अब आप इन सभी जानकरियों को जानने के बाद स्वस्थ्य और फिट रहने के अलावा शरीर को तनाव मुक्त करने के लिए भी आप इस पद्धति को अवश्य ही अपनाए।