होली का त्यौहार ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है लोगों में उमंग उतनी ही तेज गति से देखने को मिल रही है बाजार रंगबिरगं रगों एवं पिचकारियों के साथ सजने लगा है। और हो भी क्यो ना, रंगों के इस त्यौहार में सभी लोग दुश्मनी को भूलकर एक ही रंग में रंग जाने का प्रयास करते है। लेकिन ये त्यौहार हम सभी के लिये जितना खुशियां देने वाला होता है उतना ही धर्म ग्रंथों के अनुसार होलाष्टक के 8 दिन को किसी भी मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना गया हैं, इसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नही करना चाहिये।
होलाष्टक क्यो माना जाता है अशुभ
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जब तपस्या में लीन थें तो उनकी तपस्या भंग करने के लिये कामदेव आए थे। कामदेव के द्वारा की गई इस हरकत से क्रोधित होकर भोलेनाथ ने उन्हें फाल्गुन महीने की अष्टमी को भष्म कर दिया था। प्रेम के प्रतीक देवता काम देव के भष्म होते ही पूरे संसार में शोक की लहर फैल गई थी। तब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी काफी प्रार्थना की। और भोलेनाथ ने कामदेव को फिर से जीवित करने का आश्वासन दिया। इसके बाद से हर जगह लोग रंग खेल कर अपनी खुशियां जाहिर करने लगे।
हिंदू धर्म के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप नें अपने पुत्र प्रहलाद की नारायण भक्ति को देखकर क्रोधित होकर उन्हें 8 दिनों तक कई तरह की शारीरिक प्रताड़नाएं दी थी। और उसी समय से होली के इन आठ दिनों को अशुभ रूप से माना गया है।
होलाष्टक में किस प्रकार के कार्य नही करने चाहिये
- ज्योतिषशास्त्रानुसार इन आठ दिनों में ही ग्रह अपने स्थान को भी परिवर्तित कर देते है। इसी वजह से ग्रहों में होने वाले बदलाव से होलकाष्टक के समय किसी भी तरह का शुभ कार्य नही करना चाहिये। इस दौरान शुभ कार्य करने से मनुष्य के जीवन में दुख-पीढ़ा का प्रवेश होने लगता है। जैसे इस समय विवाह आदि शुभ कार्य कर लिये जाये तो वो रिश्ता ज्यादा दिन तक नही रह सकता है।
- होलाष्टक के दिनों में पति-पत्नी को संयम बरतना चाहिए। इस दौरान बने संबंध से पैदा होने वाली संतान आपके लिये जीवनभर परेशानियों का कारण बनती है। होलाष्टक का समय भक्ति और ध्यान के लिए श्रेष्ठ है।
- होलाष्टक के दिनों में कि गई पूजा-पाठ से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। यदि आप महालक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो होली तक घर में शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार का वाद-विवाद न करें। अन्यथा होली पर की गई पूजा से शुभ फल नहीं मिल पाएंगे।
- होलाष्टक के दिनों में ग्रहों की स्थिति बदलने के कारण काई भी नया कार्य प्रारंभ करना, बिजनेस शुरू करना, नया गृह प्रवेश, विवाह, वाहन की खरीदी, जमीन, संपत्ति की खरीदी, मुंडन आदि समस्त मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। होलाष्टक के दौरान किए गए कार्यों से कष्ट होता है। इस दौरान किए गए विवाह संबंध जल्द ही टूट जाते हैं क्योंकि घर में लगातार विवाद, क्लेश बना रहता है।
- होलाष्टक के दिनों में सुबह देर तक सोने से बचें। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देवता को जल चढ़ाएं।
उपाय
भगवान की कृपा हासिल करने के लिये इस दिन हर व्यक्ति को उपवास रहकर भगवान का जप करना चाहिये। इसके अलावा अपनी इच्छानुसार गरीबों को दान करें। इस समय शादी,ग्रहप्रवेश,निर्माण, नामकरण किसी भी प्रकार के शुभ कार्य ना करें।