दिपावली के दो दिन बाद पड़ने वाला भैया दूज का पर्व भाई – बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता हैं। यह हिन्दू धर्म का एक बड़ा ही पवित्र त्यौहार हैं जो भाई – बहन के रिश्ते को मजबूत करता हैं। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता हैं। इसे भैया दूज या यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन बहने बिना कुछ खाएं पिएँ अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु एवं उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
Image Source:
यह भी पढ़ें – भैयादूज स्पेशल : अनरसे की मिठाई
भैया दूज की कथा :
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य पुत्री यमुना शापित होकर नदी बन गई थी। वह अपने उद्गम स्थल हिमालय से निकलकर मथुरा के एक स्थान पर विश्राम किया करती थी, जिसे आज विश्राम घाट के नाम से जाना जाता हैं। यमुना के भाई यमराज उसके निवेदन पर एक बार कार्तिक शुक्ल के दिन मिलने के लिए आये। जिन्हें देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज का प्रसन्नता के साथ स्वागत किया और रोली, चंदन लगाकर उसकी आरती उतारी। उन्हें स्वादिष्ट पकवान बनाकर भी खिलाएं।
Image Source:
इस प्रेम भक्ति को देख यमराज बहुत खुश हुए और उनसे कुछ मांगने को कहा। तब बहन यमुना ने अपने भाई यमराज से कहा कि आप हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो और जो भी भाई – बहन इस दिन मेरे जल में स्नान करेगा वह यमलोक के कष्टों से मुक्त हो जाएगा। यमराज ने उनकी बात स्वीकार कर ली और वहां से विदा ले लिया। तब से लेकर आजतक इस रीति को लोग मनाते चले आ रहें हैं। इसी वजह से भैया दूज को यमराज तथा यमुना जी का पूजन किया जाता हैं। इस दिन प्रत्येक भाई अपनी बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा लेता हैं और उसे उपहार देता हैं।
Image Source:
यह भी पढ़ें – धनतेरस पर दीपक जलाना क्यों जरूरी है
पूजन की विधि :
इस दिन सभी बहने स्नान करके निराहार भगवान विष्णु एवं गणेश जी का पूजन करती हैं। इसके बाद अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारती हैं फिर अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दिन यमुना नदी के तट पर नहाना और अपने बहन के घर भोजन करना अच्छा माना जाता हैं। इस दिन भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
Image Source:
यह भी पढ़ें – इस दीवाली ट्राई करें ये लेटेस्ट खूबसूरत और चूड़िया