तुलसी का सेवन कर पाएं स्वस्थ शरीर और अच्छी हेल्थ

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हमारे आसपास ऐसी है औषधियां होती हैं। जिनका उपयोग कर हम दवाई के खर्च और बीमारियों से बच सकते हैं। आज हम आपको यहां एक ऐसी ही औषधि के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहें हैं। इस औषधि का नाम तुलसी है। तुलसी का पौधा आपको बहुत से हिंदू घरों में सहजता से मिल जाता है। इस पौधें को एक विशेष दर्जा दिया गया है। यही कारण है कि घरों में लोग इसको बहुत श्रद्धा से लगाते हैं। तुलसी के पौधे का एक खास गुण यह भी है कि यह एक औषधीय पौधा है और इसके अंदर बहुत से औषधीय गुण विद्यमान होते हैं। आयुर्वेद तथा इसके ग्रंथो में तुलसी के पौधे से सम्बंधित बहुत से प्रयोग तथा इसके गुणों के बारे में बताया गया है। आइये हम आपको यहां कुछ उद्धरण देते हैं ताकि आप इस पौधें के गुणकारी उपयोगों के बारे में जान सकें।

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ग्रंथों में तुलसी के गुणों का उल्लेख

ग्रंथों में तुलसी के गुणों का उल्लेखImage source:

चरक सहिंता आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है। इस ग्रंथ में तुसली के बारे में कहा गया है।

हिक्काज विश्वास पाश्र्वमूल विनाशिन: ।। पितकृतत्कफवातघ्नसुरसा: पूर्ति: गन्धहा।।”

अर्थात हिचकी, खांसी, जहर का असर तथा पसली का दर्द सही करने में तुलसी बहुत उपयोगी है। यह दुर्गंध को खत्म करती है तथा पित्त को बढ़ाती है और दूषित वायु को खत्म करती है।

एक अन्य स्थान पर लिखा है।

तुलसी कटु कातिक्ता हद्योषणा दाहिपित्तकृत।दीपना कृष्टकृच्छ् स्त्रपाश्र्व रूककफवातजित।।”

अर्थात कड़वे और तीखे स्वाद वाली तुलसी दिल के लिए बहुत स्वास्थ्यकर होती है। यह पाचन को बढ़ाने वाली तथा त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाने वाली होती है। इससे कफ से सम्बंधित समस्याएं खत्म होती हैं तथा यह मूत्राशय से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करती है।

एक अन्य शास्त्र में कहा गया है

त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।

तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।दिशो दशश्च पूतास्तुर्भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।”

अर्थात सुबह, दोपहर तथा शाम यानि तीनों समय यदि इसका सेवन किया जाएं तो मानव का शरीर इतना शुद्ध और पवित्र हो जाता है। जितना की अनेक चांद्रायण व्रतों से भी नहीं होता। इसकी खुशबु जहां जहां तक जाती है वहां तक के सभी जीव स्वास्थ्य को प्राप्त कर लेते हैं।

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इसके कुछ औषधीय उपयोग

इसके कुछ औषधीय उपयोगImage source:

1 – हरे रंग के पत्ते वाली तुलसी को रामा तथा काले पत्ते वाली को श्यामा कहा जाता है। श्यामा में कफ को खत्म करने के गुण समाहित होते हैं। यह कफ तथा खांसी में प्रयोग की जाती है।

2 – इसकी एक प्रजाति “वन तुलसी” भी होती है। यह घरों में बहुत कम पाई जाती है। इसमें जहर का असर खत्म करने के गुण होते हैं साथ ही यह प्रसव सम्बंधित समस्याओं और आंखों के रोग तथा कोढ़ रोग में बहुत उपयोगी होती है।

3 – बर्बरी इसी की एक प्रजाति है। इसका उपयोग जुकाम तथा बुखार को खत्म करने में बहुत अच्छा कार्य करता है।

4 – फ्लू होने पर इसके पत्तों के काढ़ें में सेंधा नमक मिलाकर पिलाने से रोगी जल्दी ही स्वस्थ हो जाता है।

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