आज की भागदौड़ से भरी जिंदगी में लोगों पर काम का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि तनाव एक ऐसी चीज बन गया है जो हर शख्स के जीवन का एक हिस्सा बन गया है। फिर बात चाहे युवा की हो या बजुर्ग की, महिलाओं की हो या फिर पुरुषों की। एक अध्ययन के मुताबिक तनाव जैसी परेशानी ज्यादातर किशोर अवस्था में देखी जाती है। अधिकतर लोगों को लगता है कि तनाव का असर और इलाज लड़के लड़कियों में एक समान होता है। मगर यकीन मानिए ऐसा बिल्कुल भी नही है। चलिये जानते है इससे जुड़ी और जानकारी को
लड़को पर तनाव का असर अधिक रहता है –
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किशोरअवस्था में लड़कियो की अपेक्षा लड़को पर तनाव का असर अधिक पड़ता है। मानो लड़कियों की तुलना में लड़कों पर इसका असर दोगुना हो जाता है। इतना ही नही पुरुषों पर इसका ज्यादा गंभीर असर पड़ता है। देखने में आया है कि तनाव से आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या अधिक रहती है।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटा में हुआ शोध –
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इस मामले को लेकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की चूआंग को बताती हैं कि उन्होंने इस पर एक शोध किया है जिसमे बहुत से वॉलंटियर्स को शामिल किया गया। इनमे डिप्रेशन के जूझ रही 82 लड़कियां थी जबकि 24 लड़के थे। इन सभी को अलग अलग भावों को रखा गया। जैसे कि कुछ खुशी वाले कुछ दुख वाले और कुछ समान्य। शोध के दौरान एम.आर.आई की मदद से इन सभी के दिमाग की तस्वीर ली गई। जिसमे पाया गया कि तनाव की स्थिति में लड़के और लड़कियों का दिमाग अलग अलग तरह से काम करता है। ऐसे में आप एक तरीके से दोनों का इलाज नही कर सकते।