इस तरह करें नवरात्र में शक्तिरूपा मां दुर्गा की पूजा, मिलेगा सौभाग्य का वरदान

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मंगलवार के दिन से नवरात्र शुरू होने वाले है, सभी लोग मां देवी की पूजा अर्चना करने के लिए विशेष तैयारियों में जुट चुके हैं। वैसे तो मां दुर्गा की कृपा अपने भक्तों पर पूरे साल ही बनी रहती है, पर नवरात्रों के ये नौ दिन विशेष फलदायी माने जाते हैं, क्योंकि इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों के बीच पृथ्वी पर आकर निवास करती है। जिससे भक्तों के साथ मां दुर्गा का संबंध सीधे जुड़ जाता है और इस दौरान मां की पूजा और भक्ति का फल जल्दी प्राप्त होता है।

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चैत्र मास के नवरात्रों के पहले दिन मां आदिशक्ति शैलपुत्री की पूजा की जाती है। जिस तरह से एक पहाड़ दृढ़ शक्ति, आधार व स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। उसी तरह से मां शैलपुत्री भी हमारे अखंण्ड सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है। दाहिने हाथ में त्रिशूल सजाए, वृषभ वाहन में विराजी मां शैलपुत्री के बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभामान रहता है। शक्तिरूपा मां दुर्गा के इस रूप के पास कई प्रकार की शक्तियां निहित होती है।

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बच्चों एवं बड़ों के लिए दो अक्षरों वाले मां रूपी शब्द से काफी गहरा रिश्ता होता है। इन दो शब्दों में पूरा का पूरा ब्रह्माण्ड समा जाता है। पूरी सृष्टि मां के आंचल में जाकर अपने आप को सुरक्षित महसुस करती है, इसमें इंसान तो क्या गाय का बछड़ा भी मां-मां बोल कर अपनी मां के आंचल में जाने के लिए रंभाने लगते है। आज हम आपको मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने की विधि के बारे में बता रहें हैं। जिसे करने से होगी आपकी हर मनोकामनाएं पूरी। तो जानें मां देवी को प्रसन्न करने के खास तरीके..
मां देवी के पृथ्वी पर आने के साथ ही साधक को मां की भक्ति करते समय इन खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इन दिनों में ऐसी कोई गलती ना करें, जिससे मां दुर्गा रुष्ट हो जाए। आप नवरात्रों से जुड़े इन नियमों को पहले से ही पूरी तरह से जान कर इनका पूरा पालन करें, तभी आपकी पूजा सार्थक मानी जा सकती है।

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इन बातों पर दें विशेष ध्यान-
• सबसे पहले आप अपने घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। इन नौ दिनों तक आप तामसी भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें, यहां तक कि लहसुन प्याज के सेवन से भी दूर रहें। शराब मदिरा का सेवन ना करें और ना ही इन चीजों को घर पर लाएं।
• व्रत करने वाले व्यक्ति पूजा के बाद अनाज को सेवन ना करके फलाहार करें। यदि वो बीमार है तो आप पहले और आखिरी दिन का ही व्रत रख सकते हैं।
• मां देवी की पूजा भक्ति भाव के साथ करें। इन दिनों मां के सामने कलश रखें और जोत पूरे नौ दिन जलती रहे। इस अखण्ड जोत को जलाए रखने के लिए मां के आस-पास ही रहें, जिससे की मां की जोत हमेशा प्रज्वलित रहें।

• व्रत के समय में आप मांस-मदिरा का सेवन न करें व ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
• व्रत के दौरान आप पूरी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए अपने व्रत का पालन करें।
• महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान पूजा करने से दूर रहना चाहिए। पीरियड्स के समय में 5 दिन पूरे करने के बाद छठें दिन में पूरी तरह से साफ होकर मां की पूजा करनी चाहिए।

इन नियमों का करें पालन-
• इन नौ दिनों में आपको सुबह स्नान करके मां देवी की पूजा करनी चाहिए। इस अवसर पर मां की आरती के साथ ही घर खुशबू से भरा रहें है इसके लिए सुंगधित फूल, अगरबत्ती से घर के वातावारण को शुद्ध करें। सुबह शाम कपूर जलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा उपन्न है।
• हर दिन देवी के विशेष रूप को उनकी पसंद का भोग लगाएं एवं उनकी पूजा करें।
• मां देवी को पूरा श्रृंगार चढ़ाएं। घर पर किसी भी तरह का कलह ना करें।
• मां देवी को गुड़हल का फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है, इसलिए इस पुष्प को पूरे नौ दिनों तक मां को अर्पित करें। इसके अलावा बेला, चमेली, कमल और दूसरे लाल पुष्प भी आप मां को समर्पित कर सकती हैं। फूलों की सुगंध जितनी अच्छी होती है मां भगवती उतनी ही जल्द प्रसन्न होगी।
• मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं।

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