ज्यादा देर यूरीन रोकना भी बन सकता है मुसीबत

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अक्सर देखा जाता है कि लोग काफी वक्त तक अपने यूरीन को कंट्रोल करके रखते हैं। खासतौर पर लड़कियों के साथ ऐसा ज्यादा होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि यूरीन को ज्यादा देर तक रोके रखना कितना खतरनाक हो सकता है। यही यूरीन आपके ब्लैडर में बैक्टिरिया विकसित कर कितनी प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। क्या आप यूरीन रोकने से जुड़ी कुछ बातें जानते है अगर नहीं तो आज हम आपको इससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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लेकिन उससे पहले आपको हम यह बता दें कि आपको महसूस होने पर तुंरत यूरीन को निष्कासित कर देना चाहिए। वैसे तो ब्लैडर भी स्वयं आपके मस्तिष्क को व़ॉशरूम जाने का संकेत देता है। जिसे आप कई बार इग्नोर कर देते हैं और उसे कंट्रोल करके रखते हैं। पसीने की तरह यूरीन को शरीर से गैर जरूरी तत्व को बाहर निकालना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि अगर यह ज्यादा देर तक शरीर के देर रहे तो संक्रमण की शुरूआत हो जाती है, तो चलिए जानते हैं इसे रोकने से शरीर पर क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं।

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किडनी में स्टोन
किडनी में स्टोन की समस्या होना आज के वक्त में वैसे तो आम सी बात हो गई है। लेकिन कभी कभी यह काफी बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। जिसके ज्यादातर मामले महिलाओं और कामकाजी लोगों में देखने को मिलते हैं। क्योंकि कभी सही जगह ना मिलने के कारण तो कभी किसी और कारण वह अपने यूरीन को काफी समय तक रोके रखते हैं। वहीं 8 से 10 घंटे तक ऑफिस में काम करने वाले युवाओं को ही यूरीन की आवश्यकता तब पड़ती है जब वह कार्य करने की स्थिति को बदलते हैं। जिसकी शुरूआत ब्लैडर में दर्द से शुरू होती है। क्योंकि इस दौरान किडनी से यूरीनरी ब्लेडर में यूरीन इकठ्ठा होता रहता है। हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लैडर में पहुंचता है, जिसे हर इंसान को प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। क्योंकि जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में यूरीन दोबारा किडनी में वापिस जाने लगता है। वहीं ऐसी स्थिति के बार-बार होने से किडनी में पथरी बनने की शुरूआत हो जाती है। क्योंकि पेशाब में यूरीया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं।

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यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन
यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन जिसे शॉर्ट में यूटीआई भी कहा जाता है। यह एक संक्रमण होता है जो तेज आए यूरीन को रोकने के कारण फैलता है। वैसे यह महिलाओं में होने वाली एक बीमारी है। जिससे यूरीन मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। क्योंकि यूरीन में कई तरह के द्रव होते हैं। लेकिन इनमें जीवाणु नहीं होते हैं। लेकिन यूटीआई से ग्रस्त होने पर यूरीन में जीवाणु भी मौजूद होते हैं जो मुत्राश्य और गुर्दे में प्रवेश कर जाते हैं। और अंदर ही अंदर बढ़ने लगते हैं।

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किडनी फेलियर
किडनी फेलियर होना इसको तो लोग अच्छी तरह से जानते हैं। यह एक एक मेडिकल समस्या है जो किडनी के अचानक ब्लड से विषाक्त पदार्थों और अवशेषों के फिल्टर करने में असमर्थ होने के कारण हो जाती है, वहीं यूरीन से संबंधित हर तरह के इंफेक्शन भी किडनी पर बुरा असर डालते हैं। बॉडी में यूरीया और क्रियटिनीन नाम के दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं। जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है। जिसके कारण भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना, सामान्य से कम पेशाब आना, ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना आदि इसके लक्षण होते है।

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यूरीन का बहुत अधिक गहरा होना
बहुत ज्यादा देर तक यूरीन को रोक रखने के कारण देखा गया है की यूरीन का रंग भी बदलने लगता है। वैसा ऐसा होने के पीछे सबसे ज्यादा संक्रमण की संभावना होती है। लेकिन इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ खाद्य पदार्थ के खाने के कारण भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है। वहीं विटामिन बी भी यूरीन के रंग को हरे और शलजम लाल रंग में बदल देता है।

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ब्लैडर की मांसपेशियों का कमजोर होना
आपको जानकर हैरानी होगी की अगर आप यूरीन को 3-4 मिनट तक रोके रखते हैं तो यूरीन के टॉक्सिन किडनी में वापिस चले जाते हैं। जिसे रिंटेंशन ऑफ यूरीन कहते हैं। इतना ही नहीं इसको ज्यादा देर रोकने से या बार-बार रोकने से ब्लैडर की मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं। साथ ही यह यूरीन करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

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इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस
यह एक दर्दनाक ब्लैडर सिंड्रोम होता है, जिसके कारण ब्लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों में अन्य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार आता है साथ ही काफी कम मात्रा में आता है। वैसे अभी तक इसके सही कारणों का पता नहीं चल पाया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह एक प्रकार के जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। ऐसे में इंसान को बार-बार यूरीन आना महसूस होता है तथा इस मामले में ग्रस्त व्यक्ति ए‍क दिन में करीब 60 बार तक वॉशरूम में जाता है।

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