21.) कोजिक एसिड- कोजिक एसिड प्राकृतिक औषधीय उपचार में काम आता है जो मशरूम और कवक से निकाला जाता है। इसमें पाये जाने वाले तत्व चेहरे के कील मुहांसे को साफ कर त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। यह त्वचा को मॉस्चराइज करने में भी मदद करता है। नियमित रूप से कोजिक एसिड लोशन का उपयोग करने से त्वचा का रंग गोरा हो जाता है।
22.) बेकिंग सोडा- बेकिंग सोडे का उपयोग त्वचा में गोरापन लाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। ये त्वचा के तेल को सोखकर उसे प्राकृतिक नमी पहुंचाने में मदद करता है। जिससे चेहरे पर प्राकृतिक निखार देखने को मिलता है। इसका उपयोग चेहरे पर करने के लिये आप दो बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा लें और इसका पेस्ट बनाकर अपने चेहरे पर इसका मालिश करें। सूख जाने के करीब 10 मिनट के बाद सादे पानी से चेहरे को साफ कर लें।
23.) बियरबेरी – बियरबेरी का उपयोग त्वचा की गहराई से सफाई कर रोमछिद्रों को खोलने का काम करता है, जिससे त्वचा साफ सुथरी होकर चमकदार बनती है। इसके अलावा त्वचा की नमी को बनाये ऱखने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग नियमित रूप से रोज त्वचा पर करने से त्वचा गोरी और चमकदार होती है।
नोट- खूबसूरती व निखार पाने के लिये आप इन सभी घरेलू उपचारों को 1 से 3 महीने तक कहीं भी, किसी भी समय कर सकती हैं। कुछ ही समय में आपको बदलाव नजर आने लगेगा।
जानिए आपकी त्वचा के रंग को नियंत्रित करने के कारक क्या हैं ?
त्वचा के रंग को नियंत्रित करने के आंतरिक कारक:
हमारी त्वचा के रंग को सावला बनाने में मेलेनिन मुख्य भूमिका निभाता है। मेलेनिन का रंग तीन पिगमेंट अर्थात् मेलेनिन, कैरोटीन और हीमोग्लोबिन की सांद्रता द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये पिगमेंट डर्मिस में पाया जाता है।
त्वचा के रंग को निर्धारित करने वाले ये तीन कारक जिसमें मेलेनिन के अधिक होने से त्वचा का रंग और अधिक गहरा होता है। दूसरे कैरोटीन हाथ व त्वचा के लिए पीले, नारंगी रंग प्रदान करने का काम करता है। लाल गुलाबी रंग सबसे अधिक पाया जाता है वर्णक क्रम से जो, हीमोग्लोबिन द्वारा निर्धारित किया जाता है। ये पिगमेंट वो आंतरिक कारक हैं जो त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा कुछ बाहरी कारक भी होते हैं जो त्वचा के रंग को सांवला बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
वैसे देखा जाये तो यदि कुछ हद तक त्वचा के कालेपन का कारण आंतरिक कारक होते हैं, तो बाहरी वातावरण में ज्यादा देर तक रह कर भी हमारी त्वचा इस तरह की समस्या का शिकार हो सकती है। बाहरी प्रदूषित वातावरण के साथ धूप की किरणों से त्वचा ज्यादा प्रभावित होती है। जिससे त्वचा जल कर काली पड़ जाती है। इसके अलावा दूसरा प्रमुख कारण होता है हाईपरपिगमेंटेशन, जो शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण बनते हैं। गर्भावस्था के दौरान या गर्भनिरोधक गोलियां खाने से होने वाले साइडइफेकिट से भी महिलाओं की त्वचा काफी प्रभावित होती है।
हाईपरपिगमेंटेशन मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं-
- झांई: सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों के प्रभाव, इसके साथ ही उम्र का बढ़ना, चेहरे के दाग धब्बों का बढ़ना भी इसमें शामिल है।
- हार्मोनल परिवर्तन: महिला के गर्भावस्था को दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से भी ये समस्यायें होती हैं।
- मेलजमा: सामान्य रूप से इसे ‘प्रेगनेंसी मास्क’ कहते हैं । यह स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण होता है ।