आजकल महिलाओं में बांझपन की समस्या आम सी बात हो गई है। बांझपन हमेशा एक महिला की ही समस्या नहीं होती है यह पुरूष और महिला दोनों की समस्या हो सकती है। जिसके कारण बांझपन होता है। अगर कोई कपल बिना किसी गर्भनिरोधक के संबंध बनाता है और उसके बावजूद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो बांझपन कहलाता है।
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लगभग एक तिहाई मामलों में महिलाओं को ही गर्मधारण में समस्या होती हैं। अन्य एक तिहाई मामलों में पुरूषों के फर्टिलिटी मामले होते है जिसके कारण वो पिता नहीं बन सकते हैं। बाकी मामले पुरूष और महिला दोनों की समस्याओं के मिश्रण या फिर किसी अज्ञात समस्या के कारण होते हैं। कम से कम एक वर्ष तक नियमित, समयोचित एवं बिना किसी गर्भ निरोधक का उपयोग करते हुए संभोग करने वाली स्त्री जब गर्भधारण करने में असमर्थ रहती है, तो उसे बांझपन या बांझपन से जुड़ी समस्या माना जाता है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गर्भावस्था बनाए रखना और एक जीवित बच्चे को जन्म ना दे पाने में असमर्थता भी बांझपन में ही सम्मिलित है। स्त्रियों में प्रजनन क्षमता विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित हो सकती है। जैसे कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओ), ऐंडोमेटरिओसिज़, यौनी सूजन की बीमारी, गर्भाश्य फाइब्रॉएड, एनीमिया, थायराइड की समस्याएं, अवरूद्ध फैलोपियन ट्यूबज़, कैंडिडा और यौन संचारित रोग (एसटीडी) इत्यादि।
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आप खुद को स्वस्थ देखते हुए यदि यह सोचते हैं कि आप नंपुसकता या बांझपन के शिकार नहीं हो सकते तो आप गलत हैं। क्योंकि वर्तमान लाइफस्टाइल धीरे-धीरे लोगों को इस अंधेरे में धकेल रही है। हम इस आर्टिकल में आज आपको माता-पिता नहीं बन पाने के कारण से अवगत कराएंगे।
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दुनिया के बड़े शोध संस्थानों में हुए इस दिशा में शोधों के बाद आईवीएफ टेक्नोलॉजी आई है। जो आज नि:संतान दंपत्ति के लिए वरदान साबित हुई है। बांझपन के वैसे कई कारण होते हैं। जैसे, ज्यादा उम्र, खानपान, लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, मेडिकल कंडीशन्स या व्यवसायिक जोखिम। यह सभी वह कारण है जो आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी प्रजनन क्षमता पर भी असर डालते हैं।
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आपको शायद जानकर अचरज होगा की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हमारे भारत देश में 1.90 करोड़ नंपुसक दंपत्ति हैं। जिसमें से मात्र 0.1 फीसदी ही आईवीएफ से बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं। वहीं एक सर्वे कंपनी के मुताबिक देश में 3 करोड़ दंपत्ति ऐसे हैं जो संतान पैदा नहीं कर सकते हैं।
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महिलाओं में बांझपन रोकने के उपाय
दालचीनी
दालचीनी डिंब-ग्रंथि को सही रूप से कार्य करने में मदद कर सकती है और इस तरह बांझपन से लड़ने में प्रभावशाली सिद्ध हो सकती है। यह पीसीओ जो कि बांझपन के मुख्य कारणों में से एक है उसके इलाज में भी मदद करती है।
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अश्वगंधा
यह जड़ी बूटी हार्मोन्स-संतुलन को बनाए रखने और प्रजनन अंगों के मुचित कार्य क्षमता को बढ़ावा देने में कारगर है। यह बार-बार हुए गर्भपात के कारण, शिथिल-गर्भाश्य को समुचित आकार में लाकर उसे स्वस्थ बनाने में मदद करती है। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में अश्वगंधा का एक चम्मच चुर्ण दिन में दो बार लें।
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अनार
यह गर्भाश्य के रक्त प्रवाह में वृद्धि करता है और गर्भाश्य की दिवारों को मोटा करके गर्भपात की संभावना को कम करने के लिए सहायक है। साथ ही यह भ्रूण के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देता है। आप ताजा अनार फल भी खा सकते हैं और इसका रस भी पी सकते हैं।
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विटामिन-डी
विटामिन-डी गर्भावस्था के लिए और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए आवश्यक है। वास्तव में विटामिन-डी की कमी, बांझपन और गर्भपात का कारण हो सकती है।
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संतुलित आहार लें
एक अच्छी तरह से संतुलित आहार लेना, प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए एक और महत्वपूर्ण कारण है। एक स्वस्थ, संतुलित आहार स्वास्थ्य की उस दशा या बीमारियों को रोकने में मदद करता है जो बांझपन का कारण हो सकती है।
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खजूर
खजूर, गर्भधारण करने के लिए, आपकी क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कि विटामिन ए, ई और बी। एक स्वस्थ नाश्ते के रूप में आप प्रतिदिन 6 से 8 खजूर खाते रहें और दूध, दही और स्वास्थ्य-पेय में भी कटे हुए खजूर का समावेश करें।
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योगा और एक्सरसाइज
योगा और एक्सरसाइज से महिलाओं में बांझपन की समस्या को रोकने में मदद मिलती है। इससे ना सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि महिलाएं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहती हैं। योगा करने से तनाव में राहत मिलती है और चिंता भी दूर भागती है। वहीं एक्सरसाइज करने से वजन संतुलित रहता है।