टेटनस कुछ ऐसा है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। यह हमारे नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है। टेटनस को लॉकजॉ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कि नाम से भी पता लग रहा है कि यह बीमारी से मांसपेशियों का काम करना बंद और यहां तक की मौत भी हो सकती है। टेटनस बैक्टीरियम क्लोस्ट्रीडियम टेटनी के कारण होता है। यह बैक्टीरिया पशुओं, भूमि और जल के आसपास उपस्थित रहता है। यहां तक की आपकी त्वचा भी इस बैक्टीरिया से मुक्त नहीं है।
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इंफेक्शन तब सक्रिय हो जाता है, जब स्पोर्स आपके शरीर के अंदर लगने लगता है। यह बैक्टीरिया अवायवीय होता है। इसका मतलब यह है कि यह ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकते हैं। जितनी जल्दी यह आपके शरीर में जाते हैं, इनकी बढ़ने की संभावना और बढ़ने लग जाती है।
एक बार जब यह स्पोर्स सक्रिय हो जाते हैं, तो ऐसे में यह माइक्रोऑर्गेनिजम टोक्सीन पैदा करने शुरू करते हैं। यह टोक्सीन अपने आपको नसों के आसपास इकट्ठा कर देते हैं। यह अपने आप वितरित होने लग जाता है और आपके रीढ़ की हड्डी की नसें और नियरोमस्कूलर जंक्शनों के सिरों से जुड़ी होती हैं।
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टिटनेस दो तरह के होते हैं, लोकल टेटनस और मस्तक टिटनेस। लोकल टेटनस चोट लगने पर तो मस्तक टिटनस चेहरे की नसों को चोट पहुंचाती हैं, जो कि आमतौर पर सिर से जुड़े रहते हैं।
यही कारण है कि आपको टेटनस का इंजेक्शन सही समय पर लगवा लेना चाहिए। इस वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं। आपको बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द, मिचली या मांसपेशियों में दर्द का अनुभव भी हो सकता है। टिटनेस के टीके से सूजन, रेडनेस, दर्द और खुजली आदि भी हो सकती है।
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कई अन्य ऐसे दुर्लभ दुष्प्रभाव हैं, जैसे कि खाने को निगलने में कठिनाई, हाथ और पैर में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी आदि हो सकती है। कई खराब मामलों में चेहरे में खुजली, सूजन और एलर्जी की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आती है। साइड इफेक्ट्स कोई भी क्यों ना हो, आपको हमेशा से ही इस मामले में गंभीर रहना चाहिए।