आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सिर दर्द की समस्या होना एक आम बात है। सिर दर्द होने पर सर के एक या फिर एक से ज्यादा हिस्सों में व गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द होता है। यह दर्द कभी हल्का तो कभी काफी तेज़ी से उठता है। सिर दर्द कई कारणों से होता है, लेकिन अधिकतर यह किसी गंभीर रोग के कारण नहीं होता। थकान, गलत दवा के सेवन, चश्मे का नंबर बढ़ने से, मौसम में बदलाव आने पर दांतों में दर्द आदि कारणों से होता है।
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बदलती जीवन शैली के कारण आजकल करीब छह में से एक व्यक्ति को सिर दर्द की समस्या है। कई बार यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति अपने काम भी ठीक से नहीं कर पाता, उसे हर काम को करने में काफी मुश्किल होती है। सिर दर्द की वजह से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित होता है।
यहां हम आपको बता रहे कि हैं सिर दर्द कितने प्रकार का होता है –
सिर दर्द के प्रकार
सिर दर्द की समस्या दो कारणों से होती है। इसलिए सिर दर्द को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, प्राथमिक सिर दर्द और द्वितीयक सिरदर्द। प्राथमिक सिर दर्द व्यक्ति को उसकी किसी बिमारी के कारण नहीं होता जबकि द्वितीयक सिर दर्द में किसी अन्य बिमारी के कारण व्यक्ति को सिर में दर्द की समस्या होती है। इसमें व्यक्ति को बुखार, संक्रमण, हाइपोग्लाइसीमिया, दांतों की समस्या, साइनस, सिर पर प्रेशर, ट्यूमर या फिर सर पर चोट लगने की वजहों से सर में दर्द होता है।
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प्राथमिक सिरदर्द
मस्तिष्क में अधिक रक्त प्रवाह होने की वजह से प्राथमिक सिर दर्द होता है। कैफीन का सेवन करने के बाद दिमाग में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। लेकिन जब आप कैफीन लेना बंद कर देते हैं तो इस वजह से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह फिर बढ़ जाता है और व्यक्ति को सिर दर्द होने लगता है। प्राथमिक सिर दर्द तीन प्रमुख कारणों से होता है। क्लस्टर सिर दर्द, तनाव से सिर दर्द व माइग्रेन।
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क्लस्टर सिरदर्द
क्लस्टर सिर दर्द में सिर के दोनों भाग प्रभावित नहीं होते। इसमें सिर व गर्दन के किसी एक भाग में और चेहरे में दर्द होता है। जब भी ऐसा दर्द हो तो नीचे की ओर बिल्कुल भी नहीं झुकें। ऐसा करने से सिर दर्द और ज्यादा बढ़ सकता है। अगर आपको धूम्रपान या फिर एल्कोहल लेने की लत है तो उसे छोड़ दें, क्योंकि इससे सिर का दर्द ओर बढ़ सकता है।
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तनाव के कारण होने वाला सिरदर्द
इस तरह के सिर दर्द में सिर के दोनों भाग प्रभावित होते हैं। तनाव से होने वाले सिर दर्द में शारीरिक गतिविधि का कोई असर नहीं पड़ता। मांसपेशियों में सिकुड़न होने के कारण यह दर्द होता है। व्यक्ति के एक लंबे वक्त तक तनाव में रहने की वजह से यह सिर दर्द होता है। 90 फीसदी लोगों में सिर दर्द होने का यही कारण होता है। आमतौर पर यह सिर दर्द अपने आप ठीक भी हो जाता है।
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माइग्रेन
इस तरह का सिर दर्द सिर के किसी एक भाग में व आंखों के पीछे की तरफ होता है। माइग्रेन होने पर सिर दर्द धीरे-धीरे काफी तेजी से बढ़ जाता है। यह समस्या अधिकतर अनुवांशिक होती है। हर व्यक्ति को माइग्रेन में अलग-अलग तरह से दर्द होता है। इसके अलावा खाने की किसी चीज़ से एलर्जी होने पर भी माइग्रेन का दर्द होता है।
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सेकेंडरी सिरदर्द
शरीर की अन्य समस्याओं की वजह से इस तरह का सिर दर्द होता है। उदाहरण के तौर पर, फ्लू होने पर सिर दर्द भी होने लगता है। लेकिन जब बीमारी ठीक हो जाती है, तब सिर दर्द खुद ही ठीक भी हो जाता है।
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एस्पिरिन जैसी दवाइयों के ज्यादा सेवन से भी सिर दर्द की समस्या हो सकती है। दवाएं जैसे कि इबुप्रोफेन, एसिटामिनोफेन व अन्य गैर स्टेरायडल एंटी इफ्लेमेंटरी दवाओं के कारण भी सिर दर्द हो सकता है। लेकिन अगर सिर दर्द की समस्या बार-बार हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।