ऐश्वर्य और धन की देवी मानी जानें वाली लक्ष्मी जी का पर्व दीपावली बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आपको दीपावली के सही मुहूर्त का पता है तो देवी की जाग्रत शक्तियों का अनुमान लगाया जा सकता है कि किस मुहूर्त में पूजा करने से देवी अपार सम्पदा से हमारा भंडार भर सकती हैं। इस बार की दीपावली में कुछ ऐसे ही योग बनते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह योग काफी अनोखा है। जो कई वर्षों के बाद बन रहा है। इस प्रकार के योग सभी के लिए शुभ फल देने वाले होते हैं। इस योग में गुरु और राहु के साथ रहते हुए सौभाग्य, बुधादित्य और धाता योग बनेगा।
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इस बार की दीपावली 30 अक्टूबर को पड़ रही है। जिसमें काफी अच्छा योग बनता दिखी दे रहा है, इस प्रकार का योग कई सोल पहले भी देखा गया था। इस बार की दीपावली पर बन रहा ये योग सभी की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। जिसके चलते इस बार की दीपावली कुछ खास ही होने जा रही है। इस योग के कारण लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किए गए काम और उपायों से सफलता मिलेगी।
इस दीपावली के बाद अब यह योग साल 2145 में बनेगा। इसके साथ दीपावली में सौभाग्य योग है। जो लक्ष्मी कारक हैं और सौभाग्य योग में दीपावली पड़ने से यह अधिक शुभ होगी। इस प्रकार से बन रहे इस योग को राजयोग भी कहा जाता है।
दीपावली में पूजन की सामग्री-
श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी की मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में, एक बड़ी थाली में हल्दी, चावल ,गंगाजल, सिंदूर फल-फूल पान, सुपारी,केशर, रोली, कच्चा दूध, दही, खील, बताशे, शहद, सिक्के, लौंग, सूखे-मेवे, धूप, मिठाई, अगरबत्ती, रूई, 11 दीपक तथा कलावा नारियल व तांबे का कलश, इन सभी सामग्रियों के साथ पूजा करनी चाहिए।
कैसे करें दीपावली पूजा –
सबसे पहले जमीन को साफ करके उस पर लाल कपड़ा बिछा कर नवग्रह बना लें और तांबे के बर्तन का एक कलश रखें। जिसमें जल के साथ थोड़ा सा गंगाजल, दही, दूध, सुपारी, शहद, लौंग और सिक्के आदि डालकर उसे लाल कपडे़ से ढक कर एक कच्चे नारियल को कलावे से बांध कर रख दें।
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जहां पर नवग्रहों की स्थापना की गई है वहां पर लक्ष्मी जी की मूर्ति के सामने सोना या चांदी का सिक्का और रुपया रखें। इसके बाद रखी गई मिट्टी की मूर्ति को मां लक्ष्मी का रुप मानकर उसे जल के साथ गंगाजल, दूध और दही से स्नान कराकर हल्दी चावल रोली सिंदुर का श्रंगार करके फूल आदि से सजाएं। लक्ष्मी जी की मूर्ति के दाहिने ओर एक पंचमुखी दीपक जलाकर रखें।
धनलक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजन आदि करने के लिए सबसे पहले आप अपनी तिजोरी या संदुक पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर कुबेर का इन मंत्रों से आह्वान करें।
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आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु।
कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।
आमंत्रित करने के बाद आप “ऊँ कुबेराय नम:” मंत्र को 108 बार बोलते हुए अपनी तिजोरी पर गंध, पुष्प आदि से पूजन करें और इस मंत्र के साथ कुबेर देव से प्रार्थना करें।
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।