महाशिवरात्रि के दिन इन चीजों से करें भोले नाथ को प्रसन्न

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भगवान भोले नाथ पूरे जगत के पालनहार है इसी कारण लोग इनकी पूजा बड़े ही भक्ति भाव के साथ करते है। जटा धारी शकंर ही एक ऐसे भगवान है जिनमें सभी देवों का रूप समाहित होता है, इनके पूजन से भक्तों की सभी मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शिव को आत्मा, प्राणों को शिव के गण, शरीर को मंदिर और गिरिजा को बुद्धि की संज्ञा दी गई है। इसी तरह से शिव रूपी आत्मा के ज्ञान का गिरिजा रूपी बुद्धि के साथ जिस दिन समावेश होता है, वो दिन ही महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यदि आप भी शंकर के सभी रूपों का दर्शन एक साथ करना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन उनकी पूजा बड़े ही भक्ति भाव से करें। इससे सभी व्यक्ति का जीवन सार्थक हो जाता है।

भगवान भोले नाथ इतने भोले और दयालु है कि इनकी भक्ति से हर कोई अपने जीवन का उद्धार कर सकता है। चाहें फिर वो इंसान हो, राक्षस हो, या फिर भूत-प्रेत अथवा देवता। यहां तक कि धरती आकाश पताल में रहने वाले सभी जीव या पशुपक्षी भी उनका गुणगान कर भगवान भोलेनाथ को बड़ी ही आसानी से प्रसन्न कर सकते है। जैसा की आप जानते ही होंगे कि शिवरात्रि आने वाली है, तो इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं भगवान शिव से जुड़ी कुछ ऐसी प्रभावशाली वस्तुओं के बारे में जिनको चढ़ाने से आपकी हर मुराद हो सकती है पूरी, तो आइए जानते हैं इन प्रभावशाली वस्तुओं के बारे में….

1- कपूर –
कपूर का उपयोग घर पर करने से मन शांत होता है एवं घर का वातावरण शुद्ध होता है। यदि आप पूजा के समय भगवान शिव की आरती कपूर से करते हैं तो वे इससे बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं। कपूर जलाने से हमारा भाग्य भी जाग्रत होता है।

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2- जलाभिषेक –
पुराणों में जलाभिषेक का बहुत पवित्र माना गया है। क्योंकि जल में विष्णु का वास होता है और इस कारण जल को नार भी कहा जाता है। जल से धरती का ताप दूर होता है। जो भक्त शिव को जलाभिषेक करते है उनके ताप, संताप, दुःख, रोग-शोक, दरिद्रता सभी तरह का विपदाएं भी दूर हो जाती हैं।

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3- बिल्वपत्र –
भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा शिव जी को कुमुदिनी पुष्प और कमलिनी पुष्प के काफी प्रिय होते है। इसलिए उन्हें इन सभी चीजों को चढ़ाना चाहिए। बिल्वपत्र का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि ये तीन पत्तियों वाले हो। असल में तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र भगवान शिव के तीन नेत्रों का ही प्रतीक माना जाता है।

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पूजा करने का तरीका
भगवान भोले नाथ की पूजा में स्वस्ति पाठ का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थाना है।
स्वस्ति-पाठ –
“स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।”

भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए सबसे पहले पूजा का संकल्प लेकर भगवान गणेश एवं गौरी-माता (पार्वती) का स्मरण कर, पूजन की शुरूआत करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान लगाकर उनके ऊपर बिल्वपत्र आदि को चढ़ाएं और भगवान शिव का ध्यान करें।
भगवान शिव का पूजन करने के लिए सबसे पहले पांच तत्वों को लेकर उनका स्नान कराएं। इसके लिए सबसे पहले आचमन, स्नान, घी-स्नान, दही-स्नान, शक्कर-स्नान, व शहद-स्नान के लिए इन पांच चीजों का उपयोग करें। इसके बाद इत्र का उपयोग करके उन्हें सुगंधित-स्नान कराएं। अब नए वस्त्र चढ़ाएं। वैसे तो भोलेनाथ का प्रमुख वस्त्र भस्म है जिसे वे पूरे शरीर पर लेपेटे होते है और इसी को चढ़ाना शुभ भी माना जाता है।भस्म के बाद जनेऊ चढाएं। इसके बाद सुगंधित इत्र, फूलों की माला, अक्षत, बिल्वपत्र चढाएं। अब भगवान शिव को हर तरह के मौसमी फल चढ़ाएं। इसके पश्चात धूप-दीप जलाकर, फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाकर उनकी आरती करें। पूरी पूजा कर लेने के बाद इस दौरान अनजाने में हुई कोई भूल के लिए क्षमा-याचना करें।

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क्षमा मंत्र –
आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:।
इस प्रकार से भगवान शिव का पूजन करने से वह प्रसन्न होते है और हर मनोकामना को पूर्ण करते है।

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