पंचम नवरात्र : देवी स्कंदमाता का महत्त्व और इनका पूजा विधान

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नवरात्र के पांचवे दिन आदि- शक्ति माँ दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती हैं। स्कंदमाता का कोमल मन ममता से भरा होता हैं इसलिए जो भी साधक सच्चे एवं साफ़ मन से इस देवी की उपासना करता हैं, ममतामयी देवी माँ उसके सभी कष्टों को हर लेती हैं। कहा जाता हैं कि जो भक्त संतान सुख की प्राप्ति चाहता हैं उसे स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। उनके लिए यह पूजा काफी फलदायी साबित होती हैं। इसके लिए नवरात्र की पांचवी तिथि को एक लाल वस्त्र में सुहाग का समान, लाल फूल, फल और चावल बांधकर माँ की गोद में रखना चाहिए। स्कंदमाता की इस तरह से पूजा करने से साधक की सूनी गोद भर जाती हैं। इस पूजा से गले एवं वाणी में भी माँ का प्रभाव देखने को मिलता हैं। जिस व्यक्ति के गले में किसी प्रकार की समस्या हो वो माँ की पूजा में रखें जल में पांच लौंग मिलाकर स्कंदमाता का आह्वान कर इस जल को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें। इससे गले संबंधी सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं।

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स्कंदमाता मां की उपासना करते समय साधक को पूर्ण सावधानी के साथ और सच्चे मन से मां की उपासना करनी चाहिए। मां की उपासना करने के लिए जो श्लोक दिए गए है उसे अच्छी तरह से कंठस्थ कर लें, ये श्लोक सरल एवं स्पष्ट है। मंत्रों का जाप करते समय किसी प्रकार की गलती न करें। नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंत्र का जाप अवश्य करें।

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“या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।”

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