दूसरा नवरात्र- शक्ति का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी देवी

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मंगलवार से नवरात्र का प्रारभ हो चुके हैं। इन नौ दिनों में मां शक्ति के हर रूपों की पूजा की जाती है। इन्हीं नौ रूपों में दूसरी शक्ति है भगवती मां ब्रह्मचारिणी, जिनका पूजन दूसरे नवरात्र को किया जाता है। यह दिन हर भक्तों के लिए सबसे बड़ी अराधना का दिन माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को वेद शास्त्रों और ज्ञान की माता कहा गया है। फलदायिनी देवी ब्रह्मचारिणी मां का स्वरूप अत्यंत भव्य और तेजयुक्त है। मां देवी के वस्त्र धवलयुक्त होने के साथ-साथ इनके दायें हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अत्यंत फल देने वाला होता है

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माना जाता है कि तप की देवी मां भगवती ने भगवान शिव को अपने वर के रूप में प्राप्त करने के लिए काफी घोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों की इस घोर तपस्या के दौरान मां ने सिर्फ पेड़-पौधों की पत्तियों का सेवन किया था। इसी घोर तपस्या के कारण ही मां ब्रह्मचारिणी का दूसरा स्वरूप प्राप्त हुआ। ब्रह्मचारिणी का अर्थ ही होता है तप का आचरण करने वाली।
इसलिए जो साधक सच्चे मन से मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते है, मां उनके कष्टों को हरने के लिए जरूर आती है। मां सबकी झोली भरकर अपार भण्डार भरती है, इसलिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना पूरी विधि-विधान के अनुसार ही करनी चाहिए।

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बड़ी ही सौम्य सरल स्वाभाव वाली मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजों को आज के दिन उन्हें अर्पित करना काफी जरूरी होता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग अर्पित करने से मां प्रसन्न होती है। इन चीजों का उपयोग करने से मां ब्रह्मचारिणी साधक को लंबी उम्र और सौभाग्य का वरदान देती है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने के लिए इस मंत्र का जाप अवश्य करें।

मंत्र इस प्रकार है:-

या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

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