सावन का महिना जिसमें तीनों लोकों के देवताओं की शक्ति शिवशंकर के हाथों में समा जाती है। इस महिने में शिव के पूजन से हमें समस्त लोकों के देवताओं का आर्शिर्वाद प्रदान होता है। सभी देवताओं का आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए जीव जंतु तक अपने अपने बिलों से बाहर निकलकर इस महिने का पूरा आनंद उठाते है। प्रकृति के साथ झूमते हुए पूरे वातावरण को संगीतमय बना देते है। प्रकृति खुद भी अपनी मौन धारण तोड़ कर सभी के साथ झूमने लगती है। तभी तो सावन के महिने को सभी साल का सबसे खास महिना कहा जाता है।
सावन के महिने में की जाने वाली पूजा एक तरह की प्रकृति की ही पूजा मानी जाती है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ को प्रकृति का रूप कहा गया है। इसी कारण यह महिना काफी श्रेष्ठ फल देने वाला महिना कहा जाता है। जिसमें लोग भगवान को अपनी श्रृद्धा भक्ति के भाव को समर्पित करने के लिए व्रत रखते हैं।
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हिन्दू धर्म के अनुसार सावन के महिने में सोमवार के दिन व्रत रखना काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। क्योंकि शिव भक्ति में सावन के सोमवार को साल भर रहने वाले सोमवार के व्रतों से अधिक पुण्य देने वाला बताया गया है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस दिन व्रत रखने से चंद्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। जिससे जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करनें को आसानी से दूर किया जा सकता है।
चंद्रमा के होने वाले प्रभावों पर एक नजर…
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक कहा गया है कि पृथ्वी समेत अन्य सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। पर वहीं चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, क्योंकि वह एक उपग्रह है। जिसका व्यावहारिक असर हम अपने जीवन में भी देखते हैं। चन्द्रमा का प्रभाव मानव जीवन के साथ-साथ पूरे जगत पर भी पड़ता है। जिसका सबसे बड़ा जीता जागता प्रमाण है पूर्णिमा की रात, जब चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में दिखाई देता है, तब समुद्र में ज्वार के आने की संभावनाएं बढ़ जाती है। वहीं अमावस्या के समय चन्द्रमा अदृश्य होता है, तब समुद्र की लहरें भी पूरी तरह से शांत हो जाती है। इस प्रकार आकाश में चन्द्रमा के आकार के घटने-बढ़ने के साथ-साथ पानी और अन्य चीजों में भी हलचल बढ़ने और घटने लगती है।
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ज्योतिष विज्ञान के अनुसार …
इस विषय में हमारा ज्योतिष विज्ञान बताता है कि चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक रहने वाला उपग्रह है और इसी निकटता के कारण ही हमारे जीवन के हर कार्य व्यवहार पर उसका सबसे अधिक असर पड़ता है। यही कारण है कि जिन लोगों में चंद्रमा का प्रभाव ज्यादा होता है। वे लोग पूर्णिमा के आस-पास अधिक उद्दण्ड, क्रोधित और आक्रामक हो जाते है। जबकि अमावस्या के समय एकदम शांत और गंभीर दिखने लगते है।
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राशि के अनुसार…
धार्मिक दृष्टि के अनुसार जलतत्व राशि वालों को जैसे मीन, कर्क, वृश्चिक वाले महिला-पुरूष को सोमवार का व्रत रखने के अलावा चंद्र देव का पूजन भी जरूर करना चाहिए। इससे ऐसे लोगों का दिमाग शांत होने के साथ मानसिक संतुष्टि, मन की चंचलता को रोकने की शक्ति मिलती है। जिनकी राशि में चंद्रदोष होता है उन्हें शांति के लिए स्फटिक की माला या मोती की माला को धारण करना शुभ माना जाता है। इसलिए सोमवार के दिन व्रत रखकर शिव पूजा करने से चंद्र पूजा होने के साथ चंद्र दोष दूर होते है। साथ ही इन व्यक्तियों के सारे कष्ट दूर हो जाते
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जल चढ़ाओ और जो चाहे मांग लो…
सावन के महिनें में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि सोमवार शिव शंकर जी का प्रिय दिन होता है इसलिए श्रावण मास में सोमवार के दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस महीने प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने से भगवान शिव खुश होकर सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते है। इस श्रावण मास में सभी को लघुरूद्र, अतिरूद्र और महारूद्र का पाठ कर प्रत्येक सोमवार का व्रत रखते हुए शिवजी का पूजन करना चाहिए।
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सावन व्रत विधि…
सावन में सोमवार के व्रत का पूजन करने से पहले भगवान श्री गणेश जी का सर्वप्रथम पूजन करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में दूध, दही, जल, शहद, घी, चीनी मोली, पंचामृ्त, वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, रोली, बेल-पत्र, चावल, आक-धतूरा, फूल, भांग, पान-सुपारी, इलायची, कमल गठ्टा, प्रसाद, लौंग, मेवा के साथ दक्षिणा चढ़ाई जाती है।
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शिव पूजन में बेलपत्र प्रयोग करना जरूरी…
भगवान शिव की पूजा के समय बेलपत्र का होना सबसे जरूरी माना जाता है। इसका प्रयोग करने से तो भगवान अपने भक्त की मनोकामना बिना कहे ही पूरी कर देते है। बेलपत्र के बारे में कहा जाता है कि बेल के पेड को जो इंसान पानी या गंगाजल से सींचता है, वह समस्त लोकों का सुख भोगकर, शिवलोक में प्रस्थान करता है।
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पौराणिक मान्यता…
पौराणिक धारणाओं के अनुसार सोमवार का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिवशंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था। इसी व्रत के शुभ फलों के स्वरूप उन्हें भगवान शिव की प्राप्ति पति के रूप में हुई थी। इसलिए जो भी कन्या इस व्रत को पूरे श्रृद्धा भक्ति भाव के साथ करती है उसको शादी जल्द हो जाती है। इस व्रत का फल जल्द ही प्राप्त होता है। यह व्रत मुख्य रूप से परिवार और समाज को भी समर्पित है। इसके अलावा यह व्रत प्रेम, आपसी भाई-चारे विश्वास और मेलजोल के साथ जीवन जीने का सबसे बड़ा संदेश देता है। सावन में सोमवार के व्रत को करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है। यह व्रत सोलह सोमवार के व्रत से भी उत्तम माना गया है।