इंटरनेट और टेक्नॉलजी की बदौलत हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में काफी बदलाव आएं हैं। लोग घर बैठे ही न जाने कितने तरीकों से टेक्नोलॉजी और इंटरनेट का प्रयोग करके अपना काम कम समय में ही खत्म कर लेते हैं पर टेक्नॉलजी और इंटरनेट जहां हमारे लिए वरदान साबित हुए हैं वहीं इनसे हमे कई नुकसान भी हो रहे हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया है कि लोगों में इसकी लत की वजह से उन्हें कई तरह की मानसिक बीमारियां हो रही हैं जिनके बारे में वह खुद नहीं जानते। अगर आप भी टेक्नॉलजी और इंटरनेट के बिना नहीं रह सकते तो कही आप भी इनमें से किसी मानसिक बीमारी का शिकार तो नहीं हैं ?
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सेल्फाइटिस – सेल्फी लेने की लत (Selfitis – craze for selfie)
सेल्फाइटिस उन लोगों को होता है जो जरूरत से ज्यादा सेल्फी खींच कर उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। अमेरिकन साइकायट्रिक असोसिएशन ने 2014 में सेल्फाइटिस को एक नया पागलपन बताया था जो कि 2017 में साबित हो गया कि यह एक मानसिक बीमारी है।
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नोमोफोबिया – फोन खोने का डर (Nomophobia – fear of losing mobile)
नोमोफोबिया में लोगों को हर वक़्त मोबाइल के खो जाने का डर लगा रहता है। यह डर इस कदर होता है कि वे अपना मोबाइल टॉयलेट में भी लेकर चले जाते हैं। ये लोग प्रतिदिन 30 से भी अधिक बार अपना फोन चेक करते हैं और एक रिपोर्ट के जरिए ये भी पता लगा है कि 66 प्रतिशत लोग नोमोफोबिया से पीड़ित हैं।
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फैंटम वाइब्रेशन – फोन बजने का भ्रम (Phantom Vibration – phantasm of ringing mobile)
अगर आपको भी बार – बार ऐसा लगता है कि आपका मोबाइल वाइब्रेट हो रहा है या किसी की कॉल आ रही है लेकिन जब आप अपना फोन चैक करते हैं तो ऐसी कोइ भी नोटिफिकेशन नहीं होती, तो आप भी फैंटम रिंगिंग सिंड्रोम या फैंटम वाइब्रेशन का शिकार हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 70 प्रतिशत लोगों को प्रतिदिन अपने मोबाइल को लेकर इस बात का भ्रम होता है। यह बीमारी खतरनाक नहीं है पर समय रहते इसका इलाज न कराया गया तो यह गंभीर रूप भी ले सकती है।